भगवान उसी को मिलते हैं जो भगवान से मिलना चाहता है: राजन जी महाराज
श्रीराम कथा के पॉचवें दिन भगवान सीता-राम के विवाह का कथा वाचक ने कथा का कराया श्रवण, श्रोताओं ने कथा का उठाया आनन्द, 30 अक्टूबर को कथा का होगा समापन
जिला मुख्यालय बैढ़न के एनसीएल ग्राउंड बिलौंजी में श्रीराम कथा के पॉचवें दिन भगवान सीता-राम के स्वम्बर यानी विवाह का वर्णन करते हुये कथावाचक श्री राजन जी महाराज द्वारा अपने मुखारबिन्दु से कथा का श्रवण कराया गया।
्र कथावाचक श्री राजन जी महाराज ने कहा कि एक आम दिन का बचा रहा था। चार आम दिन में होते हैं। चार राम रात्रि में होते हैं। दोनों को मिलाकर 24 घंटे के अवधि को अष्टयाम कहते हैं। श्री गोस्वामी जी कहते हैं दिवस रहा भरिजाम यानि एक याम तीन घंटे का समय बचा था। सायन काल 3 बचे से लेकर 6 बजे तक तो ठीक 3 बजे कथा के समय पर राम-लक्ष्मन जी जग करते बैठे और गुरूदेव भगवान उनको कथा सुनाने लगे। जैसे कथा प्रारम्भ हुई वह कहते हैं। श्री गोस्वामी तुलसीदास जी कहते हैं कि जैसे ही कथा प्रारम्भ हुई। लक्ष्मण जी के मन में एक विशेष लालसा ने आग जन्म लिया। भगवान उसी को दिखाई पड़ते हैं जो देखना चाहता है। भगवान उसी को मिलते हैं जो भगवान से मिलना चाहता है। हम मंदिर जाते हैं तो भगवान को नही मांगते। भगवान से संसार का सामान मांगते हैं। इस लिए सामान तो मिल जाता है। लेकिन सामान को देने वाला भगवान नही मिलता है। जिस समय भगवान आए है पुष्पवाटिका में पुष्प लेने उस समय शरद रीतू चल रहा था। लेकिन गोस्वामी जी कहते हैं कि शरद रीतू में ही ऐसा लग रहा है कि मानो जैसे वसंत रीतू का आगमन हो गया हो। वसंत रीतू में सब जगह हरियाली और नविनता दिखाई पड़ती है। भगवान जहां पहुंच जाते हैं वहां सब कुछ नया ही हो जाता है। साथ ही गोस्वामी जी आगे कहा कि बिना किसी के अनुमति लिए कोई सामग्री नही लेना चाहिए। आज की भाषा में जिसको भगवान दिखाई पड़ जाएंगे। वों पागल हो जाएगा और याद रखिए जब तक घर वाले पागल न कह दे तब तक समझिये कि आपकी भक्ति अभी पकी नही है। पागल मतलब जो भगवान को पाकर गल जाए अर्थात भगवान में गल जाए वो पागल है। पा से पाकर भगवान में गल गया वो पागल हो गया और जब भगवान के हो जाएंगे तो आप समाज के लिए नही रह पाएंगे न ही परिवार के लिए रह पाएंगे और जिस दिन परिवार वालों का स्वार्थ आपसे पूरा नही होगा। उसी दिन आपको पागल घोषित कर दिया जाएगा। वही श्री राजन जी महाराज आगे बताते हुये कहते हैं कि श्री तुलसीदास जी महराज ने जो चौपाइयों को लिखा है उन चौपाइयों को भोजपुरी में अनुवाद किया। साथ ही श्री महाराज जी ने आगे कहा कि कही भी मंदिर में जाने पर या घर में ही भगवान की पूजा करते समय यदि भगवान को अर्पित किया हुआ पुष्प नीचे गिर जाए तो उसे दोबारा भगवान को न चढ़ाए। क्योंकि वो पुष्प आपसे भगवान प्रसन्न होकर आपको आशीर्वाद दे दिये हैं। उस पुष्प को आप शिरोधार्य करिए। एसडीओपी मोरवा केके पाण्डेय, ननि अध्यक्ष देवेश पाण्डेय, टीआई नवानगर डॉ. ज्ञानेन्द्र सिंह एके राय खनिज अधिकारी,संजय सिंह-सुमन सिंह, विनोद मिश्रा, विक्रम सिंह, भूपेश सिंह, प्रेमा दुबे, अनीता गुप्ता, किरन केसरी, आनन्द अग्रवाल, डॉ. अनिल पाण्डेय, संजय सिंह सहित अन्य भारी संख्या में मौजूद रहे।