सिंगरौली में केले के नाम पर परोसा जा रहा जहर,नहीं हो रही कार्रवाई

सिंगरौली में केले के नाम पर परोसा जा रहा जहर,नहीं हो रही कार्रवाई

सिंगरौली 18 अक्टूबर सावधान हो जाइए,जिन फलों को आप लोग सेहतमंद समझ कर सेवन करते हैं। वे घातक रसायन से पकाए जा रहे हैं। ऐसे में फल सेहत के लिए लाभदायक कम हानिकारक ज्यादा है। जिले के कई इलाकों में कार्बाइड से केले पकाने का कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है। इन दिनों व्रत के दौरान फलों की ज्यादा मांग को देखते हुए कार्बाइड से कच्चे केले को कुछ ही घंटों में पकाकर बाजारों में जहर के रूप में परोसा जा रहा है।लेकिन मिलावट के इस दौर में बाजार में बिक रहे केमिकल्स से पकाए गए फलों का उपयोग लोगों के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव डाल रहा है। सीताफर, केला आदि फलों को घातक रसायन से पकाकर धड़ल्ले से बेचा जा रहा है, लेकिन इसके बावजूद भी विभागीय अधिकारियों द्वारा कार्रवाई नहीं की जा रही हैबाजार में हानिकारक रसायन द्वारा कृत्रिम तरीके से फलों को पकाकर आकर्षक बनाकर बेचा जा रहा है। अधिक मुनाफे के लिए किये जा रहे स्वास्थ्य के कारोबार पर खाद्य पदाधिकारी मौन बने बैठे हैं। विभागीय अधिकारी पिछले कुछ वर्षों से खाद्य सुरक्षा के लिए होटल, रेस्टोरेंट या बाजार में बिक रहे मिलावटी सामान को लेकर गंभीर नहीं दिख रहे हैं, जिस वजह से मिलावटी माफिया के हौंसले दिन-प्रतिदिन बुलंद होते जा रहे है। समय रहते अगर ठोस कदम नहीं उठाया गया तो आने वाले दिनों में गंभीर परिणाम देखने को मिल सकता है।सेहत के लिए घातक बता दें कि पीला और सुंदर दिखने वाला केला लोगों का ध्यान तो अपनी ओर खींचता है, लेकिन यह केला सेहत के लिए घातक साबित हो सकता है। खासकर त्योहार के दिनों में फलों को पकाने के लिए कार्बाइड का उपयोग दूसरे दिनों के मुकाबले अधिक किया जाता है। बाजारों से चित्तीदार छिलकेवाला केला गायब है, अब हर कहीं हरा और पीला केला ही नजर आता है।
इन इलाकों में हो रहा कारोबार
फल मंडी और लोकल बाजारों के आसपास कुछ ही घंटों में हरे केले को पीला बनाने के काम को अंजाम दिया जा रहा है। बैढ़न बस स्टैंड, गनियारी, बिलौजी, नवानगर, जयंत, विन्ध्यनगर, मोरवा और परसौना में यह कारोबार धड़ल्ले से हो रहा है। यहां ट्रकों से उतरता तो हरा केला है, लेकिन कुछ ही घंटों के बाद इन केलों को कार्बाइड से पकाकर बाजारों में बेच दिया जाता है। इस खेल से अनजान लोग केले का इस्तेमाल खूब कर रहे हैं।
केमिकल से पका रहे फल
फलों को पकाने के लिए मुख्य तौर पर कैल्शियम कार्बाइड, एसिटिलीन, एथिलीन, प्रॉपलीन, इथरिल, ग्लाइकॉल व एथनॉल का प्रयोग धड़ल्ले से हो रहा है। इनमें से कैल्शियम कार्बाइड के हानिकारक असर को देखते हुए एमपी में इसे प्रतिबंधित कर दिया गया है लेकिन आज भी फल विक्रेता फलों को कृत्रिम तरीके से पकाने के लिए कैल्शियम कार्बाइड का उपयोग धड़ल्ले से कर रहे हैं। लिहाजा ऐसे फलों के सेवन से गंभीर बीमारियां के होने का खतरा बढ़ जाता है। कारोबारी नियमों को दिखा रखेंगे सिंगरौली के कारोबारी नियमों को ठेंगा दिखा रहे हैं। विक्रय प्रति शेष एवं निर्बन्ध विनियम 2011 के अनुसार फलों के प्राकृतिक स्वरूप से छेड़छाड़ उन्हें कार्बाइड से पकाने या वैक्स कोडिंग पर पूर्णतथ प्रतिबंध है। ऐसा करने पर खाद्य सुरक्षा मानक अधिनियम 2011 की धारा 58 के तहत कार्रवाई का प्रावधान है।खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम 2006 के अनुसार असुरक्षित खाद्य पदार्थ, अमानक खाद्य और मिथ्या छापा के साथ अमान्य खा पदार्थ बेचने पर धारा 26 और 27 के तहत कार्रवाई का प्रावधान है।