उच्च-स्तरीय सऊदी प्रतिनिधिमंडल ने क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देने के लिए भारतीय वस्त्र मंत्रालय सचिव के साथ बैठक की
बैठक में रणनीतिक साझेदारी परिषद के ढांचे के अंतर्गत भारत-सऊदी संबंधों को मज़बूत करने की प्रतिबद्धता पर बल दिया
रेडीमेड वस्त्र, तकनीकी वस्त्र, मानव निर्मित रेशे, कालीन, हथकरघा और हस्तशिल्प को सहयोग के प्रमुख क्षेत्रों के रूप में पहचाना गया
सऊदी अरब के उद्योग और खनिज संसाधन उप मंत्री खलील इब्न सलामाह के नेतृत्व में एक उच्च-स्तरीय प्रतिनिधिमंडल ने आज नई दिल्ली के उद्योग भवन में भारत सरकार के वस्त्र मंत्रालय के सचिव से मुलाकात की। बैठक का उद्देश्य वस्त्र क्षेत्र में द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ावा देना था। यह बैठक दोनों देशों के बीच व्यापार और निवेश संबंधों को मज़बूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुई।
दोनों देशो ने मज़बूत आर्थिक संबंधों की पुष्टि की। इसके अंतर्गत वित्त वर्ष 2024-25 में द्विपक्षीय व्यापार 41.88 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया। भारत सऊदी अरब के कपड़ा और परिधान क्षेत्र का दूसरा सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता (517.5 मिलियन अमेरिकी डॉलर) बनकर उभरा है। भारत ने 2024 में सऊदी अरब के कुल कपड़ा और परिधान आयात में 11.2 प्रतिशत की हिस्सेदारी हासिल की। दोनों पक्षों ने इस व्यापारिक संबंध को और बढ़ाने के लिए दृढ़ प्रतिबद्धता व्यक्त की।
इस वार्ता में भारत के रेडीमेड गारमेंट्स (आरएमजी) क्षेत्र में सऊदी निवेश के लिए महत्वपूर्ण अवसरों को रेखांकिंत किया है। यह रोज़गार सृजन और निर्यात का एक प्रमुख क्षेत्र है। पारस्परिक विकास के साझा दृष्टिकोण के साथ, दोनों पक्षों ने कपड़ा निर्माण और व्यापार में सहयोगात्मक प्रयासों के माध्यम से उत्पादन क्षमता और बाज़ार पहुँच का विस्तार करने की रणनीतियों पर चर्चा की।
चर्चाओं में हथकरघा, हस्तशिल्प और कालीन जैसे पारंपरिक क्षेत्रों में स्थिरता को बढ़ावा देने के महत्व पर भी बल दिया गया। ये क्षेत्र न केवल भारत की समृद्ध सांस्कृतिक और कारीगरी विरासत का प्रतिनिधित्व करते हैं, बल्कि पर्यावरण के अनुकूल और नैतिक रूप से उत्पादित वस्तुओं के लिए वैश्विक उपभोक्ता प्राथमिकताओं के अनुरूप भी हैं।
एमएमएफ और तकनीकी वस्त्रों में रणनीतिक संरेखण
बैठक का एक प्रमुख आकर्षण पेट्रोकेमिकल आधारित उद्योगों में सऊदी अरब की ताकत और मानव निर्मित फाइबर (एमएमएफ) तथा तकनीकी वस्त्रों में भारत की बढ़ती क्षमताओं की पारस्परिक मान्यता थी। ये क्षेत्र द्विपक्षीय व्यापार के स्तंभ बनने के लिए तैयार हैं, जो कच्चे माल की आपूर्ति, प्रौद्योगिकी आदान-प्रदान और उत्पाद विकास में तालमेल का लाभ उठाने के अवसर प्रदान करते हैं। वस्त्र मंत्रालय के सचिव ने इस बात पर बल दिया कि एमएमएफ और तकनीकी वस्त्र उच्च-विकास वाले क्षेत्रों के रूप में उभर रहे हैं।
सऊदी प्रतिनिधिमंडल ने भारत की प्रमुख वस्त्र प्रदर्शनियों और व्यापार मेलों जैसे भारत टेक्स, रिवर्स क्रेता-विक्रेता मीट (आरबीएसएम) और अन्य प्रमुख प्रदर्शनियों में गहरी रुचि दिखाई। यह संपूर्ण वस्त्र मूल्य श्रृंखला को प्रदर्शित करते हैं। ये आयोजन वैश्विक जुड़ाव के लिए मंच के रूप में कार्य करते हैं और 100 से अधिक देशों के नीति निर्माताओं, उद्योग जगत के नेताओं, निवेशकों और खरीदारों को एक साथ लाते हैं। कई प्रमुख सऊदी कंपनियों ने फरवरी 2025 में नई दिल्ली में आयोजित भारत टेक्स 2025 में भाग लिया। इसी प्रकार, ईपीसीएच के नेतृत्व में भारतीय कंपनियों के एक प्रतिनिधिमंडल ने, वस्त्र मंत्रालय द्वारा समर्थित कारीगरों के साथ सितंबर 2025 में आयोजित सऊदी इंडेक्स 2025 में भाग लिया।
दोनों पक्ष सहयोगात्मक नवाचारों को प्रदर्शित करने और नए बाजार और निवेश के अवसरों की खोज के लिए इन मंचों का उपयोग जारी रखने पर सहमत हुए। भारतीय पक्ष ने अपनी दो प्रमुख पहलों – पीएम मित्र (मेगा इंटीग्रेटेड टेक्सटाइल रीजन एंड अपैरल) पार्क और एमएमएफ तथा तकनीकी वस्त्रों के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना – को प्रस्तुत किया। इन योजनाओं का उद्देश्य विश्व स्तरीय बुनियादी ढाँचा तैयार करना और घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देना है। सऊदी प्रतिनिधिमंडल ने इन योजनाओं को सऊदी अरब की औद्योगिक और निवेश प्राथमिकताओं के साथ जोड़ने में रुचि व्यक्त की।
यह सहयोग भारत और सऊदी अरब के बीच रणनीतिक और आर्थिक साझेदारी की गहराई को दर्शाता है। यह एक मज़बूत और भविष्य के लिए तैयार वस्त्र सहयोग के लिए मंच तैयार करता है।