38 साल बाद भी ननि बिलौंजी मार्ग का नहीं करा पाया नक्शा तरमीम अक्रिमणविरोधी,कार्रवाई करने में ननि का दोहरा मापदण्ड, सार्वजनिक मार्ग में बने भवन को हटाने में ननि का छूट रहा पसीना,मास्टर प्लान में 18 मीटर सड़क है दर्ज

38 साल बाद भी ननि बिलौंजी मार्ग का नहीं करा पाया नक्शा तरमीम अक्रिमणविरोधी,कार्रवाई करने में ननि का दोहरा मापदण्ड, सार्वजनिक मार्ग में बने भवन को हटाने में ननि का छूट रहा पसीना,मास्टर प्लान में 18 मीटर सड़क है दर्ज न्यूू

सिंगरौली 12 सितम्बर। डब्ल्यूबीएन,डामरीकरण व पीसीसी सड़क निर्माण के नाम पर नगर निगम ने अब तक कई करोड़ रू पये खर्च कर दिया है। हैरानी की बात है कि 1983 से अर्जित जमीन का नगर निगम नक्शा तरमीम तक नहीं करा पाया है। नगर निगम के अधिकारियों की उदासीनता अब साफ झलक रही है। वहीं अतिक्रमणविरोधी कार्रवाई करने में ननि के कथित अधिकारियों के दोहरे मापदण्ड को लेकर तरह-तरह के सवाल खड़े किये जा रहे हैं। यह मामला बैढऩ के वार्ड क्र.42 के बिलौंजी तेलियान सड़क मार्ग माजनमोड़ से थाना रोड का है।
गौरतलब हो कि नगर पालिक निगम सिंगरौली ने वार्ड क्र.42 बिलौंजी तेलियान बस्ती में वर्ष 1983 में आराजी नंबर 184 में तकरीबन 48 डिस्मिल व आराजी क्र.115 में 3 एकड़ से अधिक जमीन अर्जन किया है। वहीं कुछ वर्ष बाद साड़ा के तहत 1986-87 में आराजी नं.184 में दोबारा भू अर्जन कर लिया, लेकिन इसका मुआवजा कास्तकार हरिकेश्वर वगैरह को आज तक नहीं दिया है और नहीं इन्हें दोबारा भू अर्जन करने की जानकारी दी गयी थी। लेकिन अब अचानक नगर निगम के अधिकारियों की नींद खुली और सड़क पर अतिक्रमण बताकर आनन-फानन में नाप जोख शुरू करा दिया। आराजी क्र.184 तेलियान बस्ती के मौजूदा कास्तकार भूमि स्वामी बताते हैं कि ननि के मास्टर प्लान के अनुसार सड़क 18 मीटर निर्माण के लिए अर्जित की गयी और इसी के आधार पर भवन निर्माण के लिए ननि के द्वारा मंजूरी भी दी जा रही है। अचानक 30 मीटर जमीन अर्जन करने के लिए नगर निगम के अधिकारी निर्णय क्यों ले लिये यह बात समझ से परे है। उन्होंने आगे बताया कि उक्त आराजी में कुल सड़क 53 डिस्मिल निर्मित की गयी है। जबकि सिंगरौली विशेष प्राधिकरण साड़ा द्वारा जबरन तकरीबन 25 डिस्मिल बिना किसी सूचना के अर्जित कर लिया गया और यह रकवा बढ़कर 73 डिस्मिल जमीन मान लिया जा रहा है। शेष बचे करीब 20 डिस्मिल आराजी में नगर निगम का स्कूल भवन भी बना हुआ है। कुछ भाग में आम रास्ता है। किन्तु इसे नगर निगम 73 डिस्मिल के अतिरिक्त जमीन हथियाने के फिराक में है। तो वहीं उक्त आराजी के दक्षिण साइड में वर्षों से सड़क मार्ग में जगह-जगह पर कब्जा है। बावजूद नगर निगम के अधिकारियों को अवैध अतिक्रमण नहीं दिख रहा है। भूमि स्वामी के रिक्त जमीन को हथियाने के लिए ननि के कुछ अधिकारी लगातार दांव पेंच खेल रहे हैं। उनकी कलई न खुले इसलिए वरिष्ठ अधिकारियों को गुमराह करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं। उक्त आराजी के भूमि स्वामियों ने सवाल उठाया है कि 38 साल तक नगर निगम के अधिकारियों ने नक्शा तरमीम क्यों नहीं कराया इसके पीछे कारण क्या रहा। तो वहीं 4 दिन पूर्व जब जमीन की नाप जोख राजस्व के अधिकारी, कर्मचारी कर रहे थे। ननि द्वारा मौके पर मास्टर प्लान का नक्शा क्यों नहीं प्रस्तुत किया। इसके पीछे ननि के उपयंत्री पीके सिंह की मंशा क्या है यह समझ से परे है। ननि के उपयंत्री की संदिग्ध कार्यप्रणाली पर भी तरह-तरह के सवाल खड़े करते हुए उनकी भूमिका की वरिष्ठ अधिकारियों से जांच कराये जाने की मांग शुरू हो गयी है।
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मास्टर प्लान में सड़क 18 मीटर
ननि के मास्टर प्लान में माजनमोड़ तिराहा से कोतवाली तिराहा तक सड़क 18 मीटर दर्शाकर भवन निर्माण के लिए लोगों को मंजूरी भी दी जा रही है। तो वहीं यहां के भूमि स्वामी सवाल उठा रहे हैं कि जब मास्टर प्लान वर्ष 2031 तक के लिए बना है उसमें 18 मीटर सड़क अंकित है फिर 30 मीटर क्यों अर्जित की जा रही है। यदि 30 मीटर चौड़ी सड़क फुटपाथ के लिए अधिग्रहित की जानी है तो दोहरा मापदण्ड क्यों अपनाया जा रहा है फिर माजन मोड़ से लेकर इंदिरा चौक, नवजीवन विहार व कोतवाली से माजन तक पूरी सड़क अधिग्रहित की चौड़ाई 30 मीटर ही होना चाहिए इसमें भेदभाव क्यों है?
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कब्जेधारियों पर ननि की दरियादिली
आराजी क्र.184 व 115 के भूमि स्वामियों का आरोप है कि सड़क के उत्तर साइड व सार्वजनिक रास्ता में कई लोगों द्वारा कब्जा कर लिया गया है और जब यह कब्जा हो रहा था उस दौरान ननि के उपयंत्री को भी भली-भांति जानकारी थी, लेकिन ननि का राजस्व अमला कब्जेधारियों पर दरियादिली दिखाते हुए आंख बंद कर ले रहे थे और जब आराजी नं.184 के अपने पट्टे की भूमि पर निर्माण कार्य शुरू किया गया तो ननि के उपयंत्री की भी अचानक आंख खुल गयी और वे आनन-फानन में राजस्व अधिकारियों पर दबाव बनाते हुए स्थगन लाने में सफल हो गये। जबकि आराजी क्र.184 सार्वजनिक मार्ग में अतिक्रमण होने का जिक्र नायब तहसीलदार के फैसले में भी है। वहीं रास्ता पूरी तरह से अवरूद्ध है। बावजूद इसके उपयंत्री पीके सिंह को यह सब कुछ नहीं दिख रहा है।
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…साहब अभी का नहीं भविष्य को देखिए
यहां के कास्तकारों ने ननि अधिकारियों के दोहरे मापदण्ड को लेकर तीखा हमला किया है और कहा है कि ननि में बिना किसी योजना के अरबो,खरबों रूपये पानी की तरह बहा दिये गये। सिवरेज पाइप लाइन, अमृत जल योजना के कार्य को लेकर ननि क्षेत्र की सड़कें तहस नहस हो गयी हैं। जीता-जागता उदाहरण माजन कला तालाब का है। जहां कई करोड़ रूपये व्यवसायिक प्लाजा बना दिया, लेकिन एनजीटी के द्वारा इसे अवैध निर्माण मानकर ध्वस्त कराने के लिए आदेश दे दिया गया है। वहीं सिंगरौली ननि शहर को स्मार्ट सिटी का दर्जा मिला है और करोड़ों रूपये खर्च भी किये जा रहे हैं फिर भी ननि योजनावद्ध तरीके से नहीं करा रहा है। केवल राशि की बंदरबांट के फिराक में रहते हैं। आराजी नं.184 के दक्षिण साइड में अतिक्रमण नहीं हटाया गया तो भविष्य में पाइप लाइन व अन्य कार्य के लिए जमीन कहां से अर्जन करेंगे। यह अपने आप में बड़ा सवाल है। क्या सड़क के एक साइड के सड़क के नाम पर भूमि का अर्जित कर कास्तकारों को तंग करने की नियत बना चुके हैं या फिर उन्हें आर्थिक रूप से तोडऩे के लिए कूचक्र षड्यंत्र रच रहे हैं।