---Advertisement---

केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने अमेरिका-भारत असैन्य परमाणु वाणिज्य पर द्विपक्षीय बैठक की अध्यक्षता की

Pradeep Tiwari
By
On:
Follow Us

केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने अमेरिका-भारत असैन्य परमाणु वाणिज्य पर द्विपक्षीय बैठक की अध्यक्षता की


केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत-अमेरिका अंतरिक्ष सहयोग के तहत भारतीय अंतरिक्ष यात्री अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन में शामिल होने के लिए तैयार हैं

ग्रीन हाइड्रोजन मिशन और एसएमआर सहयोग के माध्यम से भारत वैश्विक जलवायु लक्ष्य की प्राप्ति में योगदान करेगा: डॉ. सिंह

 

केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने पृथ्वी भवन में आयोजित अमेरिका-भारत असैन्य परमाणु वाणिज्य पर एक महत्वपूर्ण द्विपक्षीय बैठक की अध्यक्षता की, जिसमें विज्ञान, प्रौद्योगिकी और स्वच्छ ऊर्जा के महत्वपूर्ण क्षेत्रों में दोनों देशों के बीच बढ़ते सहयोग पर प्रकाश डाला गया।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने घोषणा की कि गगनयान मिशन से भारतीय अंतरिक्ष यात्री अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन में शामिल होने के लिए तैयार हैं, जो भारत-अमेरिका अंतरिक्ष सहयोग में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। उन्होंने वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं को सुरक्षित करने में, विशेष रूप से सेमीकंडक्टर, फार्मास्यूटिकल्स और स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों जैसे क्षेत्रों में इस साझेदारी के महत्व पर जोर दिया, जो वर्तमान समय में अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।

केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय, परमाणु ऊर्जा विभाग, अंतरिक्ष विभाग, कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने ग्रीन हाइड्रोजन मिशन को भारी उद्योग, परिवहन और बिजली उत्पादन को कार्बन मुक्त करने की भारत की रणनीति की आधारशिला बताया। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि यह मिशन स्वच्छ प्रौद्योगिकियों में नवाचार को बढ़ावा देने और वैश्विक जलवायु लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए महत्वपूर्ण है। मजबूत नीतिगत ढांचे और अंतरराष्ट्रीय सहयोग के माध्यम से भारत एक टिकाऊ और लचीले ऊर्जा भविष्य का नेतृत्व करने के लिए तैयार है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने यह भी बताया कि भारत सरकार अंतर्राष्ट्रीय भागीदारी की संभावना पर कार्य कर रही है, शोध एवं विकास में निवेश कर रही है, तथा छोटे मॉड्यूलर रिएक्टरों (एसएमआर) की तैनाती का समर्थन करने के लिए विनियामक ढांचों पर विचार कर रही है। उन्होंने कहा कि एसएमआर भारत के स्वच्छ ऊर्जा ट्रांजिशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे, ऊर्जा आत्मनिर्भरता में योगदान देंगे तथा जलवायु प्रतिबद्धताओं को पूरा करेंगे।

भारत के “अनुसंधान” राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन (एनआरएफ) और संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रीय विज्ञान फाउंडेशन (एनएसएफ) के बीच समानताओं का उल्लेख करते हुए, डॉ. जितेंद्र सिंह ने वैज्ञानिक अनुसंधान और नवाचार को आगे बढ़ाने में दोनों संगठनों की महत्वपूर्ण भूमिकाओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की “पंचामृत” जलवायु कार्य योजना के महत्व के बारे में बताया, जिसमें गैर-जीवाश्म ऊर्जा क्षमता को 500 गीगावाट तक बढ़ाने, कार्बन उत्सर्जन को 1 बिलियन टन तक कम करने और अंततः वर्ष 2070 तक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन प्राप्त करने की भारत की प्रतिबद्धता की पुष्टि की गई।

Pradeep Tiwari

Pradeep Tiwari

मैं, प्रदीप तिवारी, पिछले 10 वर्षों से पत्रकारिता से जुड़ा हूँ। सबसे पहले, मैं एक स्थानीय समाचार चैनल में एक रिपोर्टर के रूप में शामिल हुआ और फिर समय के साथ, मैंने लेख लिखना शुरू कर दिया। मुझे राजनीति और ताज़ा समाचार और अन्य विषयों से संबंधित समाचार लिखना पसंद है।

For Feedback - urjadhaninews1@gmail.com
Join Our WhatsApp Group

Leave a Comment