अपराध मुक्त समाज के खोखले दावे, कमजोर होती पुलिसिंग
अवैध हथियार,अवैध शराब, नशीली सिरप का हुआ फैलाव..- सतना
सतना। अपराध मुक्त समाज की परिकल्पना साकार करने के लिए लंबे चौड़े वायदे जरुर निरंतर किए गए पर उस पर खुद पुलिस काम नहीं कर पाई। समय के साथ साथ विंध्य क्षेत्र की पुलिसिंग कमजोर होती जा रही है। विंध्य क्षेत्र में पुलिस महानिरीक्षक रीवा का मजबूत पुलिसिंग का नजारा देखने को अब तक नहीं मिला। कमजोर होती पुलिसिंग के कारण ही आये दिन अवैध हथियार, जुंआ, सट्टा, अवैध शराब की बिक्री, नशीली सिरप और मेडिकल गोलियों का कारोबार शहर से होता हुआ गांव गांव में पहुंच गया है। रीवा, सतना, सीधी और सिंगरौली जिले के थानों की पुलिस असरकारक व्यवस्था नहीं बना पाई है। अपराध मुक्त समाज की बातें लंबे चौड़े अंदाज में जरुर सुनने को मिली पर ऐसा आज तक विंध्य क्षेत्र के किसी भी थाने में संभव नहीं हुआ है। हर थाने की पुलिस अपने क्षेत्र में सुनियोजित तरीके से नशे के कारोबार को संरक्षण देने का काम बराबर किया जाता है। शहरी थानों में जरुर अब खुलेआम सट्टा नजर नहीं आता है। लेकिन गोपनीय तरीके से हर थाना सट्टे की बीमारी से आबाद है। अवैध शराब बिक्री और नशीली सिरप का कारोबार विस्तारित करवाने में भी पुलिस की भूमिका संदेहास्पद रहती है।
दिखावे का निरीक्षण, कागजी मुस्तैदी बनी परंपरा…
विंध्य क्षेत्र में गुजरते वक्त के साथ जिस तरह से पुलिसिंग को असरदार होना चाहिए था वैसा नजारा अफसोस आज तक किसी भी थाने में देखने को नहीं मिला। पुलिस महानिरीक्षक और उपमहानिरीक्षक जैसे दिग्गज अधिकारियों का निरीक्षण एक रस्म अदायगी तक सीमित रहता है। महज कागजी मुस्तैदी को आज भी आईजी स्तर के अधिकारी फालो कर रहे हैं। समय समय पर पुलिस महानिरीक्षक रीवा के आफिस में जिलों के पुलिस अधीक्षक की बैठकें आयोजित कर बेहतर पुलिसिंग के लिए जो आदेश देते हैं उनका असर यदा-कदा ही देखने को मिलता है।
जिले मे सुरक्षित नहीं है कोई थाना, हर जगह अपराध का दबदबा..
विंध्य क्षेत्र के रीवा सतना सीधी और सिंगरौली जिले में संचालित होने वाला एक भी ऐसा थाना क्षेत्र नहीं है जो आम जनमानस के लिए पूरी तरह सुरक्षित हो। चोर उचक्कों की मंडली हर थानों में अपनी मौजूदगी बराबर दर्ज कराती रहती है। नशे का कारोबार विंध्य क्षेत्र के हर जिले में पूरी तरह बेकाबू हो चुका है। चार दिन की चांदनी फिर अंधेरी रात वाली कहावत हर थाना क्षेत्र में चरितार्थ होती है। नशे के साथ साथ अवैध हथियार के साथ फोटो,मारपीट, चेन स्नेचिंग, छेड़छाड़, बलात्कार, चाकूबाजी, हत्या जैसे मामले अब सुखियों में रहते हैं। शहरी क्षेत्र के मुकाबले ग्रामीण इलाकों के थाना क्षेत्र में हालात थोड़ा और खराब बने रहते हैं।
आईजी साहब के लिए आसान नहीं है पुलिसिंग में सुधार करना..
जिले में पुलिस का डर यदि अपराधियों में नहीं है तो दिन दहाड़े भी बड़ी घटनाएं सामने आ जाती है। पुलिस महानिरीक्षक रीवा के लिए विंध्य क्षेत्र के चार जिलों की पुलिसिंग में सार्थक सुधार करना कदापि आसान नहीं है। पुलिस अधीक्षकों की बैठक बुलाकर बेहतर पुलिसिंग के उपदेश तो दिए जा सकते हैं, पर उसे जमीनी स्तर पर लागू कराना यदा-कदा ही संभव हो पाता है। पुलिस महानिरीक्षक के मामले में विंध्य क्षेत्र के चारों जिलों में जो आक्रामक और हाईटेक पुलिसिंग तत्कालीन पुलिस महानिरीक्षक गाजीराम मीणा के जमाने में देखने को आसानी से मिल जाती थी आज उस तरह के हालात नहीं है।