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यूपी की धान खप रही चितरंगी में, जिम्मेदार मौन

Pradeep Tiwari
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यूपी की धान खप रही चितरंगी में, जिम्मेदार मौन
झरकटा घाट मार्ग से आ रही धान, चितावल वन बैरियर पर हो रही नियमो की अनदेखी, मिलीभगत के लग रहे आरोप
 जैसे ही समितियों के द्वारा धान खरीदी शुरू की जाती है वैसे ही धान की खेप उत्तरप्रदेश से चितरंगी आने लगती है। कुछ ऐसा ही इन दिनों झरकटा घाट मार्ग पर देखने को मिल रहा है। जहां खुलेआम वाहनों के माध्यम से धान की आवक हो रही है। यह सब कु छ प्रशासन के इशारे पर हो रहा है। जबकि विधिवत चितावल पुल के पास वन विभाग का बैरियर बनाया गया है। लेकिन सांठगांठ होने की वजह से जमकर धान एमपी के सिंगरौली-चितरंगी पहुंच रही है।
सूत्रों की बातों पर गौर करे तो धान की कालाबाजारी को रोकने के लिए कलेक्टर के निर्देशन में जिले भर में सीमावर्ती इलाको में विधिवत वन विभाग के बैरियर बनाये गये हैं। इन बैरियर पर विधिवत कर्मचारियों की पदस्थापना की गई है। धान उपार्जन केन्द्रों पर कालाबाजारी को रोका जा सके। लेकिन सिंगरौली के तहसील चितरंगी इलाके में उ.प्र. से भारी संख्या में वाहनों के माध्यमो से धान की खेप घोरावल-झरकटा घाट मार्ग से आ रही है। सूत्र तो यह भी दावा कर रहे हैं कि प्रतिदिन पिकअप वाहन घोरावल घाट ऊतर रहे हैं। जबकि चितावल पुल पर बैरियर बनाया गया है। जहां बैरियर पर बैठे कर्मचारियों से सांठगांठ करते हुये चिन्हित ठिकानों पर धान की खेप पहुंच रही है। एक तरफ प्रशासन यह दावा कर रहा है कि धान की कालाबाजारी को पूरी तरीके से प्रतिबंध करना है। जिसके लिए कर्मचारी तैनात किये गये हैं। लेकिन इन्हीं कर्मचारियों के द्वारा धान खरीदी के लक्ष्य को पूर्ण करने के लिए यूपी से धान समितियों में पहुंचाई जा रही है। यह पूरा खेल प्रशासन के मिलीभगत से किया जा रहा है। कहा तो यह भी जा रहा है कि जब पिकअप वाहन से धान यूपी से आती है तो चितावल पुल पर तैनात कर्मचारी बैरियर लगा देते हैं। जब धान की कालाबाजारी करने वाले लोग धीरे से 100-200 और 500 की पत्ती पकड़ा देते हैं तो बैरियर अपने आप खुल जाता है। धान उपार्जन केन्द्रों पर खुलेआम यूपी की धान खप रही है। प्रशासन मुकदर्शक बना हुआ है।

कर्मचारियों के सांठगांठ से आ रही धान
कलेक्टर ने धान व मोटे अनाज की अवैध खरीदी को रोकने के लिए जिले के चितरंगी, माड़ा व बैढ़न में कर्मचारी तैनात किये गये। इन कर्मचारियों को यह जिम्मेदारी सौंपी थी कि जिले के बाहर से अवैध धान और मोटा अनाज पूरी तरीके से प्रतिबंधित किया जाए। लेकिन जिन कर्मचारियोंं पर कलेक्टर ने विश्वास किया वही कर्मचारी धान की कालाबाजारी को पूरी तरीके से बढ़ावा दे रहे हैं। तभी तो यूपी के घोरावल मार्ग होते हुये झरकटा घाट से धान की खेप चितावल पुल से चितरंगी पहुंच रही है। यह धान किन-किन उपार्जन केन्द्रों पर जा रही है। इसकी जानकारी तो नही है। लेकिन सूत्र बताते हैं कि चितरंगी क्षेत्र के अधिकांश समितियों में यूपी की धान फर्जीकिसानों के नाम से खरीदी की जा रही है। इस कारोबार में विभाग के ही बड़े अधिकारी बिचौलियों से मिलकर खेल कर रहे हैं।
धान कालाबाजारी रोकने बना बैरियर
बीते 5 दिसम्बर को कलेक्टर सिंगरौली के द्वारा खरीफ विपणन मौसम में समर्थन मूल्य पर धान एव मोटा अनाज का उपार्जन 20 जनवरी 2025 तक किया जाना है। जिसके लिए सिंगरौली के सीमावर्ती राज्यों उ.प्र. एवं छग प्रांत से जिले में धान एवं मोटा अनाज का उपार्जन केन्द्रों में अवैध परिवहन एवं समर्थन मूल्य पर अवैध बिक्री की रोकथाम के लिए चेकपोस्ट, वन विभाग, कृषि उपज मण्डी एवं कृषि विकास विभाग के कर्मचारियों की नियुक्ती की गई। जिले के बैढ़न-बीजपुर मार्ग बलसोता
-बैढ़न से सूरजपुर, बैरियर झांझी, बैढ़न-शक्तिनगर मार्ग, बैरियर जयंत, मोरवा से अनपरा मार्ग बैरियर खननहना, बैढ़न-शक्तिनगर-तेलगवां चिन्हित किया गया। इसी तरह माड़ा से रामगढ़ वन बैरियर बिन्दुल के अलावा चितरंगी से घोरावल वन बैरियर चितावल बनाया जाए। ताकि कालाबाजारी रोका जा सके।

Pradeep Tiwari

Pradeep Tiwari

मैं, प्रदीप तिवारी, पिछले 10 वर्षों से पत्रकारिता से जुड़ा हूँ। सबसे पहले, मैं एक स्थानीय समाचार चैनल में एक रिपोर्टर के रूप में शामिल हुआ और फिर समय के साथ, मैंने लेख लिखना शुरू कर दिया। मुझे राजनीति और ताज़ा समाचार और अन्य विषयों से संबंधित समाचार लिखना पसंद है।

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