बारिश में भी भीगते रहे मवेशी, मवेशियों को चारा-भूसा के पड़ रहे लाले, जिम्मेदार भी बने हैं अंजान, खुले आसमान के नीचे चल रही गौशालाए
सिंगरौली जिले भर में गौ वंश की रक्षा के लिए पंचायत के द्वारा गौशाला का निर्माण कार्य कराया गया। ताकि मवेशियों को निश्चित स्थान पर रखा जाए और उन्हें खाने-पीने की व्यवस्था की जाए। लेकिन सरकार की मंशा पर पंचायत पानी फेर रहे हैं।
कड़ाके की ठंड में खुले आसमान के नीचे मवेशियों को रखा जा रहा है और इन मवेशियों को न तो पानी मिल पा रहा है न ही घास-भूसा। जबकि इसके बदले में गौशालाओं के नाम पर जमकर लीपापोती का खेल खेला गया है। यहां बताते चले कि जिले भर में कई गौशालाएं जिला पंचायत के द्वारा पंचायतो को जिम्मेदारी दी गई थी। कि मनरेगा के तहत गौशाला का निर्माण कार्य कराया जाए। ताकि सड़कों पर घूम रहे आवारा मवेशियों को पनाह मिल जाए। इसके अलावा किसानो की जो फैसले इन मवेशियों के द्वारा नुकसान की जा रही थी उसे बचाया जा सके। किन्तु आरोप है कि जिले की बात की जाए तो जिला पंचायत द्वारा जिले भर की पंचायतो को गौ वंश की रक्षा के लिए गौशाला निर्माण की जिम्मेदारी सौंपी गई थी और अधिकांश पंचायतो में गौशाला का निर्माण कार्य कराया गया है। लेकिन जिले में गौशालाओं की देख-रेख भगवान भरोसे चल रही है। बताया जाता है कि गौशालाओं में जो मवेशी रखे गए हैं। उनके लिए पर्याप्त चारा-भूसा की व्यवस्था नहीं की गई है। यहां तक की पानी पीने की व्यवस्था नहीं है और खुले आसमान के नीचे इस कड़ाके की ठंड में रखे जा रहे हैं। यही वजह है कि कई मवेशियों की मौत हो गई है। जबकि गौ शालाओं की निगरानी जिला पंचायत के द्वारा किया जाना था। लेकिन जिला पंचायत के जिम्मेदार अधिकारी गौशालाओं को लेकर संजीदा दिखाई नही दे रहे है। वही जपं चितरंगी के ग्राम पंचायत के कोरसर कोठार के अलावा जिले में कई ऐसी गौशालाएं हैं ।
जिम्मेदारों को होना चाहिए गंभीर: तिवारी
समाजसेवी और अधिवक्ता एचपी तिवारी ने कहां कि म.प्र. सरकार ने जो फैसला गौवंश की रक्षा के लिए चलाया है। यह काबिले तारीफ है। गौवंश के लिए सरकार ने पशुपालकों के लिए भी अनुदान दे रही है। लेकिन अभी तक जो जिले में पंचायतो के द्वारा गौशाला बनाया गया है। इन गौशालाओं में पर्याप्त चारा-भूसा की व्यवस्था के साथ पानी पीने और टीन शेड की व्यवस्था नही की गई है। ठंडी का मौसम चल रहा है। खुले आसमान के नीचे मवेशियो को रखा जा रहा है। जिला प्रशासन के अधिकारियों के द्वारा समय-समय पर निरीक्षण करना चाहिए।