शिक्षक दिवस पर हिंडालको महान ने 65 शिक्षकों व 25 शिक्षिकाओं को किया सम्मानित
ज्ञान ही इंसान को जीने योग्य जीवन की सीख देता है। जिस प्रकार एक शिल्पकार पत्थर को आकार देता है,और कच्ची मिट्टी को तपाकर उसके विकारों को दूर करता है। ठीक उसी प्रकार एक शिक्षक भी छात्रों के अवगुणों को दूर कर काबिल बनाता है। शिक्षक दिवस सिर्फ एक दिन शिक्षको के सम्मान के लिये नही,बल्की सफल जीवन मे लिये उन्हें याद करने के लिये होता है जिन्होंने आपके सफलता में अहम भूमिका निभाई है।हिंडालको महान प्रतिवर्ष इस मौके पर उन शिक्षकों को सम्मानित करता रहा है,जिन्होंने शिक्षा को ब्यवसाय नही कर्तब्य मानकर छात्रो के जीवन मे ज्ञान का प्रकाश डालने का काम किया है। इस अवसर पर हिंडालको महान के कंपनी प्रमुख सेन्थिलनाथ व मानव संसाधन प्रमुख बिश्वनाथ मुखर्जी ने भी हिंडालको महान द्वारा संचालित आदित्य बिड़ला पब्लिक स्कूल में कार्यरत शिक्षिकाओं को सम्मानित किया और अपने संदेश में भविष्य के निर्माण करने वाले शिक्षकों के प्रति आभार ब्यक्त किया। वही सी.एस.आर.विभाग द्वारा आयोजित शिक्षक सम्मान कार्यक्रम में हिंडालको महान के मानव संसाधन विभाग के महाप्रबंधक व्योमकेश मोहंती,सिविल विभाग प्रमुख अभ्यानंद चतुर्वेदी मुख्य अतिथि के रूप में सी.एम.राइज स्कूल बरगंवा व हिंडालको महान के विस्थापित कालोनी में संचालित सरस्वती शिशु मंदिर स्कूल मझिगवां के शिक्षक शिक्षिकाओं का सम्मान कार्यक्रम आयोजित किया गया।सी.एम.राइज स्कूल में शिक्षकों को सम्मानित कार्यक्रम में शीतल श्रीवास्तव द्वारा सी.एस.आर.विभाग प्रमुख संजय सिंह द्वारा शिक्षको को प्रेषित संदेश को पढ़ा और शिक्षकों को पारितोषिक देकर सम्मानित किया गया,इसके पश्चात कार्यक्रम के मुख्य अतिथि ब्योमकेश मोहंती ने कहा कि शिक्षक ज्ञान का वह अविरल स्रोत है, जो लाखों छात्रों के भाग्य का निर्माण करता है। वह ज्ञान का एक ऐसा भंडार है, जो दूसरों को बनाने में स्वयं मिट जाता है। कहा जाता है कि, एक बच्चे के जन्म के बाद उसकी मां पहली गुरू होती है, जो अक्षरों का बोध कराती हैं। वहीं दूसरे स्थान पर शिक्षक होते हैं, जो हमें काबिल बनाते हैं और सांसारिक बोध कराते हैं। कार्यक्रम का संचालन करते हुये सी.एस. आर.विभाग से बीरेंद्र पाण्डेय ने कहा कि जिंदगी के इम्तिहान में शिक्षकों के सिखाए गए सबक हमें सफलता की बुलंदियों पर ले जाते हैं। प्राचीन काल से ही गुरुओं का हमारे जीवन में विशेष योगदान रहा। भारत में प्रतिवर्ष शिक्षकों के सम्मान में 5 सितंबर को टीचर्स डे मनाया जाता है। इस दिन शिक्षकों को समाज के विकास में उनके अनकहे योगदान के लिए सम्मानित किया जाता है।वही हिंडालको महान के विस्थापित कालोनी मझिगँवा के सरस्वती शिशु मंदिर स्कूल में आयोजित शिक्षक सम्मान कार्यक्रम में सर्व प्रथम सर्वपल्ली राधाकृष्णन के तस्वीर पर पुष्प अर्पित करने के पश्चात अपने विचार रखते हुये सिविल विभाग प्रमुख अभ्यानंद चतुर्वेदी ने हम होंगे कामयाब गीत गाकर बच्चो में उत्साह बढ़ाया,और कहा कि स्वतंत्र भारत के पहले उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्म जयंती के उपलक्ष्य में शिक्षक दिवस मनाया जाता है। 1962 में जब डॉ. साहब ने भारत के दूसरे राष्ट्रपति के रूप में पद ग्रहण किया, तब उनके कुछ मित्र, शिष्य और सगे संबंधी उनका जन्मदिवस मनाने के लिए उनके पास आए और उनसे अनुरोध किया कि वो उन्हें जन्मदिन मनाने की अनुमति दें। लेकिन डॉ. साहब की सादगी ने यहां भी सबको मोहित कर दिया ।उन्होंने कहा कि मेरे जन्मदिवस को अलग से मनाने के बजाए, इस दिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाएं। यही कारण है कि प्रत्येक वर्ष 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है।आज के कार्यक्रम में उपस्थित सभी शिक्षकों का मैं सम्मान करते हुये मुझे प्रसन्नता हो रही है ,जिस प्रकार एक पत्थर को मूर्तिकार भगवान का स्वरूप देकर पूज्यनीय बना देता है,उसी प्रकार आप लोग इन बच्चो में आने वाले भविष्य की तकदीर गढ़ने का काम कर रहे हैं जो सम्मान के पात्र हैं ।कार्यक्रम के अंत मे समस्त शिक्षको को पारितोषिक देकर उन्हें सम्मानित किया गया,कार्यक्रम के अंत मे दोनों विद्यालय के प्राचार्य ने शिक्षकों के प्रति हिंडालको महान द्वारा किये गये सम्मान के प्रति आभार ब्यक्त किया गया ।वही कार्यक्रम को सफल बनाने में विजय वैश्य,धीरेन्द्र तिवारी,शीतल श्रीवास्तव,देवेश त्रिपाठी, व भोला वैश्य,प्रभाकर बैश्य,अरविंद बैश्य का विशेष योगदान रहा।