कांटा मोड़ से रेलवे स्टेशन तक की सड़क तहस-नहस
बारिश के समय कीचड़ में हो जा रही तब्दील, शुक्ला मोड़ से लेकर रेलवे स्टेशन गोरबी-कसर तक गड्ढो का है भरमार
सिंगरौली मोरवा के कांटा मोड़ से लेकर रेलवे स्टेशन, सिंगरौली एवं गोरबी-कसर तक यात्रा करना जोखिम भरा साबित हो रहा है। सड़क गड्ढों में है या गड्ढों में सड़क है। यह पता लगा पाना मुश्किल है। हालांकि 3 महीने बाद एनसीएल प्रबंधन की नींद टूटी है और शुक्ला मोड़ से कांटा मोड़ तक गड्ढो को भरने का भी काम शुरू किया है। लेकिन सड़क दल-दल मिट्टी में तब्दील हो जा रहा है।
कांटा मोड़, शुक्ला मोड़ से होते हुये रेलवे स्टेशन सिंगरौली एवं गोरबी-कसर तक इतने गड्ढे बन गये हैं कि उनहें गिनने में दिन भर का वक्त लग सकता है। शुक्ला मोड़ से लेकर रेलवे स्टेशन के सामने से होते हुये गोरबी-कसर तक जाने वाली सड़क दुर्घटनाओं को आमंत्रित कर रहे हैं और उक्त मार्ग में आये दिन सड़़क हादसे भी हो रहे हैं। इसके एक नही अनेक ऐसी घटनाएं हैं, जो दिल को दहला दे रही है। वही सड़क में गड्ढों के चलते उक्त मार्ग में कई घरों के चिराग भी बूझ गये हैं। यह समस्या आज से नही काफी लम्बे अर्से से है। लेकिन जनप्रतिनिधियों के साथ-साथ कांटा मोड़ से लेकर रेलवे स्टेशन तक सड़को का मरम्मत समय पर न कराने में एनसीएल प्रबंधन को दोषी ठहराया जा रहा है। आलम यह है कि कांटा मोड़ से शुक्ला मोड़ रेलवे स्टेशन तक बारिश के दिन सड़क में कीचड़ ही कीचड़ नजर आते हैं। यहां पर इन दिनों पैदल चलना आसान नही रह गया है। यहां तक कि मोटरसाइकिल से चलने वाले चालक व सवारी कीचड़ में लथपथ हो जाते हैं और उनके ऊपर छीटा आने आम बात हो गई है। बताया जाता है कि यह समस्या पिछले तीन-चार महीने से है, लेकिन एनसीएल प्रबंधन गर्मी के महीनों मरम्मत कराने में दिलचस्पी नही दिखाया। लिहाजा करीब डेढ़ किलोमीटर की सड़क के परखच्चे उड़ गये और जगह-जगह खाईनुमा गड्ढे बन गये हैं। इन गड्ढों में बारिश का पानी जमा होने से गहराई का आंकलन न होने पर छोटे वाहन फंस भी जा रहे हैं और उनके पाटर््स को नुकसान भी हो रहा है। इस समस्या को लेकर अब तक में एनसीएल प्रबंधन की नींद टूटी और गड्ढों को भरने का काम भी शुरू कर दिया है। लेकिन कीचड़ से मुक्ति कब मिलेगी, इसको लेकर वाहन चालक व मसाफिर भी एनसीएल प्रबंधन के साथ-साथ भाजपा के नेताओं से सवाल दाग रहे हैं।
हैवी ओवर लोड कोल वाहनों के चलते सड़क तहस-नहस
आलम यह है कि उक्त मार्ग में सबसे ज्यादा सैकड़ों के तादात में रोजाना एलसीएल परियोजना जयंत, निगाही, अमलोरी, झिंगरदह, दुद्धिचुआ, बीना, ककरी, खड़िया से कोयला लेकर टिपर एवं हैवी वाहन कोलयार्ड रेलवे स्टेशन सिंगरौली, महदेईया, गोंदवाली के साथ-साथ यूपी में आना-जाना होता है। आरोप है कि अधिकांश कोल वाहन ओवर लोड कोयले का परिवहन करते हैं। जिसके चलते सड़क के कचूमर निकल आ रहे हैं। परियोजनाओं के खदानों से ओवर लोड कोयला लेकर कोलयार्डो में परिवहन करने जाते हैं। इन्हें रोकने-टोकने वाला कोई नही रहता है। जबकि एनसीएल बीच-बीच में सड़को का मरम्मत भी कराता है। लेकिन ओवर लोड कोल वाहनों के चलते चन्द महीने में ही सड़के टूटने लगती है।
एनसीएल प्रबंधन को रख-रखाव की जिम्मेदारी
दरअसल निगाही मोड़ से लेकर रेलवे स्टेशन परेवा नाला-गोरबी तक सड़को के मरम्मत कराने का जिम्मा एनसीएल प्रबंधन के पास है। लेकिन सड़को के समुचित तरीके से मरम्मत न होने के कारण सड़क गड्ढों में तब्दील होने से वाहन चालको को इतनी फजीहत हो रही है कि उक्त मार्ग में आने-जाने से कतराते हैं। लेकिन मजबूरी के कारण लोग आ-जा रहे हैं। इस दौरान उक्त मार्ग से सफर करने वाले मुसाफिर एवं वाहन चालक एनसीएल प्रबंधन के साथ-साथ सरकार को भी कोसने में कहीं से कोई कोर कसर नही छोड़ रहे हैं। समय-समय पर सड़को का मरम्मत कार्य कराने में एनसीएल लापरवाही क्यों बरतता है, इस पर भी लोग सवाल करने लगे हैं।