ब्लॉक बी परियोजना में बढ़ते प्रदूषण से लोगों का जीना हुआ दुभर

ब्लॉक बी परियोजना में बढ़ते प्रदूषण से लोगों का जीना हुआ दुभर

सिगंरौली जिले में स्थापित मिनी रत्न कंपनी नार्दन कोलफील्ड लिमिटेड (एनसीएल) की *ब्लॉक बी गोरबी परियोजना* में बढ़ते प्रदूषण से आसपास की भूमि तो बंजर हो ही रही है। साथ ही लोगों की सेहत पर भी इसका भारी असर पड़ रहा है। ब्लॉक बी परियोजना गोरबी खदान में पत्थर तोड़ने के उपयोग होने वाली विस्फोटक सामग्री से लेकर ब्लाक बी खदान से वाहनों द्वारा आम सड़क मार्ग से कोल परिवहन में लगे वाहनों के चक्के दिनभर धुआं, प्रदूषण उगल रहे है। रोचक बात यह है कि वाहनों से फैल रहे प्रदूषण को रोकने के लिए एनसीएल प्रबंधन कागजों में हर संभव कदम उठा रहा है, लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि उड़ती धूल से होने वाली बीमारियों और वायु प्रदूषण पर अंकुश लगाने को लेकर कोई भी अधिकारी सजग नहीं है।
कोविड-19 महामारी के दौरान लाकडाउन में ब्लॉक बी परियोजना द्वारा सीएसआर फंड से राशन वितरण किया जा रहा है परंतु महामारी को रोकने के लिए सैनीटाईजेशन तो दूर पानी का भी छिड़काव तक नही किया जा रहा। जबकी नियमतः इन क्षेत्रों में प्रतिदिन वाटर स्प्रिंकलर द्वारा पानी का छिड़काव कर प्रदूषण को नियंत्रण में रखना जरूरी है।

*प्रदूषण से बीमार होती पीढ़ी*
ब्लॉक बी गोरबी खदान से लगे गांव में लोग श्वांस की समस्या से ग्रस्त हो गये है। उनका कहना है कि वह खेत में काम करते है, फसलों पर जमा धूल से उसे एलर्जी हो गई है, अब हर दिन शाम को उसे श्वास चलती है। विस्फोटक पदार्थ का हिसाब नहीं ब्लॉक बी गोरबी प्रबंधन की ओर से पत्थर की खुदाई में उपयोग होने वाले विस्फोटक पदार्थ से होने वाले प्रदूषण की जांच कराने में लापरवाही बरती जा रही है। पिछले 10 साल से निरंतर प्रबंधन की ओर से कोयला निकालने के लिए विस्फोट किए जा रहे हैं, मगर इसके पैमाने की जांच नहीं कराई जा रही है। जिसकी वजह से गोरबी, सोलंग, ठुरुआ, पड़री, दादर, रामपुरवा, राजखड़ इत्यादि आसपास के दर्जनों गावों के रहवासी अनेक प्रकार की तकलीफें झेल रहे हैं। वही लोगो ने अपील की है प्रदूषण के इस मुद्दे पर जांच होनी चाहिए।