वित्त वर्ष 2024-25 में भारत की वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 6.5 से 7 प्रतिशत रहने का अनुमान
लचीला दिखाते हुए, वित्त वर्ष 2024 में भारत की वास्तविक जीडीपी 8.2 प्रतिशत की दर से बढी है, वित्त वर्ष 2024 के चार तिमाहियों में से तीन तिमाहियों में यह दर 8 प्रतिशत से अधिक रही है
वित्त वर्ष 2024 में वर्तमान मूल्यों पर समग्र जीवीए में कृषि, उद्योग और सेवा की हिस्सेदारी क्रमश: 17.7 प्रतिशत, 27.6 प्रतिशत और 54.7 प्रतिशत थी
वित्त वर्ष 2024 में विनिर्माण क्षेत्र 9.9 प्रतिशत की दर से बढा है, इसके अलावा निर्माण गतिविधियों में भी 9.9 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई
वित्त वर्ष 2023 में खुदरा महंगाई दर 6.7 प्रतिशत रहने के बाद वित्त वर्ष 2024 में यह घटकर 5.4 प्रतिशत दर्ज की गई
वित्त वर्ष 2023 में निजी गैर-वित्तीय निगमों द्वारा जीएफसीएफ में 19.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जिसने वृद्धि में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है
वित्त वर्ष 2023 में शीर्ष आठ शहरों में कुल 4.1 लाख इकाइयों की बिक्री हुई, आवासीय अचल संपति की बिक्री वर्ष 2013 के बाद से अपने उच्चतम स्तर पर थी, जिसमें 33 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि देखी गई
वित्त वर्ष 2023 में राजकोषीय घाटा जीडीपी के 6.4 प्रतिशत से घटकर वित्त वर्ष 2024 में 5.6 प्रतिशत दर्ज किया गया
वित्त वर्ष 2024 के लिए पूंजीगत व्यय 9.5 लाख करोड रुपये रहा, जो साल दर साल आधार पर 28.2 प्रतिशत की वृद्धि है ओर वित्त वर्ष 2020 के स्तर से 2.8 गुना अधिक है
9.1 लाख करोड के बजटीय आंकडों से सकल राजकोषीय घाटा 8.6 प्रतिशत कम रहा, जिससे राज्य सरकारों द्वारा खर्च की गुणवत्ता में सुधार हुआ
मार्च 2024 में सकल गैर-निष्पादित संपत्तियां (जीएनपीए) अनुपात घटकर 2.8 प्रतिशत दर्ज किया गया, जोकि 12 वर्षों में बैंकों की सम्पत्ति गुणवत्ता में सबसे कम सुधार है
वित्त वर्ष 2024 में सेवाओं में भारत का निर्यात नए उच्च स्तर पर पहुंचकर 341.1 बिलियन दर्ज रहा
मार्च 2024 के अंत में विदेशी मुद्रा भंडार 11 महीनों के प्रस्तावित आयातों को कवर करने में पर्याप्त है
वर्ष 2013 में लागू किए जाने के बाद से प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण का आंकडा 36.9 लाख करोड रुपए दर्ज किया गया
मुख्य रूप से ग्रामीण महिलाओं की भागीदारी में बढोतरी के कारण वर्ष 2022-23 में महिला कार्य बल की भागीदारी 2017-18 के 23.3 प्रतिशत से बढकर 37 प्रतिशत दर्ज की गई
केन्द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने आज संसद में ‘आर्थिक समीक्षा 2023-24’ पेश करते हुए कहा कि 2024-25 में भारत की वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 6.5 से 7 प्रतिशत रहने का अनुमान है। भारत की अर्थव्यवस्था महामारी के बाद सुगमता से पुनर्बहाल हुई है। कोविड से पहले वित्त वर्ष 2020 के स्तरों की तुलना में वित्त वर्ष 2024 में भारत की वास्तविक जीडीपी 20 प्रतिशत अधिक रही है। ये बातें केन्द्रीय वित्त और कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण के द्वारा आज संसद में पेश आर्थिक समीक्षा 2023-24 में कही गई हैं।
इस समीक्षा में इस बात का उल्लेख किया गया है कि अनिश्चित, वैश्विक, आर्थिक प्रदर्शन के बावजूद घरेलू वृद्धि कारकों ने वित्त वर्ष 2024 में आर्थिक वृद्धि का समर्थन किया है। इसके अलावा, दशक के अंत यानी वित्त वर्ष 2020 में भारत ने 6.6 प्रतिशत औसत वार्षिक दर से प्रगति की है। यह अधिक या कमोबेश अर्थव्यवस्था की लंबे समय तक चलने वाली वृद्धि की संभावनाओं को प्रतिबिंबित करता है।