चिकित्सकों के कक्ष में चक्कर लगाती रहीं गर्भवती महिलाएं नर्सों का हड़ताल दूसरे दिन जारी,
लुंज-पुंज चिकित्सकीय व्यवस्थाओं से दिनभर परेशान रहे मरीज व उनके परिजन,कई चिकित्सक भी रहे नदारत
सिंगरौली 3 जुलाई। स्टाफ नर्सों के बेमियादी हड़ताल पर चले जाने से दूसरे दिन कई गर्भवती महिलाएं व उनके परिजन चिकित्सकों के कक्ष में तलाशती रहीं। लेकिन 11 बजे दिन तक कई चिकित्सक कक्षों में नजर नहीं आये। तो वहीं मरीज एवं उनके परिजन भी काफी परेशान दिखे।
दरअसल नर्सेस एसोसिएशन ने 12 सूत्रीय मांगों को लेकर दूसरे दिन भी हड़ताल पर डटी रहीं। प्रदेश सरकार से उनकी मांग है कि उच्च स्तरीय वेतनमान सेकेण्ड ग्रेड अन्य राज्यों की तरह मध्यप्रदेश में कार्यरत समस्त नर्सेस को दिये जाने, पुरानी पेंशन योजना पुन: चालू किये जाने, कोरोना का हाल में शहीद हुए नर्सिंग स्टाफ के परिजन को अनुकम्पा नियुक्ति देने के साथ-साथ 15 अग्रस्त को राष्ट्रीय कोरोना योद्धा अवार्ड से सम्मानित किये जाने एवं कोरोना कोल में शासन स्तर पर जितनी भी घोषणाएं की गयी हैं उन पर अमल नहीं किया गया। कोविड-19 में नर्सेस को सम्मानित करते हुए अग्रिम दो वेतनवृद्धि का लाभ उनकी सैलरी में जोड़ा जाय। 2018 के आदर्श भर्ती नियमों में संशोधन करते हुए 70,80 एवं 90 प्रतिशत का नियम हटाये जाने एवं प्रतिनियुक्ति समाप्त कर स्थानांतरण की प्रक्रिया शुरू करें। शासकीय कॉलेजों में सेवारत रहते हुए नर्सेस को उच्च शिक्षा के लिए आयु बंधन हटाया जाये एवं मेल नर्स को समान अवसर दिया जाये। कोरोना काल में अस्थायी रूप से भर्ती की गयी नर्सेस को नियमित करें एवं प्राइवेट कंपनियों से लगायी गयी नर्सों को भी उनकी योग्यता अनुसार नियमित करें कोरोना काल में उनके योगदान को कभी भुला नहीं सकते हैं। म.प्र.में कार्यरत नर्सेस को एक ही विभाग में समान कार्य के लिए समान वेतन दिया जावे। वर्षों से लंबित पदोन्नति को शुरू करते हुए नर्सेस की पदोन्नति और नर्सेस को डेजिग्रेशन प्रमोशन दिये जाने एवं अन्य राज्यों की तरह नर्सेस आफीसर एवं सीनियर नर्सिंग आफीसर किये जायें। मेल नर्स की भर्ती पुन: प्रारंभ की जावे। स्वशासी में पदस्थ नर्सेस को सातवें पे कमीशन का लाभ सन् 2018 की बजाय सभी कर्मचारियों की भांति जनवरी 2016 से दिये जाने एवं कॉलेजों व स्कूलों में अध्ययनरत नर्सिंग छात्राओं को कलेक्टर रेट पर मानदेय लगभग रू.18000 प्रतिमान दिये जाने की मांग शामिल हैं। इन्हीं मांगों को लेकर नियमित नर्स जिला चिकित्सालय सह ट्रामा सेंटर के प्रांगण में धरने पर बैठी रहीं। इस दौरान नर्स एसोसिएशन ने कहा है कि हड़ताल से चिकित्सकीय व्यवस्थाएं पूरी तरह से लडख़ड़ा गयी हैं। औद्योगिक कंपनियों के स्थानों से स्टाफ नर्सों से सेवाएं ली जा रही हैं वह महजखानापूर्ति है। स्टाफ नर्सो ने शिवराज सरकार पर जमकर हमला बोलते हुए वादाखिलाफी को लेकर नारेबाजी की। धरना में एसोसिएशन की जिलाध्यक्ष दुर्गा पाठक, रेखा दुबे, शिम्पी तिवारी,सरिता पटेल, विमला शाह, हर्षलता पाठक, वंदना रजक, संध्या सिंह बघेल, विभा सिंह, दिव्या उपाध्याय, लक्ष्मी, पूजा मरावी, रूबी पटेल, सुनीता पटेल, अर्चना दुबे, दिप्ती विश्वकर्मा, आकांक्षा राय, अर्चना रवि, स्तुति निगम, प्रीति उपाध्याय, सुशीला ेंसाहू, ममता सिंह, पल्लवी सोनी, प्रतिभा पटेल, ज्योति वर्मा, प्रियंका तिवारी, ज्योति वर्मा सहित अन्य स्टाफ नर्स धरने में शामिल रहीं।
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आउटसोर्स स्टाफ नर्स मरीजों का नहीं कर पा रहीं देखभाल
स्टाफ नर्सों के हड़ताल पर चले जाने के बाद वैकल्पिक तौर पर एनसीएल, एनटीपीसी व प्रायवेट नर्सिंग कॉलेज के छात्राओं, एनएचआरएम तथा कोविड-19 के संविदा स्टाफ नर्सों की ड्यूटी जिला चिकित्सालय सह ट्रामा सेंटर में लगायी गयी है, लेकिन आरोप है कि इनके द्वारा समुचित तरीके से देखभाल नहीं किया जा रहा है। वहीं कई स्वास्थ्य कर्मी प्रशिक्षित भी नहीं हैं। जिसके चलते मरीजों में नाराजगी भी बढ़ रही है।
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गायनिक वार्ड की व्यवस्थाएं लुंज-पुंज
स्टाफ नर्सों के बेमियादी हड़ताल पर चले जाने से दूसरे दिन ही इसका असर दिखने लगा है। शनिवार की सुबह जिला चिकित्सालय सह ट्रामा सेंटर के गायनिक वार्ड व इससे जुड़े चिकित्सकों के यहां गर्भवती महिलाएं व उनके परिजन चक्कर लगाते रहे। आरोप है कि कुछ स्वास्थ्य सेवकों ने कक्ष क्रमांक 14,16,21 में भेजते रहे। वहां भी कोई देखभाल, जांच परख व सही सलाह देने वाला नहीं था। सुबह 9 बजे से लेकर दिन 11.30 बजे तक चिकित्सकों के आने के रास्ते को निहारते रहे। अंत में लाचार, हताश,निराश होकर निजी क्लीनिक व नर्सिंग होम में शरण लेने को मजबूर हो गये। इस दौरान आरोप लगा है कि चिकित्सक अपने क्लीनिक व नर्सिंग होम में ज्यादा समय दे रहे हैं। लिहाजा स्टाफ नर्सों के हड़ताल से आज व्यापक असर दिखा है,आने वाले दिनों में अस्पतालों की व्यवस्थाएं बेपटरी पर हो जायेंगी।