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हाथ से मैला ढोने की प्रथा का उन्मूलन

Pradeep Tiwari
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हाथ से मैला ढोने की प्रथा का उन्मूलन

 

केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री श्री रामदास अठावले ने आज राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि किसी भी जिले में हाथ से मैला ढोने की प्रथा की कोई रिपोर्ट नहीं है।

संसद ने ‘हाथ से मैला ढोने वालों के रूप में रोजगार का निषेध और उनका पुनर्वास अधिनियम, 2013 (एमएस अधिनियम, 2013)’ अधिनियमित किया था, जो 06.12.2013 से प्रभावी है। अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार, हाथ से मैला ढोने की प्रथा निषिद्ध है और कोई भी व्यक्ति या एजेंसी इस अधिनियम के प्रभावी होने की तिथि से किसी भी व्यक्ति को हाथ से मैला ढोने के लिए नियुक्त या नियोजित नहीं कर सकती है। एमएस अधिनियम 2013 के प्रावधानों में उल्लेख किया गया है कि इसका उल्लंघन करने वालों को जुर्माना या कारावास या दोनों से दंडित किया जाएगा।

मंत्री ने अपने उत्तर में आगे बताया कि हाथ से मैला ढोने वालों के पुनर्वास के लिए स्वरोजगार योजना (एसआरएमएस) के तहत मैला ढोने वालों के पुनर्वास के लिए निम्नलिखित लाभ प्रदान किए गए हैं:

  • सभी चिन्हित किए गए और पात्र 58098 मैनुअल स्कैवेंजरों (हाथ से मैले ढोने वालों) को प्रति परिवार 40,000/- रुपये की एकमुश्त नकद सहायता प्रदान की गई है।
  • 2507 मैनुअल स्कैवेंजरों और उनके आश्रितों को वैकल्पिक स्वरोजगार परियोजनाएं शुरू करने के लिए 5,00,000/- रुपये तक की पूंजी सब्सिडी प्रदान की गई है।
  • 24294 चिन्हित किए गए मैनुअल स्कैवेंजरों और उनके आश्रितों को प्रशिक्षण अवधि के दौरान 3,000/- रुपये प्रति माह की दर से कौशल विकास प्रशिक्षण प्रदान किया गया है।

 

सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग ने सभी जिलों से अनुरोध किया है कि वे या तो खुद को मैनुअल स्कैवेंजिंग से मुक्त घोषित करें या फिर अस्वच्छ शौचालयों और इससे जुड़े मैनुअल स्कैवेंजरों का डेटा “स्वच्छता अभियान” मोबाइल ऐप पर अपलोड करें। हालांकि, अभी तक ऐप पर कोई विश्वसनीय डेटा अपलोड नहीं किया गया है।

Pradeep Tiwari

Pradeep Tiwari

मैं, प्रदीप तिवारी, पिछले 10 वर्षों से पत्रकारिता से जुड़ा हूँ। सबसे पहले, मैं एक स्थानीय समाचार चैनल में एक रिपोर्टर के रूप में शामिल हुआ और फिर समय के साथ, मैंने लेख लिखना शुरू कर दिया। मुझे राजनीति और ताज़ा समाचार और अन्य विषयों से संबंधित समाचार लिखना पसंद है।

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