शहर के उबड़-खाबड़ सड़क में पैदल चलना भी कठिन
माजन मोड़ से लेकर इंदिरा चौक नवजीवन बिहार के बीच ताली, बिलौंजी, मस्जिद चौक के खस्ताहाल सड़क का हाल
माजन मोड़ से लेकर इंदिरा चौक नवजीवन बिहार के मध्य ताली, बिलौंजी, मस्जिद चौक, ङ्क्षवध्यनगर मार्ग के उबड़-खाबड़ जर्जर गड्ढानुमा सड़क से इन दिनों पैदल चलना भी कठिन हो गया है।
इस सीजन में बारिश शुरू होने के करीब एक महीने बाद अगस्त महीने के प्रथम सप्ताह से बारिश ने जैसे-जैसे गति पकड़ने लगी। उसी तरह माजन मोड़ से लेकर इंदिरा चौक, नवजीवन बिहार के मध्य ताली, बिलौंजी, मस्जिद चौराहा, पुराना यातायात चौक, जिला न्यायालय के सामने व विंध्यनगर मार्ग ढोटी के बीच दो-चार नही हजार से भी ज्यादा हिचकोले गड्ढे हो जाने के कारण पैदल चलने से भी लोग झिझकते हैं। आलम यह है कि नगर निगम के द्वारा करोड़ों रूपये की लागत से माजन मोड़ चौक से लेकर नवजीवन बिहार तक सड़क डामरीकरण का कार्य कराया था। किन्तु 4 साल के अन्दर ही इस साल की तेज बारिश ने बेहतर गुणवत्तायुक्त सड़क डामरीकरण कार्य का दावा करने वाले ननि अधिकारियों के पोल खोल दिया है। यहां के व्यापारियों का आरोप है कि ननि के द्वारा गुणवत्ता विहीन डामरीकरण सड़क का कार्य कराया गया था। जहां इस साल की बारिश ने ननि अधिकारियों के ढोल का पोल खोलकर सामने ला दिया। व्यापारी यह भी बताते हैं कि सड़क इतनी जर्जर हो गई है कि दो पहिया वाहन खास तौर से स्कू टी से जोखिम भरा साबित होता है। सड़क में इतने गड्ढे हो गए हैं कि जहां इन गड्ढों से बचने के लिए आये दिन कोई न कोई स्कू टी चालक जरूर दुर्घटनाग्रस्त होता है। साथ ही सुबह मॉर्निंग वॉक के समय पैदल चलने से भी लोगबाग कतराने लगे। इस समस्या के बारे में कई बार ननि के अधिकारियों को भी अवगत कराया गया। लेकिन कोई भी अधिकारी गंभीरता से नही ले रहे हैं।
निगाही से परसौना चौक फोरलेन सड़क का यही हाल
परसौना चौराहा से लेकर निगाही मोड़ तक डीएमएफ फंड से एमपीआरडीसी के द्वारा सड़क का निर्माण कार्य कराया जा रहा है। किन्तु सड़क निर्माण कार्य के शुरूआती दौर से ही गुणवत्ता विहीन कार्य को लेकर शिकायते की जा रही थी। फिर भी एमपीआरडीसी का अमला कमीशनखोरी के चक्कर में संविदाकार पर दबाव नही बना पा रहे हैं। लिहाजा 8 किलोमीटर दूरी की सड़क उबड़-खाबड में परिवर्तित हो चुकी है। इस सड़क में 30-40 किलोमीटर प्रति घंटे के रफ्तार से ही वाहन चलाना जोखिम भरा रहता है और आये दिन इस सड़क में हादसे भी होते रहते हैं।
शहर के उबड़-खाबड़ सड़क में पैदल चलना भी कठिन


Pradeep Tiwari
मैं, प्रदीप तिवारी, पिछले 10 वर्षों से पत्रकारिता से जुड़ा हूँ। सबसे पहले, मैं एक स्थानीय समाचार चैनल में एक रिपोर्टर के रूप में शामिल हुआ और फिर समय के साथ, मैंने लेख लिखना शुरू कर दिया। मुझे राजनीति और ताज़ा समाचार और अन्य विषयों से संबंधित समाचार लिखना पसंद है।
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