कलेक्ट्रोरेट के दफ्तर दिवाल व सीलिंग में सीपेज
2015-16 में करोड़ों रूपये की लगात से बना था क लेक्ट्रोरेट भवन, गुणवत्ता विहीन हुआ था कार्य
जिस भवन में जिले के मुखिया का दफ्तर हो और वही भवन सीपेज होने लगे ऐसे में क्रियान्वयन एजेंसी के कामकाज पर ऊंगली उठना लाजमी है। ऐसा ही मामला जिला मुख्यालय बैढ़न में स्थित कलेक्ट्रोरेट भवन का है। जहां इस बारिश में भी कलेक्ट्रोरेट भवन का दिवाल एवं फस्ट फ्लोर के सीलिंग छत में सीपेज शुरू है। जबकि कुछ महीने पहले कलेक्ट्रोरेट भवन का कायाकल्प भी हुआ है।
गौरतलब है कि कलेक्ट्रोरेट भवन का निर्माण कार्य वर्ष 2015-16 में क्रियान्वयन एजेंसी लोकनिर्माण विभाग के द्वारा निर्माण कार्य कराया गया था। कलेक्ट्रोरेट भवन के निर्माणकार्य के दौरान ही गुणवत्ता को लेकर सवाल खड़े किये जा रहे हैं। तत्कालीन एम शेेलवेन्द्रन ने कार्यस्थल का खुद निरीक्षण कर संविदाकार एवं क्रियान्वयन एजेंसी को जमकर फटकार भी लगाया था। इसके बावजूद कलेक्ट्रोरेट भवन का कार्य गुणवत्ता विहीन हुआ था। इतना ही नही कलेक्ट्रोरेट के हैण्ड ओव्हर के कुछ महीने पूर्व व बाद में वालटाइस कई जगह की गिर गई थी। जिसका बाद में मरम्मत कार्य भी हुआ। इसके बावजूद संविदाकर एवं क्रियान्वयन एजेंसी पर कड़ी कार्रवाई करने से परहेज करता रहा। लिहाजा बारिश के दिनों में कलेक्ट्रोरेट भवन के फस्ट फ्लोर के दिवाल एवं सीलिंग से सीपेज आना शुरू हो गया है। हालांकि यह कोई नई बात नही है। जब से कलेक्ट्रोरेट भवन को हैंडओव्हर किया गया है। तभी से यह समस्या बनी हुई है। पिछले दो महीने पूर्व लाखों रूपये की लागत से कलेक्ट्रोरेट भवन का कायाकल्प कराया गया था। लेकिन पानी सीपेज दूर करने की समस्या का हल नही हो पाया है। लिहाजा कलेक्ट्रोरेट भवन के दिवाल व सीलिंग में आ रहे सीपेज की समस्या कब दूर होगी। फिलहाल करोड़ों रूपये की लागत से बने इस कलेक्ट्रोरेट भवन के गुणवत्ता को लेकर शुरू से ही सवाल खड़ा किया जा रहा है और अब जब जर्जर भवनों को धाराशाही करने की बात की जा रही है। ऐसे में सवाल उठाया जा रहा है क्या कलेक्ट्रोरेट भवन का निर्माण करने वाले क्रियान्वयन एजेंसी के संविदाकार पर क्या कार्रवाई होगी।
कलेक्ट्रोरेट के दफ्तर में जगह-जगह दरारें
कलेक्ट्रोरेट भवन के सहकारिता, जन संपर्क, श्रम विभाग, सामान्य शाखा सहित कई शाखा के दफ्तरों व बाहर के दिवाल में जगह-जगह लम्बा-चौड़ा के्रक आ गया है। जहां इस बात का पुष्टि हो रही है कि कलेक्ट्रोरेट भवन क रोड़ों रूपये की लागत से बना। किन्तु गुणवत्ता का ख्याल नही रखा गया । जिसके चलते करोड़ रूपये की लागत से बने उक्त भवन में जगह-जगह के्रक आ गया है। इन दिवालों में पड़ी दरारों को अब तक ठीक भी नही कराया गया है। जिसको लेकर जिस समय ओबी कंपनियों के द्वारा ब्लॉस्टिंग की जाती है। उस दौरान दफ्तरों में कार्य करने वाले अधिकारी-कर्मचारी भी सहम जाते हैं। इसके बावजूद प्रशासन इसे गंभीरता से नही ले रहा है।
भवन की गुणवत्ता की हो जांच
आम आदमी पार्टी के नेता राजेश सोनी ने कहा है कि कलेक्ट्रोरेट भवन कई करोड़ों रूपये क ी लागत से बना दिया गया । लेकिन इसकी गुणवत्ता का ख्याल संविदाकार एवं क्रियान्वयन एजेंसी लोकनिर्माण विभाग के तत्कालीन अधिकारियों ने कमीशनखोरी के चलते मौन धारण कर लिये थे। जिसका प्ररिणाम यह निकल रहा है कि 10 साल के अन्दर ही गुणवत्ता विहीन कलेक्ट्रोरेट भवन में जगह-जगह दरारें पड़ने लगी है और बारिश के दिनों सीपेज भी शुरू है। राजेश सोनी ने कहा है कि भाजपा सरकार में भ्रष्टाचार, कमीशनखोरी चरम पर है। सरकारी राशि की बन्दरबांट मची हुई है। यह प्रत्यक्ष उदाहरण है। उन्होंने कलेक्टर का ध्यान आकृष्ट कराते हुये इसकी विधिवत तकनीकी योग्य सिविल विभाग के उच्चस्तरीय अधिकारियों की जांच टीम गठित कर जांच कराई जाए और इसमें जो भी लोनिवि के अधिकारी दोषी हो उनके विरूद्ध कार्रवाई हो।
कलेक्ट्रोरेट के दफ्तर दिवाल व सीलिंग में सीपेज
Pradeep Tiwari
मैं, प्रदीप तिवारी, पिछले 10 वर्षों से पत्रकारिता से जुड़ा हूँ। सबसे पहले, मैं एक स्थानीय समाचार चैनल में एक रिपोर्टर के रूप में शामिल हुआ और फिर समय के साथ, मैंने लेख लिखना शुरू कर दिया। मुझे राजनीति और ताज़ा समाचार और अन्य विषयों से संबंधित समाचार लिखना पसंद है।
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