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हाथियों का संरक्षण

Pradeep Tiwari
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हाथियों का संरक्षण

 
 

पिछले कुछ वर्षों में देश में हाथियों की जनसंख्या के अनुमान का विवरण इस प्रकार है:

वर्ष

2007

2012

2017

हाथियों की जनसंख्‍या

27669-27719

29391-30711

29964

 

हाथी सहित वन्यजीव आवासों का प्रबंधन मुख्य रूप से राज्य सरकारों/केन्द्र शासित प्रदेशों के प्रशासन की जिम्मेदारी है। हाथी रिजर्व का बहुत बडा हिस्सा टाइगर रिजर्व, वन्यजीव अभयारण्यों, आरक्षित और संरक्षित वन क्षेत्रों के साथ ओवरलैप हो रहा है, जो वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972, भारतीय वन अधिनियम, 1927 और अन्य राज्य स्थानीय अधिनियमों के तहत संरक्षित हैं। इनकी गतिविधियों को मौजूदा अधिनियमों, नियमों और दिशानिर्देशों के अनुसार विनियमित किया जाता है।

मंत्रालय ने हाथियों और उनके आवास के संरक्षण के लिए निम्नलिखित उपाय किए हैं:

  1. मंत्रालय हाथियों, उनके आवासों और गलियारों के संरक्षण, मानव-हाथी संघर्ष के मुद्दों के समाधान और देश में बंदी हाथियों के कल्याण के लिए केंद्र द्वारा प्रायोजित योजना ‘प्रोजेक्ट टाइगर एंड एलीफेंट’ के तहत राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान कर रहा है। पिछले पांच वित्तीय वर्षों में उपर्युक्त गतिविधियों के लिए आवंटित और उपयोग किए गए बजट का विवरण अनुबंध में दिया गया है।
  2. इस मंत्रालय द्वारा लागू की जा रही वन्यजीव आवास के एकीकृत विकास सहित केन्द्र द्वारा प्रायोजित अन्य विभिन्न योजनाएं जल स्रोतों को बढ़ाकर, चारे वाले पेड़ लगाकर, बांस के पुनर्जनन आदि के माध्यम से हाथियों के प्राकृतिक आवास में सुधार करने में योगदान देती हैं। प्रतिपूरक वनरोपण निधि अधिनियम, 2016 और इसके तहत बनाए गए नियमों में हाथियों सहित अन्‍य वन्यजीव आवासों के विकास, पशु बचाव केंद्रों की स्थापना आदि के लिए निधि के उपयोग का प्रावधान है, जो एचईसी को कम करने में भी योगदान देती हैं।
  3. मानव-वन्यजीव संघर्ष से निपटने के लिए मंत्रालय द्वारा फरवरी, 2021 में एक एडवाइजरी जारी की गई है। यह एडवाइजरीं समन्वित अंतर-विभागीय कार्रवाई, संघर्ष वाले हॉटस्पॉट की पहचान, मानक संचालन प्रक्रियाओं का पालन, त्वरित प्रतिक्रिया टीमों की स्थापना, अनुग्रह राहत की मात्रा की समीक्षा के लिए राज्य और जिला स्तरीय समितियों का गठन, शीघ्र भुगतान के लिए मार्गदर्शन/दिशा निर्देश जारी करना और व्यक्तियों की मृत्यु और घायल होने की स्थिति में प्रभावित व्यक्तियों को 24 घंटे के भीतर अनुग्रह राहत के उपयुक्त हिस्से का भुगतान करने के लिए पर्याप्त धनराशि का प्रावधान करने की सिफारिश की गई है।
  • IV. पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने भी 3 जून, 2022 को फसलों को होने वाली हानि सहित मानव-वन्यजीव संघर्षों के प्रबंधन पर राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इसमें वन सीमांत क्षेत्रों में ऐसी फसलों को बढ़ावा देना शामिल है जो जंगली जानवरों के लिए अरुचिकर हों। कृषि वानिकी मॉडल में मिर्च, लेमन घास, खस घास जैसी नकदी फसलें शामिल हैं, जिन्हें पेड़/झाड़ी प्रजातियों के साथ उपयुक्त रूप से मिश्रित किया जाता है। इसमें संवेदनशील क्षेत्रों में विभिन्न योजनाओं के तहत राज्य कृषि/बागवानी विभाग द्वारा वैकल्पिक फसल बुआई के लिए व्यापक दीर्घकालिक योजना की तैयारी करना और कार्यान्वयन करना भी शामिल है।
  1. भारतीय वन्यजीव संस्थान, देहरादून ने पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण, राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण और विश्व बैंक समूह के परामर्श से ‘रैखिक अवसंरचना के प्रभावों को कम करने के लिए पर्यावरण अनुकूल उपाय’ (2016) नामक एक दस्तावेज प्रकाशित किया है। इसका उद्देश्य रेलवे लाइनों सहित रैखिक अवसंरचना को इस तरह से डिजाइन करने में परियोजना एजेंसियों की सहायता करना है, जिससे मानव-पशु संघर्ष कम हो सके।
  • VI. पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने राज्य वन विभागों के साथ समन्वय करके भारत में 15 हाथी क्षेत्र वाले राज्यों (अर्थात आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, असम, बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, कर्नाटक, केरल, मेघालय, नगालैंड, ओडिशा, तमिलनाडु, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल) में 150 हाथी गलियारों का स्थलीय मान्यता दी है तथा राज्य सरकारों/केन्‍द्र शासित राज्‍य के प्रशासनों को हाथी गलियारों की सुरक्षा और संरक्षण के लिए आवश्यक कदम उठाने के लिए भी सूचित किया है।
  1. हाथियों के संरक्षण पर ध्यान केन्द्रित करने और समन्वय स्थापित करने तथा संघर्ष को कम करने के लिए महत्वपूर्ण हाथी आवासों को ‘हाथी रिजर्व’ के रूप में अधिसूचित किया गया है। मंत्रालय में गठित संचालन समिति की मंजूरी से अधिसूचना जारी की जाती है। अब तक 14 प्रमुख हाथी राज्यों में 33 हाथी रिजर्व स्थापित किए जा चुके हैं।
  2. 29 अप्रैल, 2022 को संचालन समिति की 16वीं बैठक के दौरान मानव-हाथी संघर्ष के प्रबंधन के लिए अग्रिम पंक्ति के कर्मचारियों के लिए एक फील्ड मैनुअल जारी किया गया।
  • IX. वन्य जीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 में मानव-वन्य जीव संघर्ष स्थितियों से निपटने के लिए नियामक कार्यों का प्रावधान किया गया है।
  1. रेल मंत्रालय तथा पर्यावरण एवं वन मंत्रालय द्वारा संयुक्त रूप से 30 मार्च, 2010 को उत्तरी सीमांत (एनएफ), पूर्वी तट तथा दक्षिणी रेलवे के महाप्रबंधकों को एक सामान्य एडवाइजरी जारी की गई है, जिसमें सुझाए गए उपायों को लागू करने का अनुरोध किया गया है।
  • XI. विद्युत मंत्रालय द्वारा सभी डिस्कॉम और ट्रांसको को जारी की गई विद्युत पारेषण लाइनों और अन्य विद्युत अवसंरचना के कारण हाथियों और अन्य वन्यजीवों पर पड़ने वाले प्रभाव को कम करने के उपायों के कार्यान्वयन पर एक एडवाइजरी 16 सितंबर, 2022 को सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को परिपत्रित की गई है।
  1. मंत्रालय ने मानव-हाथी संघर्ष से निपटने के लिए तालमेल पूर्ण सह-अस्तित्व दृष्टिकोण अपनाते हुए मानव-हाथी संघर्ष शमन हेतु दिशानिर्देश (2023) भी जारी किए गए हैं।
  2. मानव-हाथी संघर्ष को कम करने और हाथियों की प्रतिशोधात्मक हत्या से बचने के लिए स्थानीय समुदायों को जंगली हाथियों द्वारा उनकी संपत्ति और जीवन हानि के लिए मुआवजा प्रदान किया जाता है। मंत्रालय ने पत्र संख्या डब्ल्यूएल-21/4/2023 डब्ल्यूएल दिनांक 22 दिसंबर, 2023 के माध्यम से वन्यजीवों के विनाश से संबंधित अनुग्रह दरों में वृद्धि को अधिसूचित किया है, जिसमें जंगली जानवरों द्वारा हुई मृत्यु के मामले में अनुग्रह राशि को 5 लाख रुपये से बढ़ाकर 10 लाख रुपये करना शामिल है।
  3. रेल दुर्घटना में हाथियों की मौत को रोकने के लिए रेल मंत्रालय और पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के बीच एक स्थायी समन्वय समिति भी गठित की गई है।
  4. रेल मंत्रालय और विद्युत मंत्रालय के साथ नियमित रूप से अंतर-मंत्रालयी बैठकें आयोजित की जाती हैं, ताकि ट्रेन की टक्कर और बिजली के झटके से हाथियों की आकस्मिक मृत्यु के मुद्दे का समग्र रूप से समाधान किया जा सके।
  5. 13 से 15 मार्च, 2023 को भारतीय वन्यजीव संस्थान, देहरादून में “हाथी रिजर्वों के प्रबंधन को मुख्यधारा में लाने” पर एक क्षमता निर्माण कार्यशाला आयोजित की गई।
  6. भारतीय रेलवे के अधिकारियों के लिए “हाथियों और अन्य वन्यजीवों पर रेलवे के प्रभाव को कम करने” पर एक क्षमता निर्माण कार्यशाला 23 से 25 ​​नवंबर, 2023 को भारतीय वन्यजीव संस्थान, देहरादून में आयोजित की गई।
  7. 28 से 29 नवंबर, 2023 को भारतीय वन्यजीव संस्थान, देहरादून में “हाथी रिजर्वों के प्रबंधन को मुख्यधारा में लाने” पर एक क्षमता निर्माण कार्यशाला आयोजित की गई।
  8. 11 से 13 जनवरी, 2024 को भारतीय वन्यजीव संस्थान, देहरादून में “भारत में बिजली के बुनियादी ढांचे में बिजली के झटके के जोखिम को कम करने और वन्यजीव सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए समाधान तलाशने” पर एक क्षमता निर्माण कार्यशाला आयोजित की गई।
Pradeep Tiwari

Pradeep Tiwari

मैं, प्रदीप तिवारी, पिछले 10 वर्षों से पत्रकारिता से जुड़ा हूँ। सबसे पहले, मैं एक स्थानीय समाचार चैनल में एक रिपोर्टर के रूप में शामिल हुआ और फिर समय के साथ, मैंने लेख लिखना शुरू कर दिया। मुझे राजनीति और ताज़ा समाचार और अन्य विषयों से संबंधित समाचार लिखना पसंद है।

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