पशुबाड़ा के आड़ में पंचायतों में व्यापक फर्जीवाड़ा
जिला पंचायत के पास नही है आंकड़े, सांसद एवं विधायको ने मवेशियों के विचरण पर जताई चिंता
जिले के ग्राम पंचायतों में पशुबाड़ा के आड़ में व्यापक पैमाने पर फर्जीवाड़ा किये जाने का सनसनी खेज मामला सामने आ रहा है। जिले के कितने ग्राम पंचातयों में पशुबाड़ा बने जिला अधिकारी जिम्मेदार अधिकारी बेखबर है। जिसपर सांसद एवं विधायकों ने हैरानी भी जताई है।
दरअसल बीते दिन कल शुक्रवार को कलेक्ट्रोरेट सभागार में पीएम खनन क्षेत्र कल्याण योजना की बैठक आयोजित की गई थी। बैठक में पंचायत राज्य मंत्री, सांसद, सिंगरौली, देवसर, सिहावल व धौहनी के विधायक, मेयर, जिला पंचायत अध्यक्ष, ननि अध्यक्ष, कलेक्टर एवं जिला पंचायत सीईओ के साथ-साथ विभागा प्रमुख मौजूद थे। सूत्र बताते हैं कि उक्त बैठक में सांसद व विधायक गणों ने शहर से लेकर ग्रामीण अंचलों में मवेशियों के विचरण एवं फसल नुकसानी को लेकर चिंता जाहिर करते हुये जिला पंचायत के सीईओ से जानकारी मांगी गई थी। जिले के कितने ग्राम पंचायतों में पशुबाड़ा का निर्माण हुआ है। माननीयों के द्वारा मांगी गई उक्त जानकारी से जिला पंचायत सीईओ असमर्थता जाहिर करते हुये कहा कि ग्राम पंचायतों के द्वारा कार्य कराया गया है। आंकड़े जिला पंचायत में नही है। इस जवाब को सून माननीयगण आश्चर्यचकित में पड़ गये और हैरानी जताते हुये कहा कि आखिरकार ग्राम पंचायत किसके अधिन है। मवेशियों के देखभाल कौन करेगा। हालांकि माननीयों ने सलाह दिया कि खरीफ फसल खेतीबाड़ी का सीजन आ गया है। अभी से तैयारियां शुरू कर दे, ताकि विचरण करने वाले मवेशियों की देखभाल की जा सके। अन्यथा अन्नदाताओं का पूरे परिश्रम बेकार हो जाएंगे। यहां बताते चले कि मानसून के सक्रिय होते ही अन्नदाता खरीफ फसलों के बुआई की तैयारियां शुरू कर दी हैं। किंतु अब अन्नदाताओं को सबसे बड़ी चिंता मवेशियों को लेकर है। अधिकांश ग्राम पंचायते मवेशियों की देखभाल करने में नकारा साबित हुई है। जिले के कई ग्राम पंचायतों में पशुबाड़ा के नाम पर राशि की बंदरबांट भी की गई है। इस तरह के आरोप कई ग्राम पंचायतों के सरपंच-सचिवों पर लग चुके हैं। किंतु जिला पंचायत के अधिकारी इसकी जांच कर फजीवाड़ा रोकने के लिए कोई कारगर कदम नही उठाया, बल्कि उन्हीं के सुर में सुर मिलाते रहें। फिलहाल ग्राम पंचायतों में पशुबाड़ा के आड़ में व्यापक फजीवाड़ा पिछले वित्तीय वर्ष में हुआ है। लेकिन जिला पंचायत के जिम्मेदार अधिकारी के पास पशुबाड़ा के आंकड़े न होने पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं।
तार से फिनिसिंग कराने के थे निर्देश
जानकारी के अनुसार अवारा पशुओं को देखभाल करने के लिए वरिष्ठ कार्यालय से ग्राम पंचायत के सरपंच व सचिवों एवं ग्राम रोजगार सहायको को निर्देश था कि आवारा पशुओं के हिसाब से ग्राम पंचायते तार के फिनिसिंग के साथ पशुबाड़ा का निर्माण कराएं और उनकी सुबह-शाम देखभाल पंचायत ही कराए। यहां बताते चले कि जिले में ऐसा कोई गांव नही होगा, जहां आवारा पशु झुंड के साथ खेतों में पहुंच फसलों को नुकसान न पहुंचाते हों। हालांकि अभी खरीफ फसल की तैयारियां शुरू है। करीब 10 दिन बाद से फसलों के नुकसान होने का डर अन्नदाताओं को जरूर सताएगा। कहीं न कहीं शासन व प्रशासन किसानों के समस्याओं के प्रति गंभीर नही है। यदि प्रशासन गंभीर होता तो जिले में कि तने पशुबाड़ा बनाए गये हैं, आंकड़े जरूर होती।
पंचायतों में पशुबाड़ा के नाम पर राशि की बंदरबांट
जिले की कई ऐसे तथा कथित ग्राम पंचायतें हैं, जहां पशुबाड़ा के नाम पर राशि की बंदरबांट करने में सरपंच, सचिव व जीआरएस ने कोई कोर कसर नही छोड़ा है। पशुओं के देखभाल के आड़ में भी आर्थिक अनियमितता कि ये जाने की सुगबुगाहट मिल रही है। हालांकि जनपद से लेकर जिला पंचायत केवल अपनी पीठ थपथपा रही और उनका पूरा ध्यान जल संवर्धन पर है। हालांकि इसमें भी आज नही तो कल अनियमितता की बू जरूर आएगी। जिले में चैकडैम एवं स्टाफ डैम जीता जागता उदाहरण हैं। जहां कई पंचायतों में चैक डैम पिछले साल ध्वस्त हो गए और उन पंचायतों पर जिला पंचायत के अधिकारियों की मेहरवानी पर शिकायतकर्ता तरह-तरह के सवाल खड़े कर रहे हैं।
पशुबाड़ा के आड़ में पंचायतों में व्यापक फर्जीवाड़ा जिला पंचायत के पास नही है आंकड़े, सांसद एवं विधायको ने मवेशियों के विचरण पर जताई चिंता


Pradeep Tiwari
मैं, प्रदीप तिवारी, पिछले 10 वर्षों से पत्रकारिता से जुड़ा हूँ। सबसे पहले, मैं एक स्थानीय समाचार चैनल में एक रिपोर्टर के रूप में शामिल हुआ और फिर समय के साथ, मैंने लेख लिखना शुरू कर दिया। मुझे राजनीति और ताज़ा समाचार और अन्य विषयों से संबंधित समाचार लिखना पसंद है।
For Feedback - urjadhaninews1@gmail.com