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क्रोम-एंड्रॉयड जैसी सेवाओं को गूगल से अलग करने के मामले में आया एपल का पक्ष, जानें क्या कहा

Pradeep Tiwari
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एपल ने गूगल से उसके सर्च इंजन के इस्तेमाल को लेकर अहम समझौता किया है। इसके तहत एपल के आईफोन, आईपैड और मैकबुक जैसे उत्पादों में मौजूद सफारी ब्राउजर में डिफॉल्ट सर्च इंजन बने रहने के लिए गूगल हर साल एपल को अरबों डॉलर देती है। 

अमेरिका में गूगल को तोड़ने के लिए सुनवाई जारी है। इस एंटी ट्रस्ट केस में इंटरनेट सर्च क्षेत्र में गूगल का एकाधिकार खत्म करने के लिए कंपनी के अहम क्रोम सर्च इंजन/वेब ब्राउजर और एंड्रॉयड सेवाओं को अलग करने का प्रस्ताव है। अब इस मामले में एक और बड़ी टेक कंपनी एपल ने भी अपना पक्ष रखा है। बताया गया है कि एपल ने गूगल के खिलाफ इस एंटी ट्रस्ट सुनवाई में साफ किया है कि वह सर्च इंजन के मामले में सिर्फ गूगल पर निर्भर नहीं रह सकता। 

गौरतलब है कि एपल ने गूगल से उसके सर्च इंजन के इस्तेमाल को लेकर अहम समझौता किया है। इसके तहत एपल के आईफोन, आईपैड और मैकबुक जैसे उत्पादों में मौजूद सफारी ब्राउजर में डिफॉल्ट सर्च इंजन बने रहने के लिए गूगल हर साल एपल को अरबों डॉलर देती है। अकेले 2022 में ही एपल को गूगल से इस समझौते के तहत 20 अरब डॉलर मिल चुके हैं। 

हालांकि, माना जा रहा है कि अब एपल ने गूगल को तोड़ने के प्रस्ताव के साथ जारी एंटी ट्रस्ट मामले में इस राजस्व को जाने देने का फैसला किया है। कंपनी के वकीलों ने कोर्ट में कहा है कि एपल और गूगल कहीं से भी प्रतिद्वंद्वी नहीं हैं और एपल सर्च इंजन के क्षेत्र में उसे प्रतिद्वंद्विता नहीं रखना चाहता। एपल का कहना है कि वह अपनी यह स्थिति बरकरार रखेगा, फिर चाहे उसे गूगल से आने वाले समय में अरबों डॉलर का राजस्व मिले या नहीं।

 

Pradeep Tiwari

Pradeep Tiwari

मैं, प्रदीप तिवारी, पिछले 10 वर्षों से पत्रकारिता से जुड़ा हूँ। सबसे पहले, मैं एक स्थानीय समाचार चैनल में एक रिपोर्टर के रूप में शामिल हुआ और फिर समय के साथ, मैंने लेख लिखना शुरू कर दिया। मुझे राजनीति और ताज़ा समाचार और अन्य विषयों से संबंधित समाचार लिखना पसंद है।

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