आए दिन लग रहे जाम और भारी प्रदूषण से मोरवा की जनता हुई त्रस्त कोल वाहनों के लिए नहीं बना कोई वैकल्पिक मार्ग
जिला मुख्यालय से जोड़ती हर सड़कें तो चमचमाती सी दिखती है परंतु कोल नगरी के मुख्यालय से प्रसिद्धि पाए सिंगरौली जिले की पहचान रहा मोरवा अब टापू सा बनता नजर आ रहा है जहां पहुंचने का किसी भी तरफ से सुगम मार्ग नहीं है। आलम यह है कि मोरवा को जोड़ती हर सड़क पर आए दिन लंबे जाम की स्थिति निर्मित होती रहती है। घंटों लगते इस जाम में लोगों को पिसना पड़ता है। साथ ही कोल वाहनों की आवाजाही से भारी प्रदूषण भी होता है, जिसके लिए एनसीएल प्रबंधन कोई व्यवस्था करता नहीं दिखता। जयंत रेलवे साइडिंग एवं महदईया से रेलवे साइडिंग में कोल ट्रांसपोर्टेशन को लेकर एनसीएल प्रबंधन की तरफ से कोई भी वैकल्पिक मार्ग तैयार नहीं किया जा सका है। हालांकि कुछ माह पूर्व जयंत से रेलवे साइडिंग के बीच वैकल्पिक मार्ग को लेकर एनसीएल प्रबंधन के अधिकारी भूमि पूजन कर वाहवाही लूटते नजर आए थे यह मार्ग भी केवल कागजों तक सीमित दिख रहा है जिस कारण प्रतिदिन इन सड़कों पर जाम की स्थिति निर्मित रहती है। ऊपर से सिंगरौली सीधी मार्ग पर कछुए की चाल से हो रहे कार्य से लोग और परेशान हैं। मौजूदा ठेकेदार तिरुपति बिल्डकॉन द्वारा रेलवे स्टेशन से आगे मार्ग को काटकर छोड़ दिया गया है। जिस कारण जहां छोटी वाहनों की आवाजाही में खासी परेशानी झेलनी पड़ती है। साथ ही कई बार लोग इसमें गिरकर चोटिल भी होते हैं। सिंगरौली गोरबी मार्ग पर जहां गुरुवार देर शाम से लगा जाम शुक्रवार की सुबह खुल सका, वहीं भारी प्रदूषण के कारण सिंगरौली गोरबी मार्ग पर स्थानीय पत्रकार *बृजमोहन सिंह* गिरकर चोटिल भी हो गए। घटना में चोटिल बृजमोहन को स्थानीय लोगों ने किसी प्रकार प्राथमिक इलाज हेतु केंद्रीय चिकित्सालय सिंगरौली पहुंचाया। वही शुक्रवार दोपहर से ही सिंगरौली जयंत मार्ग पर लोग जाम में फंसे रहे धीरे-धीरे सरकती गाड़ियों के कारण लोगों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ा। यह जाम करीब 5 घंटे तक लगा रहा। आए दिन लग रहे इस प्रकार के जाम और कोयले से हो रहे प्रदूषण से स्थानीय जनता त्रस्त हो चुकी है।