एक लायसेंस और दो परियोजनाओं के लिए डीजल सप्लाई कर रही कलिंगा
नियम विरूद्ध की जा रही डीजल की सप्लाई और खपत से सरकार को लग रहा करोड़ों का चूना, जांच की मांग
सिंगरौली एनसीएल में ओवी हटाने के लिए आउटसोर्सिंग कम्पनी कलिंगा को दो परियोजना में टेंडर मिला है। जिनमें एक म.प्र. के झिंगुरदह में और दूसरी उ.प्र. के खड़िया शक्तिनगर में संचालित है। जहां ओबी के कार्य के लिए टेंडर लेने वाली कलिंगा कंपनी नियमों को दरकिनार कर शासन को करोड़ों का चूना लगाने पर तुली हुई है।
सूत्र बताते हैं कि पेट्रोलियम और विस्फोटक सुरक्षा संगठन पीईएसओ के तहत खदान क्षेत्रों में आवश्यकताओं के मद्देनजर पेट्रोलियम पदार्थों के संग्रहण की अनुमति दी जाती है। जहां यह अनुमति म.प्र. के झिंगुरदह में कार्य कर रही कलिंगा कंपनी के पास है। लेकिन एनसीएल खड़िया में ओबी का कार्य कर रही कलिंगा ने अभी यह परमीशन नही ली है और वह झिंगुरदह के लायसेंस पर ही डीजल की आपूर्ति और खपत कर रही है। प्रश्न यह उठता है कि आईओसी से डीजल लेकर टैंकर एनसीएल झिंगुरदह परियोजना के लिए चलता है तो वह खड़िया परियोजना में कैसे पहुँचता है, दूसरी बात जब यहाँ पर भंडारण की व्यवस्था नही है तो यह टैंकर से टैंकर में अनलोड किया जाता है। जिससे कभी भी बड़ी दुर्घटना हो सकती है, लेकिन जिम्मेदार मौन हैं। वहीं सरकार को प्रतिदिन लाखों के राजस्व की क्षति पहुंच रही है।
उच्चस्तरीय जांच पर दोनों कंपनियों पर कार्रवाईसूत्रों का कहना है कि पीईएसओ के नियमों के तहत जहां पेट्रोलियम पदार्थों की उपयोगिता निर्धारित है, उसका उपयोग उसी स्थान पर होना चाहिए। लेकिन एक लायसेंस पर दो स्थानों जो कि अलग-अलग राज्यों में स्थित हैं के लिए होना नियमों की अवहेलना है और ऐसे हालातों में दोनों स्थानों पर कार्यरत कंपनियों के लिए लायसेंस निरस्तीकरण और कार्रवाई का प्रावधान है। कहा जा रहा है कि ऐसे हालातों में शासन-प्रशासन हो रहे राजस्व नुकसान पर कलिंगा खड़िया पर क्या कार्रवाई करता है। यह तो आने वाला समय ही बतायेगा। बहरहाल इस पूरे मामले में चल रहे घालमेल से शासन को लाखों का चूना लग रहा है। जब इस सम्बन्ध में एनसीएल के जन संपर्क अधिकारी रामविजय सिंह से बात की गयी तो उन्होंने कहा कि इस विषय पर कलिंगा के अधिकारी ही बता सकतें हैं।