रीवा कलेक्ट्रेट के पीछे संचालित हास्टल नहीं सुधार पाईं, छात्राएं अव्यवस्थाओं से इतनी हुई परेशान कि बोल दिया धावा
रीवा जिला में संचालित हास्टल की बदहाली और लूटखसोट किसी से छुपा नहीं है। पर ताज्जुब तो यह है कि कलेक्टर से कलेक्ट्रेट के पीछे संचालित हास्टल तक नहीं सम्हल रहा। यहां कई दिनों से हंगामा मचा है। सुधार नहीं हुआ। तंग आकर छात्राओं ने मंगलवार को कलेक्ट्रेट में ही धावा बोल दिया। कलेक्टर को इसकी भनक लगी तो परेशानियां सुनने के लिए एक महिला अधिकारी और सहायक संचालक को भेजा गया। हास्टल का निरीक्षण भी किया गया। अब हद तो यह है कि चंद कदम दूरी पर संचालित हास्टल में ही जब हालात बेहाल हैं तो जिले में दूर दराज के हास्टल के हाल क्या होंगे। इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।रविवार को निरीक्षण करने डीईओ की टीम भी हास्टल पहुंची थी, फिर भी नहीं सुधरे हालात
हास्टल में न खाने की सुविधा है और न ही साफ पानी पीने के हैं इंतजाम
रीवा। मार्तण्ड स्कूल क्रमांक 1 के बालक और बालिका छात्रावास बदहाली की मार झेल रहे हैं। यहां रहने वाले छात्र छात्राओं को यहां का प्रबंधन यातनाएं दे रहा है। खाने के लिए न तो यहां शुद्ध खाना मिल रहा है और न ही पीने के लिए साफ पानी मिल रहा है। हर दिन खाने में कीड़ा निकल रहा है। शिकायत करने पर धमकियां दी जा रही थी। प्राचार्य और एक सहायक शिक्षक कई महीनों से छात्रों को दबा कर रखे थे लेकिन उनका सब्र का बांध फूट पड़ा। दो दिन पहले रविवार को डीईओ की टीम ने पहुंच कर स्थल निरीक्षण किया। उनके सामने भी छात्राओं और छात्रों ने खुलकर शिकायतें की थी। हास्टल की हालत का रोना रोए थे। निरीक्षण के बाद भी जब हालात नहीं सुधरे तो छात्राओं ने कलेक्ट्रेट में ही धरना दे दिया। सभी छात्रावास की छात्राएं सीधे कलेक्टे्रट पहुंची और कलेक्टर से मिलने की जिद करने लगी। कलेक्टर ने छात्राओं की समस्या सुनने के लिए स्कूल शिक्षा विभाग के सहायक संचालक राजेश मिश्रा और एक महिला अधिकारी को भेजा। उनके सामने छात्राओं का सब्र का बांध ही टूट गया। उन्होंने सारी कहानी बयां कर दी। इसके बाद अधिकारियों ने हास्टल पहुंच कर निरीक्षण भी किया। साथ ही छात्राओं को आश्वान दिया कि अब उन्हें भोजन हास्टल में ही मिलेगा। बालक छात्रावास खाने के लिए नहीं जाना पड़ेगा।यह सारी परेशानियां छात्राओं ने बताई
छात्राओं ने बताया कि वह पिछले दो महीने से हास्टल में रह रही हैं। हास्टल में किसी तरह की सुविधा नहीं है। पीने के साफ पानी तक की व्यवस्था नहीं है। मेस का संचालन नहीं हो रहा है। उन्हें बालक छात्रावास में खाना खाने के लिए जाना पड़ता है। रात में अंधेरे में सड़क पार कर हास्टल जाना पड़ता है। ऐसे में यदि उनके साथ किसी तरह की अनहोनी हो जाए तो इसकी जिम्मेदारी लेने वाला कोई नहीं है। इसके अलावा उन्होंने बताया कि हास्टल में छात्राओं को जो जरूरी सुविधाएं मिलनी चाहिए वह भी नहीं है। सेनेट्री नैपकीन, फस्ट एड बाक्स तक नहीं है। सीसीटीवी तक नहीं लगाया गया है। कमिश्नर ने सभी छात्रावास का निरीक्षण के निर्देश दिए थे
अधिकारी हर सप्ताह टीएल बैठक लेते हैं। किसी न किसी मुद्दे पर यहां हर विभाग की ही बैठक होती है। बैठक में इतने आदेश जारी किए जाते हैं कि सुनने के बाद ऐसा लगता है कि यदि इन सभी आदेशों का पालन हुआ तो रीवा हर क्षेत्र में नंबर वन बन जाएगा। सारी योजनाएं आम जनता तक पहुंच जाएंगी। व्यवस्थाएं पटरी पर आ जाएंगी। लेकिन यह सिर्फ बैठक तक ही सीमित रह जाती है। अधिकारी कलेक्टर, कमिश्नर की बातें सुनने के बाद भूल जाते हैं। ऐसा ही एक आदेश कमिश्नर रीवा संभाग रीवा ने हास्टल के निरीक्षण को लेकर दिए थे। सभी अधिकारियों को हास्टल का निरीक्षण कर रिपोर्ट सौंपने के लिए भी कहा था। किसी अधिकारी ने आदेश का पालन नहंी किया।