नगर निगम के दावे फेल,पानी की कालाबाजारी कर मालामाल हो रहे कारोबारी
सिंगरौली 3 जून नगर पालिका निगम सिंगरौली में गर्मी शुरू होने से लेकर अब जब मानसून आ रहा है लेकिन पानी की किल्लत अभी भी कम नहीं हुई है नगर निगम भले ही दावा करे कि हम मीठा जल हर घर में पहुंचा रहे हैं लेकिन उसके दावों की पोल खोल रहे हैं पानी का कालाबाजारी कर मालामाल हो रहे कारोबारी. जिले में मात्र दो आरो प्लांट ऐसे हैं जिन्होंने नियम से लाइसेंस लेकर काम कर रहे हैं बाकी सब अवैध है. बता दे कि गर्मी शुरू होते ही जिले के लोग बूंद-बूंद पानी के लिए संघर्ष करने लगे हैं. पानी के लिए मारामारी मची है. वहीं कुछ लोग पानी बेचकर मोटी रकम कमा रहे हैं। आर-ओ पानी अवैध तरीके से बेचा जा रहा है. सिंगरौली जिले की बैढ़न मुख्यालय में एक दर्जन जगहों पर यह प्लांट लगा रखे हैं. कुछ कारोबारियों के पास ना तो लाइसेंस है और ना ही एनओसी यह धंधा अवैध है लेकिन खुले हम और बेखौफ हो रहा है. मुख्यालय में आधा दर्जन आर-ओ प्लांट मुख्यालय के बिलौंजी स्थित ग्रीन वैली, लाइव प्लस,ढोली,नवानगर, विन्ध्यनगर, जायका होटल के बगल में,शासन,बरगवा,मोरवा,मेढौली,जयंत में अवैध तरीके से आर-ओ पानी बेचने का प्लांट लगा हुआ है। हैवी बोरिंग कराकर कारोबारी धरती का पानी निकालकर उसे फिल्टर करते हैं. इसके बाद उसे चिलर में डालकर ठंडा करते हैं. इसी पानी को कूल केज व ट्रांसपेरेंट बोतल में भरकर 25 से 30 रुपये में बेचते हैं. देवसर,वरगवा में भी हैं, जहां आरओ प्लांट तीन व चार-चार हैं. कारोबारी शादी-ब्याह में भी पानी की सप्लाई का आर्डर लेते हैं. गिरते भू-जल स्तर के कारण जिले में पानी की भयावह स्थिति है. 150 से 200 फिट की बोरिंग वाले हैंडपंप पानी छोड़ दे रहे हैं. स्थानीय लोगों ने बताया कि महापौर बंगला लाइन में पानी सुबह दोपहर और शाम 3:00 टाइम पानी की सप्लाई होती है. लेकिन अन्य जगह बाम उसके लिए एक जगह भी पानी आ जाए तो लोगों की मन्नत पूरी होने जैसी दिखती है सूत्र बताते हैं कि मुख्यालय के कई इलाके ऐसे हैं,जहां पानी दिन में एक बार ही आता है. अब नगर निगम अपनी खुद की पीठ थपथपा रही है कि हम हर घर में मिठाई पहुंचा रहे हैं. यह बड़ा हास्यास्पद लगता है आने वाले समय में सिंगरौली में भी पानी के लिए एक बड़ा आंदोलन हो सकता है बूंद-बूंद पानी के लिए गांवों में हाहाकार
बूंद-बूंद पानी के लिए गांवों में हाहाकार शुरू हो गया और कारोबारी धरती का पानी निकालकर बेच रहे हैं. इसके बदले वह मोटी रकम भी कमा रहे हैं. यह सारा खेल अवैध है. किसी के पास पानी बेचने का लाइसेंस नहीं है. न ही पानी की जांच कराकर किसी ने एनओसी ली है. चार साल से आर-ओ पानी बेचने का खेल शुरू है. एक भी प्लांट की अधिकारियों ने जांच नहीं की है. प्रतिदिन हजारों लीटर पानी बेचा जा रहा है. पानी गुणवत्ता युक्त है या नहीं. अधिकारियों को इससे कोई मतलब नहीं है. वह इस अवैध धंधे का तमाशा देख रहे हैं. आर-ओ पानी बेचने का क्या है मानक आर-ओ प्लांट लगाकर ब्यूरो आफ इंडियन स्टैंडर्ड की (बीओआईएस) अनुमति लेनी पड़ती है. बीओआईएस से अनुमति मिलने के बाद खाद्य सुरक्षा अधिकारी लाइसेंस देते हैं. आरओ-प्लांट की फर्म का सेल्स टैक्स देना पड़ता है. श्रम विभाग में प्लांट में काम करने वाले कर्मियों का रजिस्ट्रेशन कराना पड़ता है. आर-ओ प्लांट के पानी की हर माह जांच रिपोर्ट भेजनी पड़ती है. आर-ओ प्लांट चलाने के लिए कामर्शियल विद्युत कनेक्शन होना चाहिए.
इनका कहना है वर्तमान समय में डिब्बों में पानी भरकर बेचने वालों के लिए भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण द्वारा कोई स्टैंडर्ड निर्धारित नहीं है कमेटी की प्रोसेस चल रही है जल्द ही बंद डिब्बो में पानी बेचने वाले कारोबारी इसके अंदर आ जाएंगे. और हम इन मानक विहीन कारोबारियों पर अंकुश लगा पाएंगे