डॉ. जितेंद्र सिंह और पुद्दुचेरी के उपराज्यपाल के. कैलाशनाथन ने पुद्दुचेरी में तटीय कार्य योजना पर चर्चा की
डीप ओशन मिशन के अंतर्गत स्थायी तटीय प्रबंधन तंत्र और समुद्री अर्थव्यवस्था पर ध्यान केंद्रित
केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और प्रधानमंत्री कार्यालय, परमाणु ऊर्जा विभाग, अंतरिक्ष विभाग, कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह और पुद्दुचेरी के उपराज्यपाल के. कैलाशनाथन ने डीप ओशन मिशन के तहत आज सुबह तटीय सफाई, स्थायी तटीय प्रबंधन तंत्र के निर्माण, समुद्र तल के खनिजों की खोज और गहरे समुद्र में मछली पकड़ने को बढ़ावा देने के लिए एक व्यापक कार्य योजना पर चर्चा के लिए बैठक की।
बैठक में अनवरत विकास और दीर्घकालिक आर्थिक लाभ के लिए पुद्दुचेरी की तटीय परिसंपत्तियों का लाभ उठाने पर ध्यान केंद्रित किया गया।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने पुद्दुचेरी में तटीय कटाव की बढ़ती समस्या पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि ‘स्वच्छ सागर, सुरक्षित सागर’ अभियान जैसे पिछले प्रयासों से सकारात्मक बदलाव आया है, लेकिन अब एक सुसंगत और संरचित दृष्टिकोण की जरूरत है। उन्होंने कहा, “समुद्र तट की सफाई और तटीय प्रबंधन के लिए एक स्थायी तंत्र स्थापित करने की आवश्यकता है। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय सभी आवश्यक मार्गदर्शन प्रदान करेगा और इसे क्रियान्वित करने के लिए पुद्दुचेरी के मुख्य सचिव के साथ मिलकर काम करेगा।”
डॉ. जितेंद्र सिंह ने पूर्वी तटरेखा के साथ पुद्दुचेरी की रणनीतिक स्थिति पर प्रकाश डालते हुए देश की समुद्री अर्थव्यवस्था में इसकी संभावित भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि डीप ओशन मिशन गहरे समुद्र में मछली पकड़ने और पॉलीमेटेलिक नोड्यूल जैसे महत्वपूर्ण खनिजों के लिए समुद्र तल की खोज में नई संभावनाओं का द्वार खोलता है। उन्होंने कहा, “ऐसे संसाधन देश की तकनीकी क्षमताओं और वैश्विक समुद्री अर्थव्यवस्था में स्थिति को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ा सकते हैं।”
केंद्रीय मंत्री ने उपराज्यपाल को बताया कि डीप ओशन मिशन का पहला चरण 2026 की शुरुआत में समुद्री परीक्षणों के लिए तैयार है। 2027 तक भारत का लक्ष्य स्वदेशी तकनीक के ज़रिए समुद्र की सतह के नीचे मज़बूत उपस्थिति दर्ज कराना है। उन्होंने कहा कि यह मिशन पर्यावरण संतुलन को बनाए रखते हुए देश के आर्थिक विकास के लिए अपने समुद्री संसाधनों का उपयोग करने के तरीके को बदलने में मदद करेगा।
डॉ. जितेन्द्र सिंह ने इस बात का आकलन करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया कि पुद्दुचेरी के तटीय क्षेत्र किस प्रकार राजस्व सृजन और स्थानीय रोजगार में योगदान दे सकते हैं, विशेष रूप से विनियमित गहरे समुद्र में मछली पकड़ने और समुद्री अनुसंधान के माध्यम से।
केंद्रीय मंत्री ने भारत के अंतरिक्ष और महासागर अनुसंधान कार्यक्रमों के बीच समन्वय की सराहना की और कहा कि नवाचार तथा वैज्ञानिक सहयोग की यही भावना अब पुद्दुचेरी जैसे तटीय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों तक बढ़ाई जानी चाहिए। उन्होंने इन राष्ट्रीय मिशनों में भागीदारी करने के लिए पुद्दुचेरी प्रशासन की इच्छा पर भरोसा जताया।
डॉ. जितेन्द्र सिंह ने अपने भाषण का समापन करते हुए कहा कि विज्ञान, शासन और स्थानीय सहभागिता के बीच समन्वय से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 2047 तक “विकसित भारत” के सपने को साकार करने में मदद मिलेगी, जहां समुद्री और अंतरिक्ष सीमाएं भारत के भविष्य को आकार देने में तेजी से केंद्रीय भूमिका निभाएंगी।