फ्रॉडो से जुड़ा है शालाओं के रेनोवेशन कार्य का कनेक्शन आरईएस सिंगरौली के कार्यपालन यंत्री समेत कई पूर्व में पदस्थ अधिकारियों की भूमिका संदेह की घेरे में

फ्रॉडो से जुड़ा है शालाओं के रेनोवेशन कार्य का कनेक्शन आरईएस सिंगरौली के कार्यपालन यंत्री समेत कई पूर्व में पदस्थ अधिकारियों की भूमिका संदेह की घेरे में

सिंगरौली जिले के 241 शासकीय शालाओं के मरम्मत/रेनोवेशन कार्य निर्माणाधीन होने के बाद विभाग के अधिकारियों की कार्यप्रणाली परत दर परत कारनामे खुलने लगी हैं। उक्त अधिकांश कार्य जेल की हवा खाने वाले फ्रॉडो से कनेक्शन जुड़ा हुआ है। हालांकि इस मामले में कार्यपालन यंत्री किसी भी प्रकार की जानकारी देने से कतरा रहे हैं और विद्यालयों के मरम्मत कार्य कार्यपालन यंत्री के लिए गले का फ ांस बनता जा रहा है।
गौरतलब है कि पिछले वर्ष 2024 सितम्बर एवं अक्टूबर महीने में चितरंगी विकासखण्ड अतंर्गत 144 शासकीय शालाओं के मरम्मत एवं रेनोवेशन कार्य के लिए 2 करोड़ 88 लाख रूपये की मंजूरी जिला खनिज प्रतिष्ठान मद से मिली थी। वहीं इसके पूर्व 2 सितम्बर 2024 को जिले के 97 शासकीय शालाओं के मरम्मत कार्य के लिए करीब 1 करोड़ 94 लाख रूपये की मंजूरी एवं प्रशासकीय स्वीकृति प्रदान की गई। मरम्मत कार्य विद्यालयों की संख्या 241 हैं और कुल रकम 4 करोड़ 82 लाख रूपये की प्रशासकीय स्वीकृति मिली थी और क्रियान्वयन एजेंसी जिला प्रशासन ने ग्रामीण यांत्रिकी सेवा संभाग सिंगरौली को बनाया था। शासकीय प्राथमिक-माध्यमिक विद्यालयों के मरम्मत/रेनोवेशन कार्य पूर्ण कराने के लिए एक समय सीमा भी निर्धारित की गई थी। लेकिन आरईएस विभाग के कार्यपालन यंत्री मनोज बाथम ने उक्त कार्यो को पूर्ण नही करा पाया। हालांकि प्रशासकीय स्वीकृति मिलने के बाद उक्त भवनो के मरम्मत कार्य के लिए डीएमएफ से प्रथम किस्त के रूप में करीब 40 प्रतिशत रकम हासिल भी प्रदान की गई। किंतु डीएमएफ से दूसरी किस्त नही मिल पाई। सूत्र बता रहे हैं कि अधिकाश्ंा भवनों के मरम्मत का कार्य ऐेसे फ्रॉडो को दिया गया, जो जेल की हवा खॉ चुके हैं। हालांकि यह ठेकेदार नही थी, भोपाल के एक सेवानिवृत्ति महिला आईएएस का धौस दिखाकर और उन्ही के सहारे कार्य भी हासिल कर रहे थे अधिकारी भी दबाव में फ्रॉडों को डीएमएफ का कार्य भी पर्दे के पीछे सौप दे रहे थे। हालांकि रिकॉर्ड में फ्रॉडो का नाम शामिल नही है। लेकिन जिले के कुछ अधिकारी फ्रॉडों के इशारे पर कार्य कर रहे थे। यह फ्रॉड कौन थे वह जगजाहिर है। नवागत कलेक्टर ने ऐसे फ्रॉडो की कलई भी खोल दिया है।
दलालों के चक्कर में राशि की बंदरबांट
जिले के 241 विद्यालयों के मरम्मत व रेनोवेशन कार्य के लिए 4 करोड़ 82 लाख रूपये की प्रशासकीय स्वीकृ ति मिली थी। सूत्र बताते हैं कि करीब डीएमएफ राशि की बंदरबांट करने के लिए एक योजना थी। दलालों के साथ-साथ खुद लाभ लेने के लिए इस तरह की योजना बनाई गई। जबकि यहां बताते चले कि 2016-17 में करीब-करीब अधिकांश विद्यालयों का मरम्मत कार्य हुआ था, उसमें भी डीएमएफ से करोड़ों रूपये की बंदरबांट हुई थी और इस बार भी इसी तरह की तरकीब निकाली गई। हालाकि गनिमत यही रही कि अभी तक मात्र 40 फीसदी राशि ही खर्च हुई है। इधर चर्चा होने लगी है कि उक्त कार्यो की उच्च स्तरीय की जांच हो, तभी सच्चाई सामने आ सकती है।
दूसरी किस्त के भुगतान में कलेक्टर बने थे रोड़ा
सूत्र बता रहे हैं कि क्रियान्वयन एजेंसी आरईएस को उक्त कार्य के लिए प्रथम किस्त के रूप में 40 फीसदी रकम डीएमएफ से मिल गई थी। जहां चर्चित फ्रॉडो को 144 शासकीय विद्यालयों के मरम्मत कार्यो में से करीब सवा सौ मरम्मत कार्य चर्चित फ्रॉड को कार्य सौपा गया था। हालांकि रिकॉर्ड में कहीं जिक्र नही था। दलालों ने अधिकारियों का धौस दिखाकर बिना मरम्मत कार्य एवं रेनोवेशन कराए ही विद्यालयों के प्रधानाध्यापको से एनओसी हासिल कर लिया और मूल्याकंन भी कराने में सफल हो गये। दूसरी किस्त की डिमाड की डीएमएफ से की गई, लेकिन सूत्र बताते हैं कि तत्कालीन कलेक्टर चन्द्रशेखर शुक्ला ने शेष 60 प्रतिशत भुगतान करने में रोड़ा डाल दिये। कलेक्टर ने भुगतान पर रोक क्यों लगाया, वह भी जग जाहिर है। इसे तो कलेक्टर एवं कार्यपालन यंत्री ही असली वजह बता पाएंगे।