3 वर्षो में नही पूर्ण हुआ आंगनवाड़ी केन्द्र भवन के उन्नयन कार्य
डीएमएफ से वर्ष 2022 में करीब 45 लाख रूपये की मिली थी प्रशासकीय स्वीकृति, आरईएस है निर्माण एजेंसी
सिंगरौली 3 नवम्बर। ग्रामीण यांत्रिकी सेवा संभाग सिंगरौली के अधिकारियों की कार्यगुजारी एक के बाद एक परत दर परत खुलने लगी हैं। वहीं मौजूदा कार्यपालन यंत्री की कार्यप्रणाली पर भी अब तरह-तरह की अंगुलियां उठ रही हैं।
गौरतलब है कि जिले में खनिज प्रतिष्ठान मद की राशि में बंदरबांट, कमीशनखोरी के आरोप कई वर्षो से लगते आ रहे हैं। लेकिन पिछले दो वर्षो के दौरान डीएमएफ की राशि को लेकर जिला प्रशासन जहां निशाने में रहा है। वहीं राशि के दुरूपयोग को लेकर किरकिरी भी हो रही है। जानकारी के अनुसार डीएमएफ से ग्रामीण यांत्रिकी सेवा संभाग सिंगरौली को वर्ष 2021-22 में करीब 89 आंनवाड़ी केन्द्र भवन के उन्नयन कार्य के लिए तकरीबन 45 लाख रूपये की मंजूरी दी गई थी और आरोप लग रहे हैं कि तीन साल बाद भी कार्य पूर्ण हुआ कि नही, इसकी जानकारी आरईएस विभाग के कार्यपालन यंत्री नही दे रहे हैं। साथ ही यह भी सवाल उठाया जा रहा है कि यदि कार्य पूर्ण हुआ है तो पूर्णतया प्रमाण पत्र देने में इतना लेट लतीफी क्यों किया जा रहा है और यदि कार्य पूर्ण नही हुआ है तो उसकी जवाब देही किसकी है और किन कारणों से आंगनवाड़ी केन्द्र भवन का उन्नयन कार्य नही हो पाया है। अब सवाल उठाया जा रहा है कि आरईएस विभाग डीएमएफ मंजूरी कार्यो के प्रति गंभीर नही है या यह भी हो सकता है कि आंनवाड़ी केन्द्र भवनों के उन्नयन कार्य कागजों में ही कराने की मंशा रही हो और वह मंशा पूर्ण नही हो पाया है। उसमें कुछ न कुछ अड़चने आई होंगी या कोई रोड़ा डाला होगा। यह भी आरोप लग रहा है कि आरईएस विभाग का कुछेक अमला राशि की बंदरबांट करने में ज्यादा दिमाग लगाते हैं। संभवत: इसी के चलते उक्त कार्य तीन साल से लटके हुये हैं। हालांकि अब नवागत कलेक्टर गौरव बैनल के आने के बाद प्रबुद्धजनों ने उम्मीद जताई है कि डीएमएफ की राशि में पारदर्शिता आएगी और राशि की बंदरबांट करने वालों पर शिकंजा कसेंगे। ऐसा प्रबुद्धजन अनुमान लगा रहे हैं। फिलहाल जिले के 89 आंनवाड़ी केन्द्र भवनों के उन्नयन कार्य तीन वर्षो से लटके होने या कार्य पूर्ण होने के पूर्णतया प्रमाण पत्र शामिल न किये जाने पर ग्रामीण यांत्रिकी सेवा संभाग के जिम्मेदार अधिकारी की कार्यप्रणाली पर अब तरह-तरह की उंगलियां उठने लगी हैं।
सतत् तरीके से नही हुई कार्यो की समीक्षा
खनिज प्रतिष्ठान मद से कार्य मंजूर करने के बाद जिम्मेदार अधिकारियों ने गहनता के साथ समीक्षा भी नही किया। अकेले आरईएस विभाग में 2021 से लेकर दिसम्बर 2024 तक करीब 30 से अधिक विभिन्न कार्य प्रगति पर बताकर अधिकारियों को हमेशा अंधेरे में रखा गया। वहीं आम आदमी पार्टी के पूर्व जिलाध्यक्ष राजेश सोनी का कहना है कि प्रभारी मंत्री सिंगरौली आना जाना लगा रहता है। डीएमएफ से मंजूर कार्यो की समीक्षा विभाग वार करने का उनके पास वक्त नही रहता है। नतीजा यही है कि पॉच साल से डीएमएफ के कार्य पूर्ण नही हो पाए हैं। कहीं न कहीं मंत्री से लेकर जिले के जिम्मेदार अधिकारियों की घोर उदासीनता है। यदि उक्त कार्यो के संबंध में समीक्षा बैठक बुलाकर जानकारी ली गई होती तो कार्य हर हाल में पूर्ण होते। यही भी आरोप लगाया है कि उक्त कार्यो में राशि बंदरबांट की बू आ रही है।
भोपाल से मांगी जानकारी, देने में आनाकानी
नवभारत ने आज 3 नवम्बर को अब तक नही हुई 241 शालाओं की मरम्मत शीर्षक नामक खबर प्रमुखता से सिंगरौली एवं भोपाल में प्रकाशित हुई। जहां भोपाल जन संपर्क आयुक्त कार्यालय से सिंगरौली से उक्त कार्यो की वर्तमान स्थिति की जानकारी तत्काल मांगी गई, लेकिन सूत्र बता रहे हैं ग्रामीण यांत्रिकी सेवा संभाग सिंगरौली के कार्यपालन यंत्री मनोज बाथम उक्त जानकारी देने में आनाकानी कर रहे हैं, बल्कि दबाव बना रहे हैं कि टालमटोल कर दिया जाये। आयुक्त जन संपर्क कार्यालय में वस्तुस्थिति की जानकारी देने में कार्यपालन यंत्री के द्वारा आनाकानी क्यों की जा रही है। इसका जवाब तो वही दे पाएंगे। लेकिन यह माना जा रहा है कि कहीं न कहीं 241 शाला भवनो के मरम्मत कार्य के लिए मंजूर 4 करोड़ 82 लाख रूपये में बंदरबांट करने की योजना रही होगी।