सिंगरौली में इनदिनों पेड़ों को इस कदर काटा जा रहा है जिसका कोई मोल ही ना हो एक पेड़ सौ पुत्र के बराबर कहा जाता है

सिंगरौली में इनदिनों पेड़ों को इस कदर काटा जा रहा है जिसका कोई मोल ही ना हो एक पेड़ सौ पुत्र के बराबर कहा जाता है

 

सिंगरौली 28 फरवरी जिले में इन दिनों पेड़ों को इस कदर काटा जा रहा है जिसका कोई मोल ही ना हो एक पेड़ सौ पुत्र के बराबर कहा जाता है वहीं दूसरी ओर आए दिन पेड़ों को लगातार काटा जा रहा है ….. ठीक उसी तरह माडा के जंगलों से… भारी मात्रा में लकड़ी काटकर निकाली जा रही है जिसकी जानकारी माडा रेंजर को तो है परंतु कार्यवाही के नाम पर सिर्फ खोखला है जानकारी के मुताबिक जंगल से निकल रही लकड़ी की जानकारी शिल्पी जायसवाल को है लेकिन कार्यवाही नहीं की जा रही है विगत दिनों अमर उजाला के गाड़ी में लकड़ी का खेत पाया गया इस पर कार्यवाही तो की गई लेकिन इसी तरह लगातार लकड़ी का व्यापार चल रहा है लकड़ी माफिया अलग-अलग तरीकों से जंगल से लकड़ी निकाल रहे हैं लेकिन जिम्मेदार अधिकारी कार्यवाही नहीं कर रहे हैं जिसके वजह से जंगल नष्ट हो रहा है एक और वातावरण पर्यावरण बचाने की बात की जाती है वहीं दूसरी ओर जंगल विभाग के अधिकारी जंगल को बचाने में नाकामयाब साबित हो रहे हैं।….. ठीक उसी तरह माडा के जंगलों से… भारी मात्रा में लकड़ी काटकर निकाली जा रही है जिसकी जानकारी माडा रेंजर को तो है परंतु कार्यवाही के नाम पर सिर्फ खोखला है जानकारी के मुताबिक जंगल से निकल रही लकड़ी की जानकारी शिल्पी जायसवाल को है लेकिन कार्यवाही नहीं की जा रही है विगत दिनों अमर उजाला के गाड़ी में लकड़ी का खेत पाया गया इस पर कार्यवाही तो की गई लेकिन इसी तरह लगातार लकड़ी का व्यापार चल रहा है लकड़ी माफिया अलग-अलग तरीकों से जंगल से लकड़ी निकाल रहे हैं लेकिन जिम्मेदार अधिकारी कार्यवाही नहीं कर रहे हैं जिसके वजह से जंगल नष्ट हो रहा है एक और वातावरण पर्यावरण बचाने की बात की जाती है वहीं दूसरी ओर जंगल विभाग के अधिकारी जंगल को बचाने में नाकामयाब साबित हो रहे हैं। अब देखना यह बाकी होगा कि जिले में कट रही लकड़ी सहित माडा के जंगल से निकल रही लकड़ी पर कब रोक लग पायेगा सिंगरौली में भारी प्रदूषण तो है ही वहीं दूसरी ओर बचे जंगलों को भी जंगल विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से कटता जा रहा है…. वृक्ष भले ही लगाए जाते हैं लेकिन उसकी सुरक्षा जंगल विभाग नहीं कर पा रहा है और जो पेड़ बड़े हो गए हैं उन्हें कटवाने में भी जंगल विभाग के अधिकारी कर्मचारी पीछे नहीं हट रहे हैं… । अगर अधिकारियों की मिलीभगत नहीं होती तो क्या मजाल कोई एक पत्ता जंगल का निकाल कर बाहर चला जाए।