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सामाजिक सेवाओं पर खर्च जीडीपी की तुलना में 2017-18 के 6.7 प्रतिशत से बढ़कर 2023-24 में 7.8 प्रतिशत के स्तर पर पहुंचा

Pradeep Tiwari
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सामाजिक सेवाओं पर खर्च जीडीपी की तुलना में 2017-18 के 6.7 प्रतिशत से बढ़कर 2023-24 में 7.8 प्रतिशत के स्तर पर पहुंचा

2015-16 और 2019-21 के बीच 13.5 करोड़ भारतीयों के बहुआयामी निर्धनता से बाहर निकलने का अनुमान

केन्‍द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने आज संसद में ‘आर्थिक समीक्षा 2023-24’ पेश करते हुए कहा कि हाल के वर्षों में भारत की सामाजिक और संस्थागत प्रगति सशक्तिकरण से खुशहाली की रणनीति के माध्यम से हासिल की गई है। नई रणनीति सरकारी कार्यक्रमों के कार्यान्वयन में बदलाव और लागत के लिहाज से किफायती होने पर जोर देती है। इस रणनीति में अंतिम छोर तक सेवाओं की आपूर्ति और अटल पेंशन योजना (एपीवाई) जैसी योजनाओं के माध्यम से असंगठित क्षेत्र के कामगारों के लिए किफायती सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के लिए सुधारों का लक्षित कार्यान्वयन शामिल है।

बहुआयामी निर्धनता में गिरावट

2023-24 में सामाजिक सेवाओं पर व्यय बढ़कर जीडीपी का 7.8 प्रतिशत हो गया जो 2017-18 में जीडीपी के 6.7 प्रतिशत के स्तर पर था। कार्यक्रमों के बेहतर कार्यान्वयन के साथ आर्थिक विकास में बढोत्तरी के चलते बहुआयामी निर्धनता में खासी गिरावट देखने को मिली है। बहुआयामी निर्धनता सूचकांक (एमपीआई) 2015-16 के 0.117 से घटकर 2019-21 में 0.066 रह गया। आर्थिक समीक्षा 2023-24 के अनुसार, इसके परिणाम स्वरूप 2015-16 और 2019-21 के बीच 13.5 करोड़ भारतीयों की बहुआयामी निर्धनता से उबरने का अनुमान है।

Pradeep Tiwari

Pradeep Tiwari

मैं, प्रदीप तिवारी, पिछले 10 वर्षों से पत्रकारिता से जुड़ा हूँ। सबसे पहले, मैं एक स्थानीय समाचार चैनल में एक रिपोर्टर के रूप में शामिल हुआ और फिर समय के साथ, मैंने लेख लिखना शुरू कर दिया। मुझे राजनीति और ताज़ा समाचार और अन्य विषयों से संबंधित समाचार लिखना पसंद है।

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