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समृद्धि के लिए परित्यक्त कोयला खदानें – सामुदायिक सशक्तिकरण के लिए सीसीएल मत्स्य पालन

Pradeep Tiwari
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समृद्धि के लिए परित्यक्त कोयला खदानें – सामुदायिक सशक्तिकरण के लिए सीसीएल मत्स्य पालन

 

प्रविष्टि तिथि: 16 OCT 2024 
PUBLISH BY URJADHANI NEWS 
 

सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड (सीसीएल) ने कई परित्यक्त खदानों को मत्स्य पालन के लिए उपयोगी फार्मों में बदल दिया है, जिससे प्राकृतिक संसाधनों के जिम्मेदारीपूर्ण उपयोग को बढ़ावा मिला है और जिसने स्थानीय अर्थव्यवस्था तथा जैव विविधता को भाी आगे बढ़ाया है। कोल इंडिया लिमिटेड की सहायक कंपनी सीसीएल कोयला मंत्रालय के मार्गदर्शन में अभिनव मत्स्यपालन पहलों का नेतृत्व करके सतत विकास में उल्लेखनीय प्रगति कर रही है।

सीसीएल की मस्त्य पालन परियोजनाएं कई चुनौतियों -आर्थिक और पर्यावरणीय- को संबोधित करने के लिए डिज़ाइन की गई हैं। यह पहल मुख्य रूप से स्थानीय समुदायों को आय का एक अतिरिक्त स्रोत प्रदान करके लाभान्वित करती है और साथ ही राज्य के मछली उत्पादन में भी योगदान देती है।

सीसीएल ने मछलीपालन के लिए पांच परित्यक्त खदानों की विकासित किया है, जिसने  सामुदायिक सहभागिता और मछली उत्पादन दोनों में शानदार परिणाम दिए हैं।

  1. झारखंड के हजारीबाग के अरगडा क्षेत्र में स्थित रेलिगरा मछली पालन परियोजना, 9.71 हेक्टेयर में फैली हुई है। कुल 20 पिंजरे मछलियों के लिए लगाए गए हैं, जिससे सालाना लगभग 9.6 टन मछली का उत्पादन होता है। इस परियोजना से रेलिगरा और बसकुदरा के आस-पास के गांवों के लगभग 100 निवासियों को सीधे-सीधे लाभ मिलता है। इसे जिला प्रशासन का भी समर्थन प्राप्त है।
Pradeep Tiwari

Pradeep Tiwari

मैं, प्रदीप तिवारी, पिछले 10 वर्षों से पत्रकारिता से जुड़ा हूँ। सबसे पहले, मैं एक स्थानीय समाचार चैनल में एक रिपोर्टर के रूप में शामिल हुआ और फिर समय के साथ, मैंने लेख लिखना शुरू कर दिया। मुझे राजनीति और ताज़ा समाचार और अन्य विषयों से संबंधित समाचार लिखना पसंद है।

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