पत्रकारिता : समाज का दर्पण और लोकतंत्र का चौथा स्तंभ
पत्रकारिता किसी भी लोकतांत्रिक देश की आत्मा होती है। इसे समाज का चौथा स्तंभ कहा गया है, क्योंकि यह विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका की तरह ही जनता के अधिकारों की रक्षा करती है। पत्रकारिता का मूल उद्देश्य है – सत्य का प्रसार, जनजागरण और समाज में नैतिक चेतना का निर्माण।एक सच्चा पत्रकार समाज की आँखें, कान और जुबान होता है, जो जनता की समस्याओं को पहचानता है और उन्हें शासन तक पहुँचाता है।
पत्रकारिता का इतिहास और विकास
भारत में पत्रकारिता की शुरुआत 18वीं शताब्दी में हुई जब जेम्स ऑगस्टस हिक्की ने 1780 में ‘हिकीज बंगाल गजट’ नामक पहला अख़बार प्रकाशित किया। तब से लेकर आज तक पत्रकारिता ने लंबी यात्रा तय की है — हस्तलिखित पन्नों से लेकर आज के डिजिटल न्यूज़ पोर्टल्स और सोशल मीडिया तक।
आज के युग में पत्रकारिता का स्वरूप अत्यंत व्यापक हो चुका है। प्रिंट, रेडियो, टेलीविज़न, डिजिटल प्लेटफॉर्म और मोबाइल ऐप — सब पत्रकारिता के नए माध्यम बन चुके हैं। अब समाचार का प्रसारण केवल कुछ लोगों तक सीमित नहीं, बल्कि हर नागरिक तक पहुँचने लगा है।
पत्रकार की भूमिका और जिम्मेदारी
पत्रकार का कार्य केवल समाचार देना नहीं, बल्कि उसे सत्य, सटीकता और निष्पक्षता के साथ प्रस्तुत करना है। उसे सत्ता के विरुद्ध भी सत्य बोलने का साहस रखना चाहिए।
एक सच्चा पत्रकार समाज के अन्याय, शोषण और भ्रष्टाचार को उजागर करता है। वह गरीबों की आवाज़ बनता है, और जनहित के मुद्दों को सामने लाता है। पत्रकारिता का दायित्व है — जनता को सही जानकारी देना, ताकि वह जागरूक होकर अपने अधिकारों का उपयोग कर सके।
आधुनिक पत्रकारिता की चुनौतियाँ
जहाँ एक ओर तकनीक ने पत्रकारिता को तेज़ और सुलभ बनाया है, वहीं दूसरी ओर कई नई समस्याएँ भी खड़ी की हैं। आज पत्रकारिता को फेक न्यूज़, भ्रामक प्रचार, टीआरपी की दौड़, और राजनीतिक या आर्थिक दबावों जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
कई बार खबरों में संवेदनशीलता की कमी और व्यावसायिक लाभ की प्रवृत्ति भी दिखाई देती है। इस कारण जनता का भरोसा कमज़ोर होता जा रहा है। ऐसे समय में पत्रकारों के लिए जरूरी है कि वे अपने नैतिक मूल्यों और पत्रकारिता के आदर्शों को बनाए रखें।
सकारात्मक पत्रकारिता की आवश्यकता
पत्रकारिता केवल आलोचना का माध्यम नहीं, बल्कि समाधान का भी मार्ग दिखाने वाली शक्ति है। यदि पत्रकार सकारात्मक दृष्टिकोण से कार्य करें, तो समाज में एक नई सोच और नई ऊर्जा का संचार हो सकता है।
पत्रकारिता में संवेदनशीलता, सत्यनिष्ठा, और मानवीय दृष्टिकोण का होना आवश्यक है। तभी वह समाज को सही दिशा दे सकती है।
निष्कर्ष
अंततः कहा जा सकता है कि पत्रकारिता लोकतंत्र की आत्मा है। यह जनता की आवाज़ और सच्चाई का दर्पण है। जब पत्रकारिता निष्पक्ष, निर्भीक और जनसेवा की भावना से प्रेरित होकर कार्य करती है, तब समाज में न्याय, समानता और जागरूकता का प्रकाश फैलता है।
सच्ची पत्रकारिता वही है जो सत्ता के सामने झुके नहीं, सत्य के लिए लड़े, और समाज को जागरूक बनाए।
जैसा कि कहा गया है —
“कलम में ताकत है, जो तलवार से भी अधिक है; अगर वह सत्य और जनहित के लिए चले, तो समाज को नया भविष्य दे सकती है।”
वरिष्ठ पत्रकार राजेन्द्र शर्मा
बैरसिया भोपाल म. प्र .