समाजसेवी का अनशन समाप्त, तहसीलदार के लिखित आश्वासन पर भूख हड़ताल टूटी, अवैध कब्जे का मामला कलेक्टर के सामने जाएगा
टीकमगढ़।
दिगौड़ा ग्राम पंचायत की शासकीय भूमि से कथित अवैध कब्जा हटाने की मांग को लेकर चल रहा समाजसेवी रमाशंकर पस्तोर का धरना सोमवार देर रात समाप्त हो गया। तहसीलदार प्राची जैन द्वारा लिखित आश्वासन देने के बाद पस्तोर ने अपना अनशन तोड़ा। प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि सम्बंधित भूमि शासकीय है और अतिक्रमण संबंधी मामला अब कलेक्टर स्तर पर विचार के लिए प्रस्तुत किया जाएगा।
रमाशंकर पस्तोर ने सोमवार शाम करीब 4 बजे दिगौड़ा बस स्टैंड परिसर में अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू की थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि जैन धर्मशाला के सामने स्थित शासकीय भूमि पर अतिक्रमण कर दीवार खड़ी कर दी गई है। पस्तोर का कहना है कि इस भूमि पर पूर्व में वेदी माता स्थित थीं, जिन्हें दीवार निर्माण के दौरान दबा दिया गया।
देर रात करीब 10 बजे तहसीलदार प्राची जैन धरना स्थल पहुंचीं और पस्तोर से चर्चा की। बातचीत के दौरान पस्तोर ने सरकारी अभिलेखों और वर्ष 1993 में संयुक्त कलेक्टर के आदेश का हवाला दिया, जिसमें उक्त भूमि को शासकीय दर्ज किया गया था। प्रशासन द्वारा स्थल और रिकॉर्ड के परीक्षण के बाद तहसीलदार ने लिखित रूप से आश्वासन दिया कि प्रकरण को कलेक्टर के समक्ष रखा जाएगा और कलेक्टर के निर्देश के अनुसार आगे की कार्रवाई होगी। इस आश्वासन के बाद रमाशंकर पस्तोर ने अपना अनशन समाप्त कर दिया।
बताया गया कि जैन धर्मशाला की भूमि खसरा नंबर 664 में दर्ज है, जबकि उसके सामने की शासकीय भूमि खसरा नंबर 716 है। पस्तोर का आरोप है कि इसी भूमि पर जैन समाज के कुछ लोगों ने दीवार बनाकर कब्जा कर लिया, जिससे वेदी माता का प्राचीन स्थल विलुप्त हो गया। इस मामले को लेकर पूर्व में भी सामाजिक स्तर पर चर्चा होती रही है, परंतु प्रशासनिक कार्रवाई की मांग पहली बार इस तरह मुखर हुई।
धरना समाप्त होने के साथ ही अब निगाहें कलेक्टर कार्यालय की ओर हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि प्रशासनिक स्तर पर निष्पक्ष जांच और कार्रवाई होती है तो न केवल इस प्रकरण का समाधान होगा, बल्कि आगे ऐसे विवादों में स्पष्ट संदेश भी जाएगा कि शासकीय भूमि पर किसी भी प्रकार का अतिक्रमण बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।