सेंचुरी सत्याग्रह दिनांक 17/10/2017 से चल रहा है आंदोलन आज 1382 वाँ दिन भी जारी है दिनांक 12/07/2018 से दिनांक 24/03/2020 को,सेंचुरी सत्याग्रह आंदोलन में क्रमिक भूख हड़ताल का 622 वें दिन भी चला है।
लेकिन सेंचुरी यार्न/डेनिम मील के मालिक श्री कुमार मंगलम बिड़ला के कानों में अभी जूँ तक नहीं रेंगी है।
*रोजगार बचाने एवं V.R.Sका विरोध हेतु चेतावनी अनशन जारी है-आज 19 दिन भी जारी है*,
और आगे भी श्रमिकों के एग्रीमेंट का एरियर 2012 से अब तक का एवं मिल चालू नहीं करने तक जारी रहेगा।
दिनांक 29/07/2021 को क्रमिक भूख- हड़ताल पर बैठे सदस्यों के नाम इस प्रकार से हैं:-1- श्री सुरेश पटेल जी,2- श्री राजेंद्र प्रसाद जी,3- श्री हरपाल सिंह जी,4-राजकुमार गुप्ता जी,5-श्री गर्जन पाल जी
आज के मुख्य अतिथि- सेंचुरी परिवार के श्रमिक भाई
*क्या मनजीत कंपनी मिल्स चलाएगी?क्या म,प्र,सरकार बिक्रीनामेकी जांच करेगी???*
आज भी जहां सेंचुरी की यार्न और डेनिम मिल्स चलती रही है। वहां ग्राम सत्राटी जिला खरगोन मध्य प्रदेश। इंदौर मुंबई एक्सप्रेस हाईवे के ही किनारे जारी है, आंदोलन ।
सेंचुरी ने एक बार तो फर्जी बिक्री नामा किया ही था ? दूसरी बार मनजीत ग्लोबल नामक मनजीत कॉटन और मनजीत ग्लोबल को दोनों मिल्स बेचने का दावा किया है , और उन्होंने रजिस्ट्री तो करवा ही ली है, जिसकी जांच जरूरी है। 6 करोड़ की स्टांप ड्यूटी भी उन्होंने भरी है, लेकिन जो जमीन बेची है कुल मिलाकर यार्न की 19 .125 एकड़ और डेनिमकी 64 एकड़ !कुल मिलाकर 84 एकड़ जमीन सेंचुरी की संपदा में शामिल रही है। लेकिन शायद पूरी जमीन नहीं बेची है, यार्न की जमीन कितनी थी, डेनिम की जमीन कितनी थी।???? इसका अधिकृत ब्यौरा हमारे पास होते हुए, रजिस्ट्री कुछ और ही दिखा रही है ,!
साथियों ,इसी संपदा की कीमत पिछली बार 2017 में सेंचुरी ने वेयरइट ग्लोबल को फर्जी बिक्री नामा के तहत बेचने का कारोबार किया था। तब वेयरइट ग्लोबल ने ही पूर्ण रूप से व्यवसायिक से अधिकृत मूल्यांकन के द्वारा 426 करोड़ रु. बताई थी ।जब रजिस्ट्रार, खरगोन ने हमें मूल्यांकन सूचना के अधिकार के तहत करके दिया था तब 105 करोड़ रूपया बताई थी।जो कृषि भूमि व्यावसायिक करवा दी तो क्या औद्योगिक वर्ग में परिवर्तित करनी जरूरी नही थी?
खैर ….व्यावसायिक भूमि की कीमत कृषि भूमि से कहीं ज्यादा है, ऐसी स्थिति में आज मनजीत ग्लोबल और मनजीत कॉटन ने दोनों मिल्सकी पूरी जमीन औद्योगिक नहीं व्यवसायिक की कीमत से ,सरकारी गाइडलाइन तय होती है,उसके आधारित आकी है ???
उन्होंने 62 करोड रुपए में अगर यह पूरी संपदा खरीदी है , तो फिर से क्या यह फर्जीवाड़ा नहीं है? क्या इसकी कम कीमत आंकने की साजिश से शासन को कम रुपए की स्टांप ड्यूटी, और रजिस्ट्रेशन शुल्क भुगतान किया गया है? क्या इसमें अगर करोड़ों रुपए की कमी है तो वह मामला चोरी का अपराधिक प्रकरण साबित नही होता है?
साथियों ,,भूमि पर खड़ी है बड़ी बड़ी बिल्डिंग्स….., फैक्ट्री बिल्डिंग, गोडाउन, मशीनरी, कैंटीन, आवास- श्रमिकों का और कर्मचारियों का ,ईटीपी प्लांट,सुएज ट्रीटमेंट प्लांट….. ये भी तो इसी संपदा का हिस्सा रहे हैं ।
क्या इन इमारतों की गाइडलाइन के आधार पर कीमत आकी गई है? इसे पकड़कर पूरी संपदा की सही और पूरी कीमत सेंचुरी ने मनजीत से पाई है ?अगर नहीं तो क्या उनका अंदरूनी समझौता तो नहीं हुआ है? क्या मनजीत सिंह ये दोनों कंपनियां, यार्न और डेनिम, दोनों मिल्स चलाना चाहती है ?अगर हां तो 873 श्रमिक और उसमें कुछ कर्मचारी भी शामिल है, उन्होंने VRS स्वीकार नहीं किया है ,रोजगार की मांग की है जिन्हे येही मिल चलाने के लिए अनुभव और कुशलता के आधार पर मनजीत ग्लोबल और मनजीत कॉटन रोजगार देना प्लान कर नहीं सकती थी ? अगर यह करने से वह मना कर रही है, तो उनका प्लान क्या है, योजना क्या है? मिल्स चलाना है या जिनिंग प्रेस चलानी है???
सेंचुरी कंपनी और मनजीत कॉटन पूर्व में जब सेंचुरी चलती थी तब से दोस्ती में ही रहे हैं ।और उस दोस्ती के कारण सेंचुरी के मैनेजमेंट की चली साजिशों की पूरी खबर सेंचुरी के श्रमिक अपने दिल दिमाग में रखे हुए हैं। तो क्या इस बार भी हम फर्जी बिक्री नामा मंजूर कर सकेंगे ? और इस आधार पर आज यहां कॉलोनी के अंदर रहने वाले श्रमिक और कर्मचारियों को उनके आवास से उन्हें जो अधिकार चाहिए और है, उनका लाभ पूर्ण रूप से ना देते हुए जबरन कुछ राशि बैंक अकाउंट में डाल कर बाहर धकेल ना चाहेंगे ? क्या ऐसे विस्थापन के लिए पूरी कार्रवाई मनजीत ग्लोबल , मंजीत कॉटन और सेंचुरी ने करके दिखाई है ?
साथियों, इन तमाम मुद्दों पर सरकार की जिम्मेदारी होती है ।कंपनियों और मजदूरों के बीच विवाद पर सुलझानेका कर्तव्य होता है। संविधानिक दायरों में श्रमिकों के अधिकार सुरक्षित रखनेकी क्या शासन ने भूमिका ली है? क्या श्रम आयुक्त से श्रम मंत्रालय तक इस विवाद को नजरअंदाज करना चाहते हैं? क्या बिरला और मनजीत को साथ संगत देकर मुनाफाखोरी को आगे बढ़ने का मौका देना चाहते है ?
- ये सब सवाल लेकर आज भी सत्याग्रह स्थल पर सैकड़ों श्रमिक महिला पुरुष और बच्चे, युवा भी बैठे हैं।
हम देश भर के प्रगतिशील विचारधाराके श्रमिक संगठनों, सामाजिक संगठनों, संस्थाओं और मान्यवरो को एलान करते हैं, कि इस मुद्दे को इस संघर्ष को आप नजरअंदाज ना करें । अगर यहां नहीं , तो कहीं भी नहीं होगा रोजगार का अधिकार। और कंपनियों की मनमानी ….देने के लिए मजबूर करेंगे श्रमिकों की आजीविका का बलिदान।