कोयला मंत्रालय ने भारतीय कोयला कंपनियों के लिए सीएसआर फ्रेमवर्क संबंधी हितधारक परामर्श बैठक आयोजित की
कोयला मंत्रालय ने आज नई दिल्ली के स्कोप कॉम्प्लेक्स में भारतीय कोयला कंपनियों के लिए कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) ढांचे पर विचार-विमर्श हेतु हितधारकों के साथ एक परामर्श बैठक आयोजित की। इस परामर्श बैठक में कोयला मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों और कोल इंडिया लिमिटेड, एनएलसी इंडिया लिमिटेड, सिंगरेनी कोलियरीज कंपनी लिमिटेड और निजी क्षेत्र की कोयला कंपनियों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।
कोयला क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रमों की सीएसआर नीतियां कंपनी अधिनियम, 2013, कंपनी (सीएसआर नीति) नियम, 2014 और लोक उद्यम विभाग (डीपीई) के दिशानिर्देशों के तहत नीति निर्देशों के अंतर्गत तैयार की गई हैं। पिछले कुछ वर्षों से कोयला क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रमों ने स्वास्थ्य, शिक्षा, पर्यावरण, स्वच्छता, खेल आदि क्षेत्रों में उल्लेखनीय पहल की हैं। इस क्षेत्र में निजी कंपनियों की बढ़ती उपस्थिति को देखते हुए कोयला कंपनियों के लिए एक क्षेत्र-विशिष्ट सीएसआर ढांचे की आवश्यकता महसूस की गई है, जो ज़िम्मेदार और स्थायी प्रथाओं को बढ़ावा देने, पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने और निजी तथा सार्वजनिक क्षेत्र की कोयला कंपनियों के बीच हितधारक जुड़ाव को बढ़ाने के लिए एक मार्गदर्शक के रूप में कार्य करे।
प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कोयला मंत्रालय की अपर सचिव, सुश्री रूपिंदर बरार ने कोयला कंपनियों से आग्रह किया कि वे समुदाय और व्यवसाय के लाभ के लिए अपने सीएसआर, कल्याण और स्थिरता प्रयासों को एकीकृत करें और उन्होंने इन प्रयासों को मात्रात्मक रूप देकर ग्रीन क्रेडिट अर्जित करने की बात पर जोर दिया। कोयला क्षेत्र के लिए एक समर्पित सीएसआर ढांचा तैयार करने के महत्व पर ज़ोर देते हुए उन्होंने सीएसआर पहलों की योजना बनाते समय स्थानीय आवश्यकताओं को प्राथमिकता देने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।
सुश्री बरार ने आवश्यकता और प्रभाव आकलन हेतु विश्वसनीय एजेंसियों को शामिल करने के महत्व पर ज़ोर दिया, ताकि प्रभावी सीएसआर गतिविधियों को शुरू करने और उन्हें क्रियान्वित करने हेतु गहन विश्लेषण और कार्यात्मक अंतर्दृष्टि प्रदान की जा सके। उन्होंने कोयला कंपनियों को सहयोग करने और ज्ञान एवं संसाधनों को साझा करने के लिए भी प्रोत्साहित किया। उन्होंने कोयला कंपनियों से अपने द्वारा किए जा रहे अच्छे कार्यों के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए अपने आउटरीच प्रयासों को मज़बूत करने का आग्रह किया।
कोयला पीएसयू और निजी क्षेत्र की कंपनियों ने इस पहल का स्वागत किया और प्रमुख ढांचे के तत्वों पर महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की। उन्होंने प्रमुख सीएसआर परियोजनाओं, सामुदायिक सहभागिता और प्रभाव आकलन से सीखे गए सबक के साथ अपने अनुभव भी साझा किए। विचार-विमर्श के दौरान इस बात पर ज़ोर दिया गया कि सामुदायिक लाभ ही अंतिम उद्देश्य होना चाहिए और स्थानीय समुदायों की ज़रूरतों और प्राथमिकताओं को समझने के लिए उनके साथ अर्थपूर्ण जुड़ाव पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए।
सीएसआर कार्यान्वयन और रिपोर्टिंग में सर्वोत्तम प्रथाओं को एकीकृत करना और पारदर्शिता व जवाबदेही सुनिश्चित करना भी महत्वपूर्ण है। इस फ्रेमवर्क को स्थानीय आवश्यकताओं के आधार पर सरकारी योजनाओं के साथ अभिसरण के अवसरों का भी पता लगाना चाहिए और व्यापक स्थिरता रिपोर्टिंग के लिए बीआरएसआर, जीआरआई और एसडीजी जैसे रिपोर्टिंग फ्रेमवर्क के साथ संरेखित होना चाहिए।
इसके अलावा, हितधारकों ने बजट निर्माण के लिए मानक संचालन प्रक्रियाओं (एसओपी) की आवश्यकता, सृजित परिसंपत्तियों की स्थिरता सुनिश्चित करने, कार्यान्वयन एजेंसियों के लिए एक समर्पित दृष्टिकोण और सीएसआर गतिविधियों को सुदृढ़ करने हेतु एक प्रभावी आउटरीच रणनीति की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। कोयला कंपनियों के लिए एक मजबूत और प्रभावी सीएसआर ढांचा तैयार करने में ये तत्व आवश्यक होंगे।
यह परामर्श एक सार्थक अभ्यास था और फ्रेमवर्क तैयार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था। इसने मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान की, जिसमें प्रस्तावित फ्रेमवर्क के फोकस के प्रमुख क्षेत्रों पर प्रकाश डाला गया।