गायत्री बालिका गृह सवालो के घेरे में व्यवस्था सुधारने डीपीओ ने दो बार लिखा पत्र, हालात जस की तस
सिंगरौली जिले में संचालित गायत्री बालिका गृह किशोर न्याय अधिनियम को तॉक पर रखकर संचालित किया जा रहा है। जिला कार्यक्रम अधिकारी सिंगरौली द्वारा बालिका गृह संचानकर्ता एनजीओ के सचिव को कई बार पत्र लिखकर नियम विरूद्ध संचालन पर कड़ी आपत्ती जतायी है।
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार जिला मुख्यालय बैढ़न से लगभग 8 किलोमीटर दूर नवजीवन बिहार सेक्टर 4 में अमृता सेवा संस्थान द्वारा गायत्री बालिका गृह का संचालन नियमों को तॉक पर रखकर किया जा रहा है। बताया जाता है कि महिला एवं बाल विकास के जिला कार्यक्रम अधिकारी ने विगत 1 सितम्बर व 11 सितम्बर को अमृता सेवा संस्थान एनजीओ को पत्र लिखकर चेताया है कि आपके द्वारा किशोर न्याय बालको की देखरेख व संरक्षण अधिनियम 2015 के अनुरूप बालिका गृह का संचालन नहीं किया जा रहा है। वहीं सेवा संस्थान के गायत्री बालिका गृह के नियम विरूद्ध संचालन पर सवाल उठाते हुये कहा है कि विगत 18 अगस्त 2025 को रीवा से एक बालिका गृह में आयी, जिसकी सूचना सीडब्ल्यूसी व डीपीओ जिला बाल संरक्षण इकाई को नहीं दी गयी। इसी तरह से 25 मई 2025 को एक और बालिका आई, लेकिन उसकी भी सूचना सीडब्ल्यूसी व जिला बाल संरक्षण इकाई को नहीं दी गयी। जबकि किशोर न्याय अधिनियम 2025 के किशोर न्याय आदर्श नियम 2022 की धारा 32 का उल्लंघन है।
निरीक्षण में नहीं मिलते काउंसलर स्टाफ
जिला कार्यक्रम अधिकारी ने अमृत सेवा संस्थान द्वारा बालिका गृह संचालन पर सवाल उठाते हुये पूछा है कि गायत्री बालिका गृह में चार पाक्सो पीड़ित एवं एक गर्भवती बालिका निवासरत हैं, जबकि कई बार निरीक्षण किया गया, लेकिन काउंसलर कभी नहीं मिली, जिससे उक्त बालिकाओं के मानसिक स्वास्थ्य एवं पोषण पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। साथ ही निरीक्षण में कभी भी तीन से ज्यादा स्टाफ नहीं रहते, जबकि पचास सीटर बालिका गृह के लिए भवन भी किशोर न्याय अधिनियम 2015 की धारा 46 के अनुरूप नहीं पाया गया है।
कलेक्टर के भ्रमण में पायी गयी अनियमितता
गायत्री बालिका गृह की मनमानी तब सामने आयी, जब गत दिनों जिले के कलेक्टर बालिका गृह के बिजिट में गये। उस दौरान भी अनियमितता पायी गई। अमृता सेवा संस्थान की संचालिका व सचिव को नियमानुसार व व्यवस्था सुधारने की हिदायत दी गयी थी, लेकिन अभी तक व्यवस्था जस की तस बनी हुयी है। संचालिका के कान पर जू तक नहीं रेंगा।