प्रसव पीड़ा से कराहती रही प्रसूता,नहीं पहुंची एम्बुलेंस स्टे्रचर का संकट,ससुर बहू को गोद में लेकर पहुंचाया मेटरनिटी वार्ड में

प्रसव पीड़ा से कराहती रही प्रसूता,नहीं पहुंची एम्बुलेंस
स्टे्रचर का संकट,ससुर बहू को गोद में लेकर पहुंचाया मेटरनिटी वार्ड में

सिंगरौली 9 सितम्बर। जिला चिकित्सालय सह ट्रामा सेंटर तथा जिले में गंभीर मरीजों को लाने वाले 108 वाहनों की कार्यप्रणाली को लेकर लोगों में आक्रोश के साथ-साथ प्रश्रचिन्ह लगने लगा है। जहां बुधवार की दोपहर सरई थाना क्षेत्र के बंधा पचौर से आये एक ग्रामीण ने जिला अस्पताल के साथ-साथ 108 एम्बुलेंस वाहन की पोल खोलकर रख दी।
गौरतलब हो कि सरई थाना क्षेत्र के बंधा, पचौर निवासी जगदीश प्रसाद ने बताया कि हमारी मझिली बहू प्रसव से पीडि़त थी। जिसको जिला अस्पताल लाने के लिए हमने 108 एम्बुलेंस को फोन किया। तो 108 एम्बुलेंस के वाहन चालक ने बताया कि ज्यादातर वाहन खराब हैं और एक वाहन खड़ी है लेकिन उसका चालक नहीं है। इस वजह से उसने वहां जाने से मना करते हुए कहा कि आप अपनी खुद की व्यवस्था से जिला चिकित्सालय लेकर जायें। उन्होंने आगे बताया िइस दौरान हमने कई बार 108 एम्बुलेंस वाहन को फोन कर करीब तीन घण्टे तक इंतजार किया। लेकिन उक्त वाहन नहीं आया। जिससे मजबूरन हम अपनी बहू को मोटर साइकिल में बैठाकर पचौर तिराहा तक लेकर आया। इसके बाद वहां से किराये से बुलोरो वाहन बुक कर अपनी बहू को जिला अस्पताल लेकर आया हूॅ। जहां जिला चिकित्सालय में स्ट्रेचर की व्यवस्था न होने के कारण हमें अपनी बहू को गोद में उठाकर मेटरनिटी वार्ड में पहुंचाना पड़ा। हम गरीब तबके के लोग हैं और 108 एम्बुलेंस वाहन के न मिलने के कारण किराये का वाहन करने से तकरीबन 5 हजार रूपये हमारे खर्च हो चुके हैं। जबकि म.प्र.शासन स्वास्थ्य व्यवस्था को बेहतर किये जाने के लिए करोड़ों रूपये खर्च करता है इसके बाद भी यदि 108 एम्बुलेंस वाहन न मिले और जिला अस्पताल में स्ट्रेचर की व्यवस्था न हो तो यह स्वास्थ्य महकमा पर सवालिया निशान खड़ा करता है कि जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था कितनी अच्छी है। यह बात जिला अस्पताल में आये मरीजों के परिजनों से पता चलता है। जबकि स्वास्थ्य महकमा जिला अस्पताल की व्यवस्थाओं को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त है कि अस्पताल की व्यवस्थाओं में किसी तरह की कोई कमी नहीं है।