विज्ञान, तकनीक, चिकित्सा और प्रबंधन के साथ-साथ शारीरिक शिक्षा और योग भी अब एक महत्वपूर्ण कैरियर क्षेत्र: अमर सिंह

विज्ञान, तकनीक, चिकित्सा और प्रबंधन के साथ-साथ शारीरिक शिक्षा और योग भी अब एक महत्वपूर्ण कैरियर क्षेत्र: अमर सिंह

गाजीपुर। स्नातकोत्तर महाविद्यालय, गाजीपुर में पूर्व शोध प्रबन्ध प्रस्तुत संगोष्ठी का आयोजन किया गया। यह संगोष्ठी महाविद्यालय के अनुसंधान एवं विकास प्रकोष्ठ तथा विभागीय शोध समिति के तत्वावधान में महाविद्यालय के सेमिनार हाल में सम्पन्न हुई, जिसमें महाविद्यालय के प्राध्यापक, शोधार्थी व छात्र- छात्राएं उपस्थित रहे। उक्त संगोष्ठी मे विज्ञान संकाय के शारीरिक शिक्षा एवं खेलकूद विषय के शोधार्थी अमर सिंह ने अपने शोध प्रबंध शीर्षक “ए स्टडी ऑफ कॉलेज गोइंग गर्ल्स टू एडॉप्ट फिजिकल एजुकेशन एंड योगा एज कैरियर” नामक विषय पर शोध प्रबन्ध व उसकी विषय वस्तु प्रस्तुत करते हुए कहा कि आज की युवा पीढ़ी के सामने करियर विकल्पों की अनेक राहें खुली हुई हैं। विज्ञान, तकनीक, चिकित्सा और प्रबंधन के साथ-साथ शारीरिक शिक्षा और योग भी अब एक महत्वपूर्ण करियर क्षेत्र बनते जा रहे हैं। विशेषकर स्वास्थ्य जागरूकता के इस दौर में योग और शारीरिक शिक्षा का महत्व न केवल व्यक्तिगत स्वास्थ्य तक सीमित है, बल्कि यह समाज और राष्ट्र के स्वास्थ्य निर्माण से भी गहराई से जुड़ा हुआ है। आज की युवा पीढ़ी के सामने करियर विकल्पों की अनेक राहें खुली हुई हैं। विज्ञान, तकनीक, चिकित्सा और प्रबंधन के साथ-साथ शारीरिक शिक्षा और योग भी अब एक महत्वपूर्ण करियर क्षेत्र बनते जा रहे हैं। विशेषकर स्वास्थ्य जागरूकता के इस दौर में योग और शारीरिक शिक्षा का महत्व न केवल व्यक्तिगत स्वास्थ्य तक सीमित है, बल्कि यह समाज और राष्ट्र के स्वास्थ्य निर्माण से भी गहराई से जुड़ा हुआ है। प्रस्तुत अध्ययन गोरखपुर जनपद की विभिन्न महाविद्यालयों की 485 छात्राओं पर आधारित है। इसमें हमने यह जानने का प्रयास किया कि छात्राएँ किस हद तक शारीरिक शिक्षा और योग को अपने भविष्य के करियर के रूप में अपनाने के लिए इच्छुक हैं। शोध से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य सामने आए हैं , अधिकांश छात्राएँ मानती हैं कि योग और शारीरिक शिक्षा से उन्हें न केवल रोजगार मिलेगा बल्कि आत्मिक संतोष और समाजसेवा का अवसर भी मिलेगा। परिवार और समाज की सोच, रोजगार अवसरों की उपलब्धता तथा सामाजिक मान्यताएँ इस निर्णय को गहराई से प्रभावित करती हैं। कुछ छात्राओं ने यह भी बताया कि रूढ़िवादी धारणाएँ और सीमित नौकरी अवसर उनके मार्ग में बाधा उत्पन्न करते हैं। यदि हमारी शिक्षण संस्थाएँ और सरकार इस दिशा में सकारात्मक पहल करें जैसे व्यावसायिक प्रशिक्षण, करियर काउंसलिंग और रोजगार अवसर उपलब्ध कराएँ तो निश्चय ही हमारी बेटियाँ इस क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान कर सकती हैं। अंत में यह कहना ठीक रहेगा कि योग और शारीरिक शिक्षा केवल करियर का विकल्प नहीं हैं, बल्कि यह जीवन जीने की एक शैली है। हमारी छात्राएँ जब इसे अपनाएँगी तो वे न केवल अपने लिए, बल्कि पूरे समाज के लिए एक स्वस्थ और सशक्त भविष्य का निर्माण करेंगी। प्रस्तुतिकरण के बाद विभागीय शोध समिति, अनुसंधान एवं विकास प्रकोष्ठ व प्राध्यापकों तथा शोध छात्र-छात्राओं द्वारा शोध पर विभिन्न प्रकार के प्रश्न पूछे गए जिनका शोधार्थिनी सोनम सिंह ने संतुष्टिपूर्ण एवं उचित उत्तर दिया। तत्पश्चात समिति एवं महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफे० (डॉ०) राघवेन्द्र कुमार पाण्डेय ने शोध प्रबन्ध को विश्वविद्यालय में जमा करने की संस्तुति प्रदान किया। इस संगोष्ठी में महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफे० (डॉ०) राघवेन्द्र कुमार पाण्डेय, अनुसंधान एवं विकास प्रकोष्ठ के संयोजक प्रोफे० (डॉ०) जी० सिंह, शोध निर्देशक डॉ० अनुराग सिंह एवं शारीरिक शिक्षा एवं खेलकूद विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ लवजी सिंह, प्रोफे०(डॉ०) सुजीत कुमार सिंह, प्रोफे०(डॉ०) अरुण कुमार यादव, डॉ० रामदुलारे, डॉ० अशोक कुमार, प्रोफे०(डॉ०) संजय चतुर्वेदी, डॉ० ओमदेव सिंह गौतम, प्रदीप सिंह एवं महाविद्यालय के प्राध्यापकगण तथा शोध छात्र छात्रएं आदि उपस्थित रहे। अंत में डॉ० लवजी सिंह ने सभी का आभार व्यक्त किया तथा संचालन अनुसंधान एवं विकास प्रोकोष्ठ के संयोजक प्रोफे०(डॉ०) जी० सिंह ने किया।