पशुपालन और मत्स्यपालन के लिए संचालित केसीसी की संख्या और उसके साथ दिनांक 30.09.2024 तक बकाया राशि का राज्यवार विवरण अनुबंध में दिया गया है। जिला-वार आंकडे़ उपलब्ध नहीं हैं।
किसान क्रेडिट कार्ड एक बचत-सह-ऋण उत्पाद है। वर्ष 2019 में, केसीसी योजना को पशुपालन, डेयरी और मत्स्यपालन की कार्यशील पूंजीगत की आवश्यकता को कवर करने के लिए विस्तारित किया था। बैंक 1.60 लाख रु. तक कोलैटरल फ्री लोन प्रदान कर सकते हैं। भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की “संशोधित ब्याज सबवेंशन योजना” के अंतर्गत केसीसी कार्डों पर पशुपालन, डेयरी और मत्स्यपालन कार्यकलापों के लिए कार्यशील पूंजीगत आवश्यकता पर बैंकों को 1.5 प्रतिशत की ब्याज सबवेंशन और किसानों को 3 प्रतिशत का शीघ्र चुकौती प्रोत्साहन प्रदान किया जाता है। ऋण एक वर्ष के कार्यकाल के लिए प्रदान किए जाते हैं।
केसीसी का लाभ उठाकर किसान रियायती ब्याज दरों पर कार्यशील पूंजीगत ऋण प्राप्त कर पाते हैं, जो उन्हें पशुपालन, पोल्ट्री और मत्स्यपालन जैसे कार्यकलापों के लिए अपनी अल्पकालिक वित्तीय जरूरतों को पूरा करने में मदद करता है। यहां तक कि किसानों के पास भी पशुधन बीमा, व्यक्तिगत बीमा, संपत्ति बीमा और स्वास्थ्य बीमा (जहां भी उत्पाद उपलब्ध है) का लाभ लेने का विकल्प है। यह ऋण परिक्रामी (रिवॉलविंग) नकद ऋण के रूप में होता है, जिससे किसान अपने नकदी प्रवाह और आय सृजन पैटर्न के आधार पर आवश्यकतानुसार निधि निकालने और चुकाने में सक्षम होते हैं। ऋण के संस्थागत स्रोतों के माध्यम से इन वित्तीय लाभों को सुनिश्चित करके, केसीसी योजना किसानों को बेहतर संसाधनों में निवेश करने, उत्पादकता में सुधार करने और अंततः उनकी आय बढ़ाने में मदद करती है।
केसीसी योजना तक समान पहुंच सुनिश्चित करने के लिए, यह विभाग वित्तीय सेवा विभाग और राज्य पशुपालन और मत्स्यपालन विभाग के सहयोग से वर्ष 2020 से राष्ट्रव्यापी एएचडीएफ केसीसी अभियान चला रहा है। प्रभावी कार्यान्वयन के लिए सभी हितधारकों की भूमिका को परिभाषित करते हुए अभियान के लिए विस्तृत दिशानिर्देश जारी किए गए थे। इसके अलावा, कई अन्य अभियान भी आयोजित किए गए हैं जैसे घर घर केसीसी अभियान, किसान भागीदारी प्राथमिकता हमारी, पीएम जनमन, पीएम फसल बीमा योजना, आदि। नाबार्ड ने विभिन्न कार्यक्रमों में प्रदर्शन के लिए सात क्षेत्रीय भाषाओं में केसीसी पर एक फिल्म भी रिलीज की है और डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से जागरूकता पैदा करने के लिए यू ट्यूब पर अपलोड की है।
अनुबंध
पशुपालन और मत्स्यपालन के लिए संचालित केसीसी का राज्यवार ब्यौरा
(राशि करोड़ रुपये में)
क्र.स. | राज्य | पशुपालन | मत्स्यपालन | ||
संचालित केसीसी की संख्या | बकाया राशि | संचालित केसीसी की संख्या | बकाया राशि | ||
दिल्ली | 209 | 1.75 | 107 | 0.58 | |
हरियाणा | 216,482 | 3,126.41 | 637 | 9.66 | |
हिमाचल प्रदेश | 69,823 | 630.38 | 1,451 | 16.24 | |
जम्मू और कश्मीर | 219,754 | 1,420.69 | 636 | 6.06 | |
पंजाब | 379,902 | 5,290.47 | 859 | 15.16 | |
राजस्थान | 628,648 | 7,350.61 | 1,226 | 13.01 | |
चंडीगढ़ | 382 | 17.57 | – | – | |
लद्दाख | 7,844 | 84.79 | 17 | 0.22 | |
अरुणाचल प्रदेश | 123 | 1.67 | 66 | 0.58 | |
असम | 13,448 | 193.24 | 1,926 | 17.48 | |
मणिपुर | 1,938 | 15.48 | 310 | 3.82 | |
मेघालय | 2,083 | 11.08 | 206 | 0.71 | |
मिजोरम | 23,924 | 259.29 | 380 | 5.13 | |
नागालैंड | 562 | 1.48 | 46 | 0.38 | |
सिक्किम | 2,842 | 17.27 | 117 | 1.12 | |
त्रिपुरा | 5,262 | 33.52 | 3,163 | 14.98 | |
अंडमान और निकोबार द्वीप समुह | 811 | 3.65 | 657 | 2.12 | |
बिहार | 290,061 | 1,461.65 | 808 | 11.75 | |
झारखंड | 16,768 | 69.78 | 1,154 | 7.83 | |
ओडिशा | 30,119 | 167.37 | 2,238 | 90.40 | |
पश्चिम बंगाल | 84,142 | 506.31 | 4,565 | 72.41 | |
छत्तीसगढ़ | 21,119 | 209.54 | 1,394 | 15.59 | |
मध्य प्रदेश | 220,537 | 2,684.29 | 6,393 | 19.85 | |
उत्तराखंड | 49,649 | 386.43 | 513 | 6.72 | |
उत्तर प्रदेश | 612,266 | 5,682.47 | 5,455 | 66.54 | |
गोवा | 1,447 | 28.44 | 545 | 11.88 | |
गुजरात | 474,965 | 6,301.03 | 9,280 | 290.74 | |
महाराष्ट्र | 104,948 | 1,572.64 | 6,547 | 62.06 | |
दादरा और नगर हवेली और दमन तथा दीव | 110 | 1.19 | 560 | 25.04 | |
आंध्र प्रदेश | 182,591 | 2,121.47 | 14,399 | 2,647.84 | |
तेलंगाना | 11,752 | 259.16 | 1,679 | 16.50 | |
कर्नाटक | 220,805 | 1,769.08 | 5,819 | 77.41 | |
केरल | 87,642 | 1,093.07 | 10,950 | 217.20 | |
पुडुचेरी | 5,969 | 74.13 | 3,272 | 55.64 | |
तमिलनाडु | 713,732 | 9,255.47 | 39,714 | 739.16 | |
लक्षद्वीप | 664 | 5.78 | 1,000 | 10.65 | |
कुल योग | 4,703,323 | 52,108.68 | 128,089 | 4,552.44 |
स्रोतः आरबीआई और नाबार्ड
यह जानकारी मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री श्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने आज लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी।