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डीपीओ ने किया बड़ा कारनामा, जन्मतिथि में किया खेला

Pradeep Tiwari
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डीपीओ ने किया बड़ा कारनामा, जन्मतिथि में किया खेला
सेवानिवृत्त आंगनवाड़ी कार्यकर्ता पर दिखाया दरियादिली, नौकरी की बढ़ा दिया 10 साल की अवधि, जिम्मेदार मौन
जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास के एक के बाद नित्त नये कारनामें सामने आ रहे हैं। सामग्री खरीदी में करोड़ों का खेला करने, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिकाओं के भर्ती में जहां विभाग की जमकर किरकिरी हो रही है। वही अब एक आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के जन्मतिथि में खेला किये जाने का सनसनी खेज मामला सामने आया है।
दरअसल जिला कार्यक्रम महिला एवं बाल विकास सिंगरौली राजेश राम गुप्ता अपने काले कारनामों को लेकर पिछले करीब तीन सालों से सुर्खियों में बने हैं। एनसीएल के सीएसआर मद की राशि में व्यापक पैमाने पर गड़बड़ी किये जाने का मामला ईओडब्ल्यू तक पहुंचने के बावजूद डीपीओ अपने पुराने ही धर्रे पर चलने को मजबूर है। आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं व सहायिकाओं की नियुक्ति में हेरफेर किये जाने की लगातार मिल रही शिकायतों के बाद अब एक आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के जन्मतिथि में फेरबदल कर सेवानिवृत्त होने के बावजूद 10 साल की नौकरी अवधि बढ़ा दिये जाने का मामला जोर पकड़ने लगा है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार परियोजना क्षेत्र देवसर के आंगनवाड़ी केन्द्र क्रमांक 2 नौढ़िया में पदस्थ आंगनवाड़ी कार्यकर्ता सुलोचना गुप्ता 31 जुलाई 2024 को 62 वर्ष की नौकरी अवधि पूर्ण करने पर सेवानिवृत्त हो गई थी। किन्तु सेवानिवृत्ता होने के पूर्व आंगनवाड़ी कार्यकर्ता ने जन्मतिथि सुधारने के लिए विभाग के अधिकारियों के यहां आवेदन दिया। उसने कक्षा 12वीं उत्तीर्ण की अंकसूची प्रस्तुत कर उसमें जन्मतिथि 3 जुलाई 1972 उल्लेख किया है और जन्मतिथि के आधार पर नौकरी की अवधि 10 साल बढ़ाए जाने की मांग की है। चर्चा है कि डीपीओ ने उक्त आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के 3 जुलाई 1972 के आधार पर 10 वर्षो के लिए बढ़ाते हुये जुलाई महीने का वेतन भी भुगतना भी कर दिया है। फिलहाल यह मामला उजागर होने के बाद डीपीओ ने अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ते हुये सभी जिम्मेदारियां परियोजना अधिकारियों पर थोप दिया है। जबकि ऐसे मामलों में संसोधन करने का अधिकार प्रदेश स्तर से डीपीओ के पास है।
नौकरी के समय की अंकसूची का क्या है रहस्य
महिला बाल विकास विभाग के दफ्तर में एक ही आंगनवाड़ी कार्यकर्ता की दो अलग-अलग अंकसूची चर्चा का विषय बना हुआ है। सूत्र बतातें है कि सुलोचना गुप्ता की जब आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के पद पर नियुक्ति हुई थी। उस दौरान उनके कक्षा 12वीं के जन्मतिथि 3 जुलाई 1962 और परीक्षा मार्च-अप्रैल 1986 उल्लेख है और जब कार्यकर्ता ने जन्मतिथि में संसोधन के लिए अंकसूची उक्त विभाग में प्रस्तुत की उसमें जन्मतिथि 3 जुलाई 1972 और परीक्षा मार्च-अप्रैल 1988 दर्ज है। हालांकि मार्कसीट के नम्बर में किसी प्रकार के कोई अन्य संसोधन नही है। दोनों अंकसूची के अंक बराबर हैं। अब सवाल उठ रहा है कि असली अंक सूची कौन सी है? जन्मतिथि में हुई त्रुटि की सुधार के लिए दिये गए आवेदन पत्र के दिये जान के बाद क्या परियोजना अधिकारी व डीपीओं ने परीक्षण कराया है?
मॉ एवं बेटे के जन्मतिथि में फांसला 11 वर्ष का
जिले में मानसेवी आंगनवाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिकाओं के यूनिक आईडी बनाई जाने का आदेश राज्य स्तर से था। जहां वर्ष 2021 में जिले के प्रत्येक आंगनवाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिकाओं के यूनिक कोड जिला मुख्यालय से बनाया गया था। जहां सुलोचना गुप्ता के यूनिक आईडी में माता-पिता, पति एवं प्रथम बच्चे का जन्मतिथि और वर्तमान स्थिति को उल्लेख करना था। उक्त कार्यकर्ता के यूनिक आईडी में पुत्र अम्रिकेश गुप्ता की जन्मतिथि 1 दिसम्बर 1983 दर्ज है। अब सवाल उठ रहा है कि मॉ एवं बेटे के जन्मतिथि का फांसला महज करीब 11 वर्ष का है। मॉ एवं बेटे की जन्मतिथि को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं शुरू हो गई हैं। फिलहाल इसकी सत्यता निष्पक्ष जांच होने के बाद ही सच एवं झूठ का पर्दाफांस हो पाएगा। हालांकि मौजूदा डीपीओ से निष्पक्ष जांच की उम्मीद करना ना काफी है।
इनका कहना:-
मुझे इस प्रकार का ब्लेम न करें। क्या सवाल है, क्या जवाब है? परियोजना अधिकारी और न्यायालय के अधिकार में है।
राजेश राम गुप्ता
जिला कार्यक्रम अधिकारी, महिला एवं बाल विकास, सिंगरौली

Pradeep Tiwari

Pradeep Tiwari

मैं, प्रदीप तिवारी, पिछले 10 वर्षों से पत्रकारिता से जुड़ा हूँ। सबसे पहले, मैं एक स्थानीय समाचार चैनल में एक रिपोर्टर के रूप में शामिल हुआ और फिर समय के साथ, मैंने लेख लिखना शुरू कर दिया। मुझे राजनीति और ताज़ा समाचार और अन्य विषयों से संबंधित समाचार लिखना पसंद है।

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