भारतीय दिवाला एवं शोधन अक्षमता बोर्ड ने अपना आठवां वार्षिक दिवस मनाया
मुख्य न्यायाधीश (सेवानिवृत्त) श्री रामलिंगम सुधाकर ने हितधारकों के साथ जुड़ने और सूचित नीतिगत निर्णयों का समर्थन करने के लिए दिवाला कानून में अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए आईबीबीआई की सराहना कीश्री अमिताभ कांत ने विश्व बैंक के कारोबारी सुगमता सूचकांक में भारत को 2014 के 142 से 79 पायदान ऊपर चढ़कर 2016 में 63वें स्थान पर लाने में मदद करने के लिए आईबीसी की सराहना की
डॉ. वी. अनंत नागेश्वरन ने आईबीसी का आर्थिक विकास और राष्ट्रीय प्रगति को आगे बढ़ाने वाली रचनात्मक शक्ति के रूप में वर्णन किया
आईबीबीआई ने वार्षिक प्रकाशन, “आईबीसी के आठ वर्ष: शोध एवं विश्लेषण” जारी किया
भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड (आईबीबीआई) ने 1 अक्टूबर, 2024 को अपना आठवां वार्षिक दिवस मनाया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में राष्ट्रीय कंपनी विधि अधिकरण के अध्यक्ष मुख्य न्यायाधीश (सेवानिवृत्त) श्री रामलिंगम सुधाकर उपस्थित थे। भारत के जी 20 शेरपा और नीति आयोग के पूर्व सीईओ श्री अमिताभ कांत ने इस वर्ष का वार्षिक दिवस व्याख्यान दिया। वित्त मंत्रालय के मुख्य आर्थिक सलाहकार डॉ. वी. अनंथा नागेश्वरन ने विशेष भाषण दिया।
राष्ट्रीय कंपनी विधि अधिकरण के अध्यक्ष मुख्य न्यायाधीश (सेवानिवृत्त) श्री रामलिंगम सुधाकर ने अपने मुख्य भाषण में भारत के कॉर्पोरेट दिवालियापन परिदृश्य पर दिवाला और शोधन अक्षमता कोड, (आईबीसी/कोड) के परिवर्तनकारी प्रभाव पर प्रकाश डाला। वित्त मंत्री के बजट भाषण का उल्लेख करते हुए, उन्होंने आईबीसी पारिस्थितिकी तंत्र को और मजबूत करने की आवश्यकता पर जोर दिया और स्थिरता, पारदर्शिता बढ़ाने और समयबद्ध परिणामों के लिए एक एकीकृत प्रौद्योगिकी मंच की योजना की घोषणा की।
उन्होंने भारत की राष्ट्रपति के संसद में दिए गए अभिभाषण का भी उल्लेख किया, जिसमें उन्होंने आईबीसी को पिछले दशक का एक ऐतिहासिक सुधार बताया, जिसने भारत के बैंकिंग क्षेत्र को मजबूत किया है और इसी की वजह से सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक मजबूत और लाभदायक बन गए हैं। उन्होंने आईबीबीआई की सराहना करते हुए कहा कि यह एक सक्रिय विनियामक है जो हितधारकों के साथ जुड़ता है और सोचे समझे नीतिगत निर्णयों को समर्थन देने के लिए दिवालियापन कानून में अनुसंधान को बढ़ावा देता है। उन्होंने देश के आर्थिक उद्देश्यों के साथ जुड़े इसके सावधानी भरे विनियामक दृष्टिकोण की प्रशंसा की और समय पर स्वीकृति और समाधान सुनिश्चित करने के लिए निरंतर नवाचार, क्षमता निर्माण और प्रौद्योगिकी के उपयोग की आवश्यकता पर जोर दिया।