कलेक्टर ने 24 घंटे के अन्दर मांगा जांच रिपोर्ट
कबाड़ के भाव सरकारी किताब बेचने का मामला, बीआरसीसी चितरंगी संदेह के घेरे में, डीपीसी दफ्तर का कर रहा परिक्रमा
कक्षा 1 से 8वीं तक के सरकारी विद्यालयों में अध्ययनरत बच्चों को मिलने वाली नि:शुल्क पाठ्य पुस्तके कबाड़ के भाव बेची जा रही है। मामला संज्ञान में आने पर कलेक्टर ने डीईओ एवं डीपीसी तथा सहायक संचालक शिक्षा के तीन सदस्यीय टीम गठित कर 24 घंटे के अन्दर रिपोर्ट मांगा है।
गौरतलब है कि जिला मुख्यालय बैढ़न के समीपी कचनी में पिछले दिनों कोतवाली पुलिस ने पिकअप एवं कन्टेनर वाहन को जप्त किया था। कोतवाली पुलिस के अनुसार पिकअप वाहन से कन्टेनर में म.प्र. पाठ्य पुस्तक निगम की भारीभरम किताबें लोड की जा रही थी। उक्त किताबों को उ.प्र. के ऊन्नाव जिले के एक कबाड़ी के यहां बेच दिया गया था। जहां उक्त कि ताबों को यहां से ले जाने की कन्टेनर वाहन से तरकीब निकाला गया था। किन्तु पुलिस ने सरकारी स्कूल के पुस्तकों को कबाड़ियों के हाथों बेचने के कारोबार का भंडाफोड़ कर इस कारोबार में जुड़े बीआरसीसी एवं कई शिक्षकों के धड़कने बढ़ा दिया है। बताया जा रहा है कि प्रथम दृष्टया में म.प्र. पाठ्य पुस्तक की किताबें जांच में मिली हैं। दोनों वाहन के चालकों ने कोतवाली पुलिस को बताया है कि चितरंगी ब्लॉक के पिपरवान विद्यालय से किताब लोड की गई है और यूपी के ऊन्नाव जिले में कबाड़ी के यहां पहुंचा था। इधर नवभारत ने इस खबर को प्रमुखता के साथ 5 सितम्बर को प्रकाशित कर कलेक्टर का ध्यान आकृ ष्ट कराया है। जहां कलेक्टर चन्द्रशेखर शुक्ला ने उक्त मामले को गंभीरता से लेते हुये तीन सदस्यीय जांच टीम गठित कर 24 घंटे के अन्दर जांच प्रतिवेदन मांगा है। फिलहाल सरकारी पुस्तकों को कबाड़ियों के हाथ बिक्री करने का मामला तूल पकड़ लिया है। माना जा रहा है कि इसमें जो भी दोषी मिलेंगे उनके विरूद्ध प्रशासन सख्ती के साथ एफआईआर कर अनुशासनात्मक कार्रवाई भी करेगा।
ऊन्नाव का कबाड़ी कैसे आया सम्पर्क में
उत्तरप्रदेश के ऊन्नाव जिले का कबाड़ी बीआरसीसी एवं पिपरवान सरकारी विद्यालय के शिक्षकों से कैसे और कब से सम्पर्क में आया? इस बात को लेकर शिक्षा विभाग में चर्चा क्षीण गई है। सूत्र बता रहे हैं कि ऊन्नाव के कबाड़ी से सरकारी किताब चोर माफिया कई सालों से सम्पर्क में है। इस बार पुलिस की नजर पड़ गई। इस लिए यह बात सामने आ गई । इस तरह के गोरख ध्ंाधे का खेल लम्बे अर्से से खेला जा रहा है। यदि पुलिस संजीदा न होती तो इस गिरोह का भंडाफोड़ न हो पाता। अब पुलिस को भी इस बात का पता लगाना पड़ेगा कि सरकारी किताबों को कबाड़ के भाव बेचने वाले गिरोह के सदस्य ऊन्नाव के कबाड़ी से कब से सम्पर्क में आया है और अब तक कितनी किताबें कब और किन-किन वर्ष की बिक्री किया गया है। इसका मुख्य सरगना कौन है।
बीआरसीसी चितरंगी डीपीसी दफ्तर का कर रहा परिक्रमा
नि:शुल्क किताबों को कबाड़ियों के भाव बेचे जाने के मामले में कलेक्टर चन्द्रशेखर शुक्ला ने तीन सदस्यीय जांच टीम गठित किया है। जिसमें डीईओ एसबी सिंह, डीपीसी आरएल शुक्ला एवं सहायक संचालक शिक्षा कविता त्रिपाठी को जांच टीम में शामिल किया गया है। जहां इसकी खबर बाहर आते ही बीआरसीसी चितरंगी आज दोपहर के बाद से ही डीपीसी के दफ्तर का परिक्रमा लगाना शुरू कर दिया है। इन किताबों को बेचने में बीआरसीसी की कितनी सहभागिता है। यह तो जांच के बाद ही पता चलेगा। लेकिन भारी मात्रा में कबाड़ियों के हाथ नि:शुल्क पाठ्य पुस्तकें मिलने अपने आप में ही बड़ा विषय है। आखिरकार बच्चों को नि:शुल्क पुस्तकें क्यो नही बाटी गई? यहा फिर छात्रों की संख्या आंकड़ा में फर्जीवाड़ा कर राज्य शिक्षा केन्द्र के यहां भेजी जा रही है। ताकि नि:शुल्क पुस्तकें के आड़ में लाखों रूपये कमा सके।
इनका कहना:-
कलेक्टर के द्वारा तीन सदस्यीय जांच टीम गठित कर दी गई है। जांच की जा रही है। जांच उपरांत जो भी दोषी पाया जाएगा। उसके विरूद्ध कठोर, दंडात्मक एवं वैधानिक कार्रवाई प्रस्तावित की जावेगी।
आर एल शुक्ला
डीपीसी जिला शिक्षा केन्द्र, सिंगरौली
कलेक्टर ने 24 घंटे के अन्दर मांगा जांच रिपोर्ट
Pradeep Tiwari
मैं, प्रदीप तिवारी, पिछले 10 वर्षों से पत्रकारिता से जुड़ा हूँ। सबसे पहले, मैं एक स्थानीय समाचार चैनल में एक रिपोर्टर के रूप में शामिल हुआ और फिर समय के साथ, मैंने लेख लिखना शुरू कर दिया। मुझे राजनीति और ताज़ा समाचार और अन्य विषयों से संबंधित समाचार लिखना पसंद है।
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