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सात माह से थाना प्रभारी विहीन है माड़ा

Pradeep Tiwari
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सात माह से थाना प्रभारी विहीन है माड़ा
संवेदनशील थाने पर नही है नजर आईजी व एसपी की, नक्शलियों की मूवमेंट की थी खबर
 जिले के सबसे संवेदनशील थाना माड़ा सात माह से ऊपर थाना प्रभारी विहीन है। संवेदनशील थाने पर आईजी व पुलिस अधीक्षक की नजर नही है। जबकि लाईन में कई थाना प्रभारी आमद दे चुके हैं। आईबी की रिपोर्ट में नक्शलियों की मूवमेंट का अंदेशा जताया था।
गौरतलब हो कि सात माह पूर्व माड़ा थाना में टीआई विद्यावारिधि तिवारी की पोस्टिंग की गई थी। कुछ महीनों के बाद ही विद्यावारिधि तिवारी को बरगवां स्थांतरित किया गया था। इसके बाद माड़ा थाना में ही पदस्थ उपनिरीक्षक एनपी तिवारी को ही प्रभार सौंप दिया था। उसके बाद विंध्यनगर में पदस्थ उपनिरीक्षक निपेन्द्र सिंह को थाना माड़ा का प्रभार सौंप दिया गया था। ऐसे यह कह सकते हैं कि लगभग सात माह से ऊपर हो चुका है और आज भी माड़ा थाना को उपनिरीक्षक के भरोसे सौंपा गया है। जबकि उक्त थाना छत्तीसगढ़ बार्डर से लगा हुआ है। यह थाना हमेशा से संवेदनशील रहा है। इसके बावजूद आखिर वह कौन सी वजह है कि आईजी और पुलिस अधीक्षक उक्त थाने में जिम्मेदार अधिकारी की पदस्थापना करने में हिलाहवाली बरत रहे हैं। अभी पिछले माह छत्तीसगढ़ में नक्शलियों पर सरकार ने शिकंजा कसा तो छत्तीसगढ़ से जंगलो के रास्ते मध्यप्रदेश के सिंगरौली जिले के माड़ा थाना की तरफ रूख करने का अंदेशा आईबी ने किया। उस समय तत्कालीन पुलिस अधीक्षक ने भी समाचार पत्रों के खबर नबिसो के सवालो के जवाब में कहा था कि ऐसा अंदेशा हो रहा है। जिसके लिए हम सब तैयार हैं और जंगलो से लगे सीमाओ की चौकसी बढ़ा दिया था। साथ ही वहां आने-जाने वाले लोगों की पहचान पत्र और आधार कार्ड की जांच परख की जा रही है। आईबी रिपोर्ट आने के बाद भी जिम्मेदार अधिकारी संवेदनशील थाना क्षेत्रों में अनुभवी थाना प्रभारियों को जिम्मेदारी क्यो नही सौंप रहे यह बड़ा सवाल है। जबकि जिले में तीन निरीक्षक अभी भी पुलिस लाईन में अटैच हैं। यदि अनुभवी निरीक्षको को संवेदनशील थाना क्षेत्र की कमान सौंपी जाती है तो उनका अनुभव का लाभ विभाग को मिलेगा। वही न केवल बढ़ रहे अपराधों में कमी आयेगी। बल्कि पूर्व में हुये चोरियो के खुलासे भी हो सकते हैं।
लाईन में टीआई, मैदान में एसआई
भले की आईजी का जिले में हर महीने दौरा हो रहा है। अपराधो को लेकर लगातार समीक्षा कर रहे हैं। लेकिन इस बात की समीक्षा शायद नही हो रही कि जिन अनुभवी निरीक्षको को मैदान में रह कर अपराधो पर लगाम कसना, कानून व्यवस्था को दुरस्त करने , क्षेत्र में अमनचैन का बनाने, अपराधियों में पुलिस का खौफ दिखे की जिम्मेदारी होनी चाहिए। उन्हें पुलिस लाईन में तैनात किया गया है। और कम अनुभवी उपनिरीक्षको पर भरोसा जताते हुये उन्हें मैदान में ऊतार कर थानो की कमान सौंप दी है। यह कितना सही है यह जिम्मेदार अधिकारी ही बता सकते हैं। जबकि माड़ा थाना क्षेत्र में अपराधियों के हौसले बुलन्द हैं। अवैध कारोबारी खुलेआम अवैध कारोबार में लगे हैं। अपने अवैध कारोबार में नाबालिक और घुमन्तू बच्चों को झोक रहे हैं। यही बच्चे आगे चलकर बड़े अपराधी बनेंगे।
शिकायतो को अवसर में बदल रही पुलिस
सूत्रों के बातो पर गौर करे तो माड़ा थाना क्षेत्र के सितुल व जरहा सहित कई ऐसे गांव हैं। जहां अवैध शराब व गांजा का कारोबार हो रहा है। जिसकी सूचना प्रभारी व पुलिस को विधिवत है। शिकायत भी दूरभाष के माध्यम से की जा चुकी है। लेकिन इन शिकायतो को माड़ा पुलिस कार्रवाई न करके अवसर में बदल रही है। पुलिस शिकायतो पर अवैध कारोबारियों तक पहुंची जरूर है। लेकिन कार्रवाई का डर दिखाते हुये अपना हित साध लेते हैं। वही शिकायतकर्ता से मौके पर कोई भी अवैध गतिविधियां संचालित नही होने की बात कह कर अवैध कारियों का वीडियो उपलब्ध होने पर कार्रवाई करने की बात करते हैं। जबकि थाना क्षेत्र अंतर्गत जरहा के म्यार नही से अवैध रेत परिवहन, गांव-गांव में गांजा की पुड़िया, किराना दुकानों में अवैध पैकारी सहित कबाड़ क ी दुकाने संचालित हैं। लेकिन यह सब पुलिस को नजर नही आता।

Pradeep Tiwari

Pradeep Tiwari

मैं, प्रदीप तिवारी, पिछले 10 वर्षों से पत्रकारिता से जुड़ा हूँ। सबसे पहले, मैं एक स्थानीय समाचार चैनल में एक रिपोर्टर के रूप में शामिल हुआ और फिर समय के साथ, मैंने लेख लिखना शुरू कर दिया। मुझे राजनीति और ताज़ा समाचार और अन्य विषयों से संबंधित समाचार लिखना पसंद है।

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