केंद्रीय संचार मंत्री श्री ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया ने ‘डाक सेवा, जन सेवा’ की भावना को मजबूत करने के लिए डाक विभाग के डाक और छंटाई सहायकों के साथ संवाद किया
केंद्रीय संचार एवं पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री श्री ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया ने आज डाक एवं छंटाई सहायकों के साथ विस्तृत संवाद सत्र आयोजित किया। देश भर के सभी 23 डाक सर्किलों का प्रतिनिधित्व करने वाले ये अग्रिम पंक्ति के कर्मचारी डाक विभाग (डीओपी) की रीढ़ हैं।
सत्र के दौरान, केंद्रीय मंत्री ने व्यक्तिगत रूप से वहां उपस्थित हर व्यक्ति की बात सुनी, उनके विचारों और प्रतिक्रियाओं पर उचित ध्यान दिया। उन्होंने प्रतिभागियों को आश्वस्त किया कि उनके सुझावों की सावधानीपूर्वक जांच की जाएगी और भविष्य के नीतिगत निर्णयों और परिचालन सुधारों में शामिल किया जाएगा।
डाक सहायक डाकघरों में जनता के सामने प्रतिनिधि के रूप में काम करते हैं। वे ग्राहकों के साथ बातचीत करते हैं और समय पर सेवा वितरण सुनिश्चित करते हैं, वहीं मेल और पार्सल की सटीक और समय पर छंटाई सुनिश्चित करने के लिए, सॉर्टिंग असिस्टैंट (छंटाई सहायक) रेलवे मेल सेवाओं, एयर मेल सॉर्टिंग इकाइयों और ट्रांजिट मेल कार्यालयों जैसे मेल कार्यालयों में काम करते हैं।
केंद्रीय मंत्री ने नागरिक-केंद्रित सेवाएं प्रदान करने और प्रमुख सामाजिक सुरक्षा योजनाओं को लागू करने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका की सराहना की। उन्होंने ग्राहकों की जरूरतों को पूरा करने और पूरे देश में संचार के सुचारू प्रवाह को बनाए रखने में उनके दैनिक प्रयासों की सराहना की।
सत्र के दौरान, केंद्रीय मंत्री ने भारतीय डाक को लाभ केंद्र (प्रॉफिट सेंटर) में बदलने के दृष्टिकोण को रेखांकित किया। उन्होंने ग्राहकों के लिए वन स्टॉप समाधान बनने के लिए सभी प्रमुख कार्यक्षेत्रों: मेल, पार्सल, अंतर्राष्ट्रीय मेल, बचत बैंक, बीमा और नागरिक-केंद्रित सेवाओं के बीच घनिष्ठ समन्वय की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि यह समन्वित दृष्टिकोण नवाचार को बढ़ावा देने, दक्षता में सुधार करने और डाक नेटवर्क में दीर्घकालिक स्थिरता सुनिश्चित करने में मदद करेगा।
केंद्रीय मंत्री ने इस विजन को आगे बढ़ाने में कार्यबल के प्रति अपने समर्थन को रेखांकित करते हुए कहा, “हम भारतीय डाक को एक अत्याधुनिक संगठन बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। लेकिन यह परिवर्तन तभी संभव है जब हम सब मिलकर आगे बढ़ेंगे। मैं इस यात्रा में आपके साथ हूं।”
उन्होंने वर्तमान में जारी आईटी 2.0 परियोजना के कार्यान्वयन के बारे में भी बात की और जोर देकर कहा कि यह पहल डाक क्षेत्र को आधुनिक बनाएगी, ताकि इसे तेज, अधिक पारदर्शी और उच्चतम उद्योग मानकों के अनुरूप बनाया जा सके। उन्होंने डिजिटल एड्रेस कोड के लॉन्च पर भी चर्चा की, जो भारत के लिए एक मानकीकृत, जियो-कोडेड एड्रेसिंग सिस्टम स्थापित करने के उद्देश्य से जुड़ी एक पहल है।
केंद्रीय मंत्री ने सभी से इस बदलाव को अपनाने और विभाग के डिजिटल परिवर्तन में योगदान देने का आग्रह किया। उन्होंने सभी को अधिक डिजिटल और एकीकृत कार्य वातावरण के लिए तैयार होने के लिए प्रोत्साहित किया। नए उपकरणों को अपनाने, ग्राहकों की सहायता करने और वास्तविक समय पर प्रतिक्रिया देने की उनकी क्षमता सुचारू और सफल कार्यान्वयन के लिए आवश्यक होगी।
भविष्य की बात करते हुए, उन्होंने विभाग के एक प्रमुख सार्वजनिक रसद संगठन बनने के रोडमैप को साझा किया। इसका लक्ष्य राजस्व सृजन में निरंतर प्रयासों द्वारा समर्थित भारतीय डाक को एक लाभ केंद्र के रूप में स्थापित करना है।
अपने समापन भाषण में, केंद्रीय मंत्री ने निरंतर सीखने और आत्म-सुधार के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने विभाग के भीतर टीमवर्क और लचीलेपन की भावना को प्रोत्साहित करते हुए कहा, “आइए हम एक-दूसरे के लिए ताकत का स्रोत बनें। अगर किसी में कमी है, तो आइए हम एकता, सकारात्मकता और उद्देश्य के साथ उसे अपनी ताकत दें।”
सत्र का समापन केंद्रीय मंत्री द्वारा डाक सहायकों और छंटाई सहायकों को उनके समर्पण और प्रतिबद्धता के लिए धन्यवाद देने के साथ हुआ। उन्होंने उन्हें विभाग के आदर्श वाक्य, “डाक सेवा, जन सेवा” की सच्ची भावना के अनुरूप आधुनिक, कुशल और लोगों को प्राथमिकता देने वाली डाक प्रणाली की दिशा में काम करना जारी रखने के लिए प्रोत्साहित किया।