110 हाई व हायर सेकेण्ड्री विद्यालयों में नहीं हैं स्थायी प्राचार्य प्रभारियों के भरोसे चल रहा विद्यालयों का कामकाज,माध्यमिक विद्यालयों में भी प्रधानाध्यापकों का टोटा,8 साल से नहीं हुई शिक्षकों की पदोन्नति

110 हाई व हायर सेकेण्ड्री विद्यालयों में नहीं हैं स्थायी प्राचार्य प्रभारियों के भरोसे चल रहा विद्यालयों का कामकाज,माध्यमिक विद्यालयों में भी प्रधानाध्यापकों का टोटा,8 साल से नहीं हुई शिक्षकों की पदोन्नति

सिंगरौली 18 जुलाई। केन्द्र एवं प्रदेश सरकार उच्च क्वालिटी की शिक्षा देने का दावा कर रहा है। सरकार का यह दावा केवल कागजों में ही फलीभूति होगा। इसका जीता-जागता उदाहरण जिले के शासकीय हाई एवं हायर सेकेण्ड्री तथा पूर्व माध्यमिक विद्यालयों का है। जहां करीब 170 विद्यालयों में संस्था प्रमुख नहीं हैं। बैशाखी के सहारे विद्यालयों का कामकाज किसी तरह हो रहा है।
दरअसल केन्द्र सरकार ने शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 में तत्कालीन मनमोहन सरकार के कार्यकाल में पारित हुआ था। जहां 6 से 14 आयु वर्ष के बच्चों को नि:शुल्क एवं गुणवत्ता युक्त शिक्षा प्रदान करने का वादा किया गया था। तो वहीं विद्यालयों में शिक्षकों की पर्याप्त संख्या हो अधिनियम में यह भी उल्लेख है। वहीं प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ब्लाक मुख्यालय में सीएम राइज विद्यालय खोले जाने का ऐलान करते हुए तैयारियां शुरू कर दी गयीं। सीएम राइज विद्यालय उच्च क्वालिटी की होंगी। छात्र-छात्राओं को बेहतर हाई क्लास की शिक्षा दी जायेंगी ऐसा दावा किया जा रहा है। ताजुब की बात है कि जिले में हायर सेकेण्ड्री व हाई स्कूल विद्यालयों की संख्या 144 है लेकिन 110 हाई व हायर सेकेण्ड्री विद्यालयों में स्थायी प्राचार्य नहीं हैं। यहां वर्षों से प्रभारी प्राचार्यों के भरोसे पठन पाठन व देख-रेख है। जिला शिक्षा दफ्तर के कार्यालयी सूत्र से मिली जानकारी के मुताबिक जिले में कुल शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों की संख्या 68 है। जिसमें केवल 16 विद्यालयों में ही नियमित प्राचार्य हैं। शेष 52 विद्यालयों में प्रभारी प्राचार्यों के भरोसे छोड़ा गया है। वहीं शासकीय हाई स्कूलों की संख्या 76 है। जिसमें मात्र 18 हाई स्कूल विद्यालयों में स्थायी प्राचार्य हैं। प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक 58 विद्यालयों में वर्षो से प्राचार्य का पद खाली पड़ा हुआ है। वहीं जिले में शासकीय पूर्व माध्यमिक विद्यालयों की कुल संख्या 507 है। जानकारी के अनुसार 60 विद्यालयों में प्रधानाध्यापक नहीं हैं यहां भी प्रभारियों के भरोसे 60 माध्यमिक विद्यालयों का कामकाज किसी तरह हो रहा है। फिलहाल जिले में कक्षा 10 वीं से लेकर 12 तक में 144 में से 110 विद्यालयों में स्थायी प्राचार्य न होने के कारण विद्यालय के पठन-पाठन कार्य भगवान भरोसे है। हालांकि इस वर्ष कोविड-19 के चलते 10 वीं एवं 12 वीं की परीक्षाएं नहीं हुईं। जहां उक्त कक्षाओं में अध्ययनरत सभी छात्रों की किस्मत के दरवाजे अचानक खुल जाने से नैय्या पार हो गयी। अन्यथा 10 वीं 12 वीं का परिक्षा परिणाम अन्य पिछलों वर्षों में कितना प्रतिशत रहा है वह जगजाहिर है।
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पठन-पाठन का कामकाज होता है प्रभावित
जानकारी के मुताबिक शासकीय हायर सेकेण्ड्री व हाई स्कूल विद्यालयों में नियमित प्राचार्यों की पदस्थापना न होने के कारण पठन-पाठन पर व्यापक असर पड़ रहा है। प्रभारी प्राचार्य बताते हैं कि अधिकांशत: जिला मुख्यालयों में बैठक संकुल प्राचार्यो की होती रहती है। कई विद्यालय ऐसे हैं जहां प्रभारी प्राचार्य समेत गिने चुने शिक्षक हैं। संकुल प्राचार्याे के बैठक में चले जाने से पठन-पाठन का कार्य भी प्रभावित होता है। हालांकि कोरोना वायरस पर नियंत्रण पाने के चलते विद्यालयों का संचालन बंद है। अब आगामी दिनों में 9 वीं से लेकर 12 वीं तक की कक्षाएं आरंभ होने वाली हैं। ऐसे में शिक्षकों साथ-साथ स्थायी प्राचार्यों की कमी खलेगी और इसका प्रभाव भी अध्ययनरत छात्र-छात्राओं पर पड़ता दिख रहा है।
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2014 से पदोन्नति पर लगी है ब्रेक
जिले के एक सैकड़ा से अधिक शासकीय हाई एवं हायर सेकेण्ड्री विद्यालयों में एक दशक के अधिक समय से प्राचार्यविहीन हैं। प्रभारी प्राचार्यों के सहारे इन विद्यालयों का किसी तरह पठन-पाठन हो रहा है। वहीं बताया जा रहा है कि करीब 8 साल से शिक्षकों की पदोन्नति के लिए प्रदेश सरकार ने दरवाजा भी नहीं खोले हैं। लिहाजा कई शिक्षक पदोन्नति से वंचित होकर सेवानिवृत्त भी हो चुके हैं। शिक्षकों के पदोन्नति के दरवाजे प्रदेश सरकार कब खोलेगी यह बात दूर-दूर तक नजर नहीं आ रही है।
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इनका कहना है
प्राचार्यों के पद रिक्त होने से शैक्षणिक गतिविधियों से संबंधित संचालित कामकाज व उच्च अधिकारियों के दिशा-निर्देश पालन कराने में तरह-तरह की अड़चने आ रही हैं। फिर भी उच्च अधिकारियों के दिशा-निर्देशों का शत-प्रतिशत पालन किया जा रहा है। जिलेभर में शिक्षकों की भारी कमी है। वर्ष 2014 के बाद शिक्षकों की पदोन्नति भी नहीं हुई है।
आरपी पाण्डेय
डीईओ, सिंगरौली