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हत्या के मामले में पिता, पुत्र सहित नाती को आजीवन कारावास की सजा, बयान से मुकर गए थे साक्षी,,

Pradeep Tiwari
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मोह में हत्या के मामले में पिता, पुत्र सहित नाती को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। बताया जा रहा है कि मामले में गवाह अपने बयान से मुकर गए थे। मामले की पैरवी शासकीय अभिभाषक राजीव बद्री सिंह ठाकुर द्वारा की गई।

दो साल पहले हुए हत्याकांड मामले में न्यायाधीश संतोष कुमार गुप्ता द्वारा निर्णय सुनाते हुए आरोपी बुजुर्ग उसके पुत्रों एवं नाती सहित चारों को दोषी मानते हुए आजीवन कारावास की सजा से दंडित किया है। मामले में गवाह अपने बयान से मुकर गए थे। मामले की पैरवी शासकीय अभिभाषक राजीव बद्री सिंह ठाकुर द्वारा की गई।

अभियोजन के अनुसार थाना पथरिया के ग्राम कोटरा निवासी आरोपी चंद्रभान कुर्मी (70), परसू उर्फ रामप्रसाद कुर्मी (47), कमलेश कुर्मी (43) एवं अभिषेक कुर्मी (19) और मृतक मुकेश कुर्मी एक ही गांव के निवासी और परिवार के हैं। 19 जनवरी 2022 की शाम मुकेश कुर्मी अपनी बाइक से पथरिया से घर आ रहा था। तभी रास्ते में आरोपी कमलेश, अभिषेक, परसु एवं चंद्रभान ने मुकेश का रास्ता रोककर उसे गालियां दी एवं जान से मारने की नीयत से कुल्हाड़ी और लाठी से हमला कर दिया।

मुकेश कर्मी की पत्नी राधा उर्फ लक्ष्मीबीच बचाव करने आई तो आरोपियों ने उसके साथ भी मारपीट कर दी और आरोपी वहां से भाग गए। घटनास्थल से मुकेश के माता-पिता जुगल कुर्मी एवं उमारानी, मुकेश और लक्ष्मी को इलाज के लिए अस्पताल ले गए। अस्पताल में इलाज के दौरान मुकेश की मृत्यु हो गई। घटना की रिपोर्ट पथरिया थाने में मृतक के पिता ने लिखाई। पुलिस ने मामले में आरोपियों को गिरफ्तार कर चालान न्यायालय में पेश किया।

बयान से मुकर गए साक्षी
मामले में अभियोजन द्वारा प्रकरण को साबित करने के लिए घटनास्थल पर मौजूद साक्षियों सहित पुलिसकर्मियों के बयान कराए। मृतक के माता-पिता और पत्नी के अलावा घटनास्थल पर मौजूद साक्षी अपने पुलिस को दिए बयान से मुकर गए। तर्क के दौरान आरोपियों के अधिवक्ता ने न्यायालय में व्यक्त किया कि मृतक के माता-पिता और पत्नी के अलावा किसी ने प्रकरण का समर्थन नहीं किया है। साथ ही रोजनामचा सान्हा का पेश न करना, मौका नक्शा में घटना का स्थान और गवाहों को स्थिति दर्शित नहीं होने सहित प्रकरण की विवेचना में भी काफी कमी है। न्यायालय ने निर्णय में उल्लेख किया कि विवेचना की कमी के आधार पर दोषमुक्त करना विवेचक को प्रकरण का निराकरण का अधिकार देने के समान होगा। प्रकरण को साबित करने साक्षियों की संख्या नहीं एक साक्षी ही पर्याप्त है।

Pradeep Tiwari

Pradeep Tiwari

मैं, प्रदीप तिवारी, पिछले 10 वर्षों से पत्रकारिता से जुड़ा हूँ। सबसे पहले, मैं एक स्थानीय समाचार चैनल में एक रिपोर्टर के रूप में शामिल हुआ और फिर समय के साथ, मैंने लेख लिखना शुरू कर दिया। मुझे राजनीति और ताज़ा समाचार और अन्य विषयों से संबंधित समाचार लिखना पसंद है।

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