फ्लाई ऐश से बढ़ा टीकमगढ़ का पर्यावरण तनाव, आरटीआई कार्यकर्ता ने कलेक्टर से की कठोर कार्रवाई की मांग

फ्लाई ऐश से बढ़ा टीकमगढ़ का पर्यावरण तनाव, आरटीआई कार्यकर्ता ने कलेक्टर से की कठोर कार्रवाई की मांग

जिले के कई इलाकों में राख फैलाने का आरोप, आवेदन में चेताया, भोपाल गैस त्रासदी जैसे दुष्परिणाम न दोहराए जाएं

टीकमगढ़। जिले में पर्यावरण और जनस्वास्थ्य को लेकर नया विवाद खड़ा हो गया है। जिला निवासी एवं आरटीआई व पर्यावरण एक्टिविस्ट ने कलेक्टर एवं जिला दंडाधिकारी को एक विस्तृत आवेदन सौंपते हुए आरोप लगाया है कि ललितपुर पावर जेनरेशन कंपनी लिमिटेड द्वारा टीकमगढ़ के कई क्षेत्रों में फ्लाई ऐश (राख) का अनुचित निस्तारण किया जा रहा है, जिससे मिट्टी, फसल, भूजल और वायु प्रदूषण का गंभीर खतरा उत्पन्न हो गया है।

राख में ज़हरीले तत्व, मिट्टी और जल प्रदूषण की आशंका

प्रजापति के अनुसार, फ्लाई ऐश में सीसा, आर्सेनिक, कैडमियम जैसे भारी धातु पाए जाते हैं, जो दीर्घकालिक रूप से मिट्टी की उर्वरता घटाने, फसलों की पैदावार कम करने और भूजल को दूषित करने में सक्षम हैं।
आवेदन में यह भी उल्लेख किया गया है कि इन प्रदूषकों से श्वसन रोग, फेफड़ों के संक्रमण, त्वचा संबंधी बीमारियाँ और कैंसर जैसी समस्याओं का जोखिम बढ़ सकता है।

जिले के कई स्थानों पर राख फेंके जाने का आरोप

आवेदन में जिन स्थलों का उल्लेख किया गया है, उनमें
ग्राम सुनवाहा, मिनौरा, सुजानपुरा, नीमखेरा, नारगुड़ा वाटरपार्क के पास, मामौन तालाब, वृंदावन तालाब, आईटीआई कॉलेज के सामने पेट्रोल पंप क्षेत्र, ग्राम माणिकपुरा बानपुर रोड, तथा जिला जेल के सामने की शासकीय भूमि शामिल हैं।
शिकायतकर्ता का दावा है कि इन स्थलों पर राख फैलने से स्थानीय नागरिकों, पशुधन और फसलों को प्रत्यक्ष खतरा उत्पन्न हो गया है।

भोपाल गैस त्रासदी का उल्लेख कर दी चेतावनी

प्रजापति ने आवेदन में भोपाल गैस त्रासदी (1984) का उदाहरण देते हुए कहा है कि पर्यावरणीय लापरवाही किस स्तर पर जनहानि का रूप ले सकती है, यह इतिहास ने दिखाया है।
उन्होंने प्रशासन को आगाह किया कि यदि फ्लाई ऐश का अनियंत्रित निस्तारण जारी रहा, तो टीकमगढ़ में भी ऐसी स्थिति पैदा हो सकती है जिसे संभालना कठिन होगा।

शिकायतकर्ता की प्रमुख मांगें —

जिले की सीमा में फ्लाई ऐश डालने पर तत्काल पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाए।
प्रकरण की स्वतंत्र और वैज्ञानिक जांच कराई जाए।
दोषी पाए जाने पर कठोर दंडात्मक कार्यवाही की जाए।
जांच और कार्रवाई की जानकारी सार्वजनिक रूप से साझा की जाए।

ग्रामीणों में चिंता, प्रशासन से पारदर्शी जांच की मांग

इस आवेदन के बाद जिले के कई गांवों खासतौर पर राख फैलने वाले क्षेत्रों में स्थानीय लोगों में बेचैनी बढ़ गई है। ग्रामीणों ने भी प्रशासन से अपील की है कि पर्यावरण को नुकसान से पहले ही ठोस कदम उठाए जाएं।
एक ग्रामीण ने कहा पहले खेतों की मिट्टी में राख के दाने दिखते हैं, अब सांस में भी धूल का असर महसूस होने लगा है।

अधिकारियों की प्रतिक्रिया का इंतज़ार

कलेक्टर कार्यालय ने आवेदन की प्राप्ति की पुष्टि की है, लेकिन आधिकारिक टिप्पणी या आगे की कार्रवाई पर अभी कोई बयान जारी नहीं किया गया है।
फिलहाल जिले में इस मुद्दे को लेकर प्रशासन, पर्यावरण विभाग और आम नागरिकों के बीच सतर्कता और उम्मीद दोनों बनी हुई है।