काटा मोड़ से रेस्टहाउस तिराहा तक सड़क के निकले कचूमर
डेढ़ साल पहले एनसीएल ने कराया था करोड़ों रूपये की लागत से मरम्मत कार्य, मोटरसाइकि ल से भी सफर करना है मुश्किल
काटा मोड़ से लेकर शुक्ला मोड़ होते हुये रेस्टहाउस मार्ग के तिराहा तक के सड़क मार्ग के कचूमर निकल आया है। हैवी ओव्हर लोड कोलवाहनों ने सड़क को गड्ढों में तब्दील कर दिया है। आलम यह है कि बारिश के बाईक से भी सफर करना जोखिम भरा रहता है।
दरअसल काटा मोड़ से लेकर शुक्ला मोड़ तिराहा तक करीब डेढ़ साल पूर्व सड़क का मरम्मत कार्य करोड़ों रूपये की लागत से एनसीएल के द्वारा कराया गया था। किन्तु मरम्मत व निर्माणकार्य के दौरान गुणवत्ता विहीन कार्य को लेकर मोरवा क्षेत्र के कई नागरिको के द्वारा सवाल उठाते हुये तत्कालीन एनसीएल के सीएमडी का ध्यान आकृष्ट कराया था। किन्तु आरोप है कि तत्कालीन एनसीएल सिंगरौली के सीएमडी ने संविदाकार रविशंकर सिंह पर मेहरवानी के चलते इन छोटे-छोटे कार्यो पर ध्यान नही दे रहे थे। आरोप है कि इनका ध्यान बड़ी रकम पर था। इसी का फायदा अन्य कई कथित ठेकेदार उठाने में कोई कोर कसर नही छोड़ रहा था। लिहाजा करोड़ों रूपये की लागत से बनी सड़क की चीथड़े निकल गए। आलम यह है कि काटा मोड़ से लेकर रेस्टहाउस तिराहा तक की दूरी करीब 500 मीटर है। लेकिन खस्ताहाल सड़क से मोटरसाइकिल से भी यात्रा करना मुश्किल है। खाईनुमा गड्ढे छोटे एवं बड़े वाहनों के लिए अवरोध उत्पन्न कर रहे। करीब 500 मीटर की इस दूरी को तय कर पाना दिनमान में भी आसान नही है। जगह-जगह इतने गड्ढे बन गए हैं कि कोलवाहन चालकों को भी बारिश के दिनों काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। बताया जाता है कि सड़क मरम्मत का जिम्मा एनसीएल को है। लेकिन गुणवत्ता विहीन सड़क कमीशन की भेट चढ़ जा रही है। फिलहाल काटा मोड़ से लेकर रेस्टहाउस तिराहा जर्जर सड़क खाईनुमा में तब्दील होने के बाद एनसीएल प्रबंधन मरम्मत कराने में अब तक आगे क्यो नही आ रहा है। उसको लेकर उदासीन एनसीएल प्रबंधन की कार्यप्रणाली से मुसाफिरों के साथ-साथ मोरवा अंचल के लोगों में भी असंतोष फैल रहा है।
ओव्हर लोड कोलवाहनों पर नही है अंकु श
सुप्रीम कोर्ट का भी निर्देश है कि किसी भी हालत में ओव्हर लोड वाहन न चले। ओव्हर लोड वाहनों के विरूद्ध प्रशासन सख्ती के साथ कार्रवाई करे। किन्तु ओव्हर लोड कोलवाहनों पर किसी प्रकार का अंकुुश नही लगाया जा रहा है। लिहाजा ओव्हर लोड कोलवाहनों के चलते सड़क गड्ढों में तब्दील हो जा रहा है। वही यहां के प्रबुद्धजन यह भी आरोप लगा रहे हैं कि एनसीएल को पता है कि उक्त मार्ग से 50 से लेकर 80 टन तक माल लेकर वाहन चलते हैं। फिर उसी क्षमता के अनुसार सड़के एनसीएल क्यो नही बनाता? कहीं न कहीं एनसीएल प्रबंधन की चाल है। ताकि प्रत्येक साल सड़क क्षतिग्रस्त हो और उसके मरम्मत के नाम पर भारी भरकम राशि खर्च कर बंदरबाट की जा सके। आगे यह भी आरोप लगाया गया कि ओव्हर लोड कोलवाहन सड़क को तहस-नहस कर दे रहे हैं।
प्रदूषण की मार, मुसाफिर परेशान
मोरवा के काटा मोड़ से लेकर यूपी सीमावर्ती खनहना तक पैदल चलना एवं मोटरसाइकिल व स्कूटी से चलना मुश्किल हो गया है। आलम यह है कि जिस वक्त कोलवाहनों का अप-डाउन शुरू होता है। उस दौरान धूल के गुब्बारों के आगे दूर-दूर तक कुछ भी दिखाई नही देता। ऐसे में दो चक्का वाहन चालक सड़क के किनारे उड़ते हुये धूल के गुब्बारों को देखकर वाहनों को साईड में लगाकर सड़क साफ होने का इंतजार करते रहते हैं। यह समस्या बारिश के दिनों को छोड़कर अन्य दिनों में निरन्तर बनी रहती है। आरोप है कि म.प्र. का क्षेत्रीय प्रदूषण अमला एसी दफ्तर से बाहर निकले के लिए कोशिश नही करता। दफ्तर में बैठकर गलत जानकारियां वरिष्ठ कार्यालय को भेज रहा है। प्रदूषण नियंत्रण अमले के बदौलत सिंगरौलीवासी प्रदूषण की मार से झेल रहे हैं।