ननि के निर्माण कार्यो की नस्तियों पर लगा ग्रहण
एक सप्ताह बाद ननि को मिला सिविल विभाग में प्रभारी कार्यपालन यंत्री, कामकाज अस्त-व्यस्त, कार्रवाई को लेकर आयुक्त घिरे
नगर निगम के सिविल विभाग कार्यपालयन यंत्री विहीन होने के एक सप्ताह बाद जल निगम के महाप्रबंधक को ननि के कार्यपालन यंत्री का अतिरिक्त प्रभार कलेक्टर के द्वारा सौंपा गया है। वही एक सप्ताह के दौरान ईई विहीन होने के कारण नगर निगम का कामकाज पूरी तरह से बेपटरी पर है।
गौरतलब है कि 3 सितम्बर को ननि परिषद की बैठक अध्यक्ष देवेश पाण्डेय के अध्यक्षता में आयोजित की गई थी। बैठक शुरू होते ही पार्षदों ने वार्ड क्रमांक 32 शिवाजी कॉम्प्लेक्स में पाइप लाइन के कार्य में घोर अनियमितता किये जाने का मसला उठा। जहां परिषद के अनुमति पर आयुक्त डीके शर्मा ने जांच के आधार पर करीब 31 लाख रूपये की गड़बड़ी पाये जाने पर उपयंत्री अनुज सिंह को निलंबित कर दिया था। वही एमबी में अनाधिकृत रूप से हस्ताक्षर करने पर स्टोर प्रभारी सहायक यंत्री पीके सिंह को समस्त कार्यो से मुक्त करने का आदेश जारी किया। साथ ही बैठक के दूसरे दिन सिविल विभाग के प्रभारी कार्यपालन यंत्री व्हीपी उपाध्याय, लेखा प्रभारी वित्त सत्यम मिश्रा व सहायक यंत्री दिनेश तिवारी को सभी कार्यो से मुक्त कर दिया गया। इस कार्रवाई के बाद नगर निगम करीब एक सप्ताह तक कार्यपालन यंत्री विहीन रहा। बताया जाता है कि सिविल डिपार्टमेंट में कार्यपालन यंत्री का प्रभार छिन जाने के बाद सिविल के साथ-साथ सिवरेज, अमृत नलजल योजना, पाइप लाइन एवं प्रधानमंत्री का आवास सामग्री, भुगतान संबंधित कामकाज पर व्यापक तौर पर विपरित प्रभाव पड़ा है। यहां बताते चले की ननि क्षेत्र में सिवरेज का कामकाज भी भगवान भरोसे है। दो प्रशिक्षु उपयंत्री कामकाज देख रहे हैं। वही 5 महीने से सिवरेज में कोई सहायक यंत्री भी नही है। इसके लिए आयुक्त अभी तक क्या पहल किये हैं। इस पर भी अब चर्चा शुरू हो गई है। इधर नगर निगम में इस बात की चर्चा हो रही है कि सहायक यंत्री दिनेश तिवारी व लेखाधिकारी वित्त षड़यंत्र का शिकार हुये हैं। उन्हें बलि का बकरा बनाया गया है। किसी भी निर्माणकार्य का भुगतान का अंतिम सीढ़ी है। यदि लेखा शाखा भुगतान न करता तो उसपर भी सवाल उठाते। कहीं न कहीं अपनी स्वयं की किरकिरी बचाने के लिए उक्त दोनों अधिकारियों पर कार्रवाई की गई है। आयुक्त का आंदेशा था कि कही एक संगठन ननि दफ्तर का घेराव न करदे। उससे बचने के लिए सहायक यंत्री एवं लेखा वित्त कार्रवाई के शिकार हो गए।
संजू त्रिपाठी लेखा एवं जल निगम के जीएम को ईई का प्रभार
नगर निगम में लेखा अधिकारी वित्त का प्रभार छिने जाने के बाद आयुक्त के कलेक्टर के पत्र लिखकर प्रशासकीय कार्य व्यवस्था की दृष्टिगत कार्यपालन यंत्री सिविल एवं लेखा वित्त एवं कार्यपालन यंत्री सिविल का प्रभार किसी अन्य विभाग के अधिकारी को दिये जाने आग्रह किया था। जहां कलेक्टर ने आयुक्त के पत्र के अनुसार लेखा अधिकारी का कार्य का अतिरिक्त प्रभार सहायक कोषालय अधिकारी श्रीमति संजू त्रिपाठी को सौंपा है। वही क ार्यपालन यंत्री सिविल का प्रभार जल निगम मर्यादित सिंगरौली के महाप्रबंधक पंकज बाधवानी को ननि ईई का अतिरिक्त प्रभार सौंपने का आदेश आज 11 सितम्बर को कलेक्टर के द्वारा जारी किया गया है। फिलहाल नगर निगम ईई सिविल एवं लेखा वित्त का कामकाज बैशाखी के सहारे चलेगा। वही सिवरेज में एसडीओ का अतिरिक्त प्रभार के लिए शायद अभी आयुक्त का इस ओर ध्यान नही जा रहा है।
षड़यंत्र का शिकार बने लेखाधिकारी व एसडीओ
शिवाजी कॉम्प्लेक्स के पाइप लाइन के कार्य में मिली अनियमितता को लेकर आयुक्त के द्वारा की गई कार्रवाई को लेकर कई तरह के सवाल खड़े किये जा रहे हैं। आरोप है कि उक्त कार्रवाई में अपनी नाकामियों को छुपाने के लिए की गई है। उक्त कार्य में अनियमितता क्यों और कैसे हुई। किसके इशारे पर हुआ, पैसा कहा खर्च हुआ, वही धीरे-धीरे जगजाहिर हो रहा है और वही सवाल उठाया जा रहा है कि उक्त कार्रवाई में लेखा प्रभारी वित्त एवं सहायक यंत्री जिनके एमबी में हस्ताक्षर भी नही है। फिर भी उन्हें षड़यंत्र का शिकार बना दिया गया। कहीं न कहीं उक्त कार्रवाई को लेकर कई तरह के जहां सवाल खड़े किये जा रहे हैं। वही नगर निगम में ही इन दिनों उक्त मामले को लेकर तरह-तरह की बातें सामने आ रही है। शायद इन सवालों का आगामी दिनों में लोगों के सामने जवाब भी देना भी पड़ सकता है।
ननि के निर्माण कार्यो की नस्तियों पर लगा ग्रहण
Pradeep Tiwari
मैं, प्रदीप तिवारी, पिछले 10 वर्षों से पत्रकारिता से जुड़ा हूँ। सबसे पहले, मैं एक स्थानीय समाचार चैनल में एक रिपोर्टर के रूप में शामिल हुआ और फिर समय के साथ, मैंने लेख लिखना शुरू कर दिया। मुझे राजनीति और ताज़ा समाचार और अन्य विषयों से संबंधित समाचार लिखना पसंद है।
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