जब भगवान के प्रति प्रेम हो जाए उसे कहते हैं अनुराग: राजन जी महाराज
एनसीएल ग्राउंड बैढ़न-बिलौंजी में नौ दिवसीय श्रीराम कथा के दूसरे दिन स्त्रोताओं को उमड़ा जन समूह, शिव-पार्वती विवाह पर जमकर झूमें स्त्रोता
एनसीएल ग्राउंड बिलौंजी में नौ दिवसीय श्रीराम कथा के दूसरे दिन प्रख्यात कथावाचक श्री राजन जी महाराज ने अपने मुखार बिन्दु से प्रवचन करते हुये भगवान शिव-पार्वती के विवाह का वर्णन किये।
कथावाचक श्री राजन जी ने कहा कि पूज्य श्री गोस्वामी तुलसीदास स्वामी बालकाण्ड में श£ोक की रचना किये। जिसमें भगवान श्री गणेश एवं मॉ सरस्वती वंदना से प्रारम्भ किये। गुरू चरण रज की वंदना किये। संत समाज एवं ब्राम्हण समेत सब की वंदना करने के बाद श्री गोस्वामी तुलसीदास स्वामी जी द्वितीय कर्मकाण्ड घाट तीर्थ प्रयागराज पहंचे। आगे फरमाया कि मुनी भारद्वाज का परिचय इतना है कि वे भगवान श्री राम जी के चरण में अतिअनुराग रखते हैं। प्रेम का एक प्रकार है। उसका नाम है अनुराग। राग, अनुराग और उसके बाद बैराग हम जो घर में प्रेम करते हैं का नाम है राग, जब भगवान के प्रति प्रेम हो जाए उसे कहते हैं अनुराग, चारों तरफ और सबसे प्रेम हो जाए एवं भगवान के सगुण रूप में प्रेम हो जाए और अनुराग में भजन करते-करते जब यह भाव सर्वत्र निकल जाए, सब जगह भगवान दिखाई देने लगें, आकार से निराकार में प्रवेश करें तो उस प्रेम का नाम है बैराग है। लोग कहते हैं। महाराज भगवान नही मिलते हैं। भगवान कैसे मिलते हैं उसपर वर्णन करते हुये महाराज ने अपने मुखार बिन्दु से कहा कि भगवान राग और बैराग से नही मिलते। मानस का सिद्धांत कहता है कि बिना अनुराग के भगवान प्राप्त होने वाली नही हैं। इसीलिए भगवान को प्रेम करिए, अपने जैसा प्रेम करिए। चित्रकूट धाम का महाराज जी ने महिमा करते हुये कहा कि भगवान राम-सीता जी जब चित्रकूट पहुंचते हैं तो लक्ष्मण जी भगवान राम एवं सीता जी का सेवा करते हैं। श्री गोस्वामी तुलसीदास जी कहते हैं कि जिस प्रकार अविवेकी पुरूष अपनी शरीर की सेवा लगा में रहता है। उसी प्रकार लक्ष्मण जी सब काम छोड़कर प्रभु एवं मईया की सेवा में लगे होते हैं। यदि ऐसा प्रेम हमारे हृदय जागृति हो गया तो सिंगरौली में बैठे-बैठाए भगवान प्राप्त हो जाएंगे। मुनी भारद्वाज जी प्रयागराज में रहते हैं। उनका परिचय दिया। मकरसंक्रांति के दिन से प्रत्येक वर्ष तीर्थराज-प्रयागराज में मेला आरम्भ होता है। जहां पर सारे देश के ऋषिमुनि , महात्मा एक माह वास करते हैं। प्रात: काल त्रृविणी जी में स्नान करते हैं व कीर्तन करते हैं, सत्संग में भाग लेते हैं एवं कथा कहते हैं, कथा सुनते हैं। वास करने के बाद जब वापस जाने लगते हैं तो ऋषिमुनि याज्ञावल का वर्णन किये। कथा शुरू होने के पूर्ण भगवान श्री राम जी एवं हनुमान जी की पूजापाठ एवं आरती किये। कार्यक्रम में नागेन्द्र प्रताप सिंह ,अमित द्विवेदी, धीरज सिंह, अभय प्रताप सिंह सहित भारी संख्या में स्त्रोतागण मौजूद रहे। वही अमर सिंह, किरण ङ्क्षसंह, रामराज सोनी, गिरिजा सोनी सहित अन्य ने स्वागत किया।
जब भगवान के प्रति प्रेम हो जाए उसे कहते हैं अनुराग: राजन जी महाराज
Pradeep Tiwari
मैं, प्रदीप तिवारी, पिछले 10 वर्षों से पत्रकारिता से जुड़ा हूँ। सबसे पहले, मैं एक स्थानीय समाचार चैनल में एक रिपोर्टर के रूप में शामिल हुआ और फिर समय के साथ, मैंने लेख लिखना शुरू कर दिया। मुझे राजनीति और ताज़ा समाचार और अन्य विषयों से संबंधित समाचार लिखना पसंद है।
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