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प्रो. अजय कुमार सूद ने उत्सर्जन-रहित ट्रक परिवहन के लिए भारत के प्राथमिकता वाले गलियारों पर रिपोर्ट जारी की

Pradeep Tiwari
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प्रो. अजय कुमार सूद ने उत्सर्जन-रहित ट्रक परिवहन के लिए भारत के प्राथमिकता वाले गलियारों पर रिपोर्ट जारी की

 

 

भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार (पीएसए) प्रो. अजय कुमार सूद ने 9 मई 2025 को उत्सर्जन-रहित ट्रक परिवहन के लिए भारत के प्राथमिकता वाले गलियारों पर एक रिपोर्ट जारी की। पीएसए कार्यालय की यह रिपोर्ट देश भर के दस महत्वपूर्ण राजमार्ग खंडों की रूपरेखा प्रस्तुत करती है, जिनमें उत्सर्जन-रहित ट्रकों (जेडईटी) को अपनाने की सबसे अधिक संभावना है। इसका उद्देश्य स्वच्छ, अधिक स्थाई माल ढुलाई की दिशा में राष्ट्रीय बदलाव को गति प्रदान करना है।

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उत्सर्जन-रहित ट्रक परिवहन उत्कृष्टता केंद्र (सीओईजेडईटी) – IIT मद्रास, रॉकी माउंटेन इंस्टीट्यूट और पीमनीफोल्ड जैसे ज्ञान भागीदारों के सहयोग से विकसित, इन जानकारियों से चार्जिंग अवसंरचना, सार्वजनिक-निजी भागीदारी और नियामक सहायता व्यवस्था में भविष्य के निवेश का मार्गदर्शन करने की उम्मीद है। इन गलियारों को रणनीतिक रूप से लक्षित करके, भारत प्रतिस्पर्धा और सुदृढ़ता को बढ़ावा देते हुए उत्सर्जन-रहित माल ढुलाई क्षेत्र में अपने बदलाव को गति दे सकता है।

रॉकी माउंटेन इंस्टीट्यूट की एम.डी. अक्षिमा घाटे ने रिपोर्ट प्रस्तुत की और इस शुभारम्भ कार्यक्रम में वैज्ञानिक सचिव डॉ. परविंदर मैनी; पीएसए फेलो डॉ. कार्तिक आत्मनाथन; पीएसए कार्यालय की सलाहकार डॉ. प्रीति बंजल और डॉ. राकेश कौर और आईआईटी मद्रास के सीओईजेडईटी के प्रो. शंकर राम और पीएसए कार्यालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए।

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भारत में उत्सर्जन-रहित ट्रक परिवहन (जेडईटी) के लिए शीर्ष 10 गलियारों की पहचान तीन चरण की प्रक्रिया के माध्यम से की गई: टोल ट्रैफ़िक डेटा और आपूर्ति/मांग केंद्रों के मानचित्रण जैसे मापदंडों का उपयोग करके 230 गलियारों की प्रारंभिक सूची का मात्रात्मक और गुणात्मक मूल्यांकन, हितधारकों के साथ परामर्श और शीर्ष 10 गलियारों के चयन के लिए विस्तृत क्षेत्र अनुसंधान। इसके अलावा, गलियारों को अंतिम रूप देते समय सघन माल यातायात, औद्योगिक गतिविधि, सहायक सेवाओं की उपलब्धता, ग्रिड अवसंरचना की तैयारी, बैटरी सीमा के सापेक्ष गलियारे की लंबाई तथा वाणिज्यिक और व्यावसायिक व्यवहार्यता के लिए रणनीतिक हितधारक इनपुट जैसे कारकों पर भी ध्यान दिया गया है।

रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में ईंधन की खपत और परिवहन उत्सर्जन का लगभग 40% लंबी दूरी के ट्रकों से उत्पन्न होता है। परिणामस्वरूप, लॉजिस्टिक्स क्षेत्र में कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने, वायु प्रदूषण को कम करने और भारत की ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करने के लिए उत्सर्जन-रहित ट्रक (जेडईटी) अपनाना महत्वपूर्ण है।

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उत्सर्जन-रहित ट्रक परिवहन के लिए भारत के प्राथमिकता वाले गलियारों पर रिपोर्ट में शीर्ष दस उच्च-प्रभाव वाले गलियारों की पहचान की गई है, जो जेडईटी की शुरुआती तैनाती के लिए सबसे उपयुक्त हैं तथा एक समर्पित राष्ट्रीय जेडईटी अवसंरचना नेटवर्क के लिए आधार तैयार करते हैं। यह रिपोर्ट कठिन प्रक्रिया की साथ डेटा-संचालित मूल्यांकन का परिणाम है, जिसे देश के आत्मनिर्भर भारत और आर्थिक लक्ष्यों के विज़न का समर्थन करने के लिए डिजाईन किया गया है।

रिपोर्ट के अंतर्गत महत्वपूर्ण विश्लेषण, न केवल इस बदलाव को और बढ़ावा देगा, बल्कि नीति निर्माताओं और उद्योग जगत के लोगों के लिए एक रणनीतिक मार्गदर्शक के रूप में भी काम करेगा, जिसमें तीन खण्डों वाली गलियारा पहचान प्रक्रिया में व्यापक अंतर्दृष्टि प्रदान की गयी है।

यह रिपोर्ट पीएम ई-ड्राइव योजना के लिए संदर्भ-पुस्तिका के रूप में भी काम कर सकती है, जिसे 2024 में भारी उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा उत्सर्जन-रहित परिवहन (जेडईटी) समाधानों के अपनाये जाने को बढ़ावा देने के लिए 500 करोड़ की कुल लागत पर लॉन्च किया गया था।

पूरी रिपोर्ट पीएसए कार्यालय की वेबसाइट पर देखी जा सकती है:

Pradeep Tiwari

Pradeep Tiwari

मैं, प्रदीप तिवारी, पिछले 10 वर्षों से पत्रकारिता से जुड़ा हूँ। सबसे पहले, मैं एक स्थानीय समाचार चैनल में एक रिपोर्टर के रूप में शामिल हुआ और फिर समय के साथ, मैंने लेख लिखना शुरू कर दिया। मुझे राजनीति और ताज़ा समाचार और अन्य विषयों से संबंधित समाचार लिखना पसंद है।

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