मोइदम्स – अहोम राजवंश की माउंड-दफन प्रणाली को यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में भारत की 43 वीं प्रविष्टि के रूप में शामिल
यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल के रूप में मोइदम्स की मान्यता भविष्य की पीढ़ियों के लिए हमारी सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण के महत्व की याद दिलाती है: श्री गजेन्द्र सिंह शेखावतएक दशक के भीतर भारत में कुल 13 विरासत स्थलों को सूचीबद्ध किया गया
विश्व धरोहर संपत्तियों की सर्वाधिक संख्या के लिए भारत विश्व में छठे स्थान पर
यह वैश्विक मान्यता विश्व मंच पर भारत की विरासत को विशिष्ट रूप से दिखाने के लिए नए भारत के अथक प्रयास का प्रमाण है : श्री शेखावत
भारत यूनेस्को के विश्व धरोहर सम्मेलन में शामिल होने के बाद अपने पहले सत्र की मेजबानी कर रहा है
भारत के लिए एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक उपलब्धि में असम से “मोइदम्स – अहोम राजवंश की माउंड-दफन प्रणाली” (टीलेनुमा संरचना में दफनाने की व्यवस्था) को आधिकारिक तौर पर यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में शामिल किया गया है। यह घोषणा आज, 26 जुलाई, 2024 को नई दिल्ली में विश्व धरोहर समिति के चल रहे 46वें सत्र में की गई। यह यहां शामिल होने वाली भारत की 43वीं संपत्ति बन गई है।
काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान और मानस वन्यजीव अभयारण्य के बाद यह असम की तीसरी विश्व धरोहर संपत्ति है, दोनों को 1985 में प्राकृतिक श्रेणी के तहत अंकित किया गया था। चोराइदेव के मोइदम्स, जो विशाल वास्तुकला के माध्यम से शाही वंश का उत्सव मनाते हैं और संरक्षित करते हैं, प्राचीन चीन में मिस्र के फराओ और शाही कब्रों के पिरामिडों के बराबर हैं।
यूनेस्को की सूची में इन विरासत स्थलों को शामिल करने का उद्देश्य 195 देशों में सांस्कृतिक, प्राकृतिक और मिश्रित संपत्तियों में पाए जाने वाले ओयूवी (उत्कृष्ट सार्वभौमिक मूल्यों) के आधार पर साझा विरासत को संरक्षित और बढ़ावा देना है। भारत 2021-25 से विश्व धरोहर समिति का सदस्य बन गया और वर्तमान में 1972 के यूनेस्को विश्व धरोहर सम्मेलन में शामिल होने के बाद से अपने पहले सत्र की मेजबानी कर रहा है। विश्व धरोहर समिति का 46 वां सत्र 21 जुलाई को शुरू हुआ और 31 जुलाई तक नई दिल्ली के भारत मंडपम में चलेगा।